गरीबों के लिए खाने का इंतजाम करे सरकार, 40 संगठनों ने रखी मांग
मध्यप्रदेश में 40 से अधिक संगठनों ने इस अभियान के तहत सरकार को पत्र लिखकर लॉकडाउन की अवधि में खाद्य सुरक्षा और नोवेल कोरोनावायरस के इलाज का प्रबंध करने को कहा है
On: Thursday 26 March 2020
नोवेल कोरोनावायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए मध्यप्रदेश में भी देश भर की तरह लॉकडाउन का आह्वान किया गया है। यहां कई प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगा हुआ है। ऐसे में आम लोगों को खाने-पीने से लेकर चिकित्सकों को इलाज के उपकरणों की समस्या भी सामने आ रही है। ग्रामीण इलाकों तक सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के पास सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण नहीं हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश के 40 से अधिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक अभियान "आम इंसान की सुरक्षा में सरकार की ज़िम्मेदारी तय करने की एक मुहिम" चलाई है। इन कार्यकर्ताओं में मेधा पाटकर, सचिन कुमार जैन, अनिल सद्गोपाल, राकेश दीवान जैसे कई नाम शामिल हैं। संगठनों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस आपदा से प्रभावी रूप से निपटने के लिए कुछ सलाह दी है।
पत्र में लिखा है कि नोवेल कोरोना वायरस का प्रकोप आने वाले चार से आठ हफ्तों में और भी विकराल हो जाएगा। हमारे देश के ज्यादातर लोगों की सामाजिक-आर्थिक हालत और सार्वजनिक व्यवस्थाओं की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह ज़रूरी है कि सरकार हर स्तर पर कुछ बुनियादी फ़ैसले लेकर सामाजिक-आर्थिक असुरक्षाओं से बचाया जाए।
पत्र में मांग की गई है कि कोरोना संबंधी सुरक्षा उपकरण, टेस्ट और इलाज की पूरी तरह मुफ्त किया जाए। आपदा की व्यापकता के मद्देनज़र निजी अस्पतालों को भी सरकारी नियंत्रण में लिया जाए। राज्य, ज़िला, ब्लॉक, तहसील और गांव समेत हर स्तर पर सभी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था मजबूत की जाए; पर्याप्त संख्या में आई.सी.यू. (ICU) व आइशोलेशन वार्ड, क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाएं और पर्याप्त वेन्टीलेटरों की व्यवस्था की जाए। साथ ही, हर स्तर पर एम्बुलेन्सों की व्यवस्था की जाए। सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े कर्मचारियों की सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम किए जाएँ। स्वास्थ्य और सफ़ाई से जुड़े कर्मचारियों को समुचित सुरक्षा किट दी जाए और उसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी।
पत्र में खाद्य सुरक्षा की भी मांग
इस पत्र में सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई के साथ निजी साफ सफाई के लिए वंचित वर्गों के लिए साबुन, पानी, सेनिटाइज़र के पर्याप्त उपलब्धता की मांग की गई है। पत्र में लिखा है कि निम्न आय वर्ग की बस्तियों या ग्रामीण टोलों के दलित, आदिवासी, विमुक्त जनजातियों, अल्पसंख्यकों, किसानों, खेतिहर मज़दूरों, दिहाड़ी मजदूरों, वृद्धाश्रमों, ट्रांसजेंडर समुदाय, और दूसरे ऐसे वंचित समुदायों को जरूरी राशन (चावल, दाल, आटा, तेल, नमक, मसाले, आलू, प्याज़, दूध व अन्य सामग्री), प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां (विटामिन सी, मल्टीविटामिन आदि), और सफाई की सामग्री (साबुन आदि) का वितरण किया जाए।
छह साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों, बुजुर्गों और अन्य प्रकार के संवेदनशील श्रेणी में आने वाले व्यक्तियों के पोषण, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खास ध्यान रखा जाए। पत्र में आशंका जताई गई है कि कोरोना वायरस की आपदा अभी लम्बे समय तक रह सकती है, इसे देखते हुए गरीबी रेखा से ऊपर रह रहे परिवारों को भी जरूरी राशन आदि मुहैया कराने के इंतजाम किए जाएं।