गेहूं के बाद अब चावल संकट की ओर बढ़ रहा है भारत, कीमतों में वृद्धि ने बढ़ाई मुश्किलें

पिछले साल के मुकाबले इस साल धान के रकबे में 12 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है। अमेरिकी कृषि विभाग ने भी भारत में चावल का उत्पादन घटने का अनुमान लगाया है

By Raju Sajwan

On: Friday 19 August 2022
 

गेहूं के बाद चावल का संकट खड़ा होता जा रहा है। यही वजह है कि गेहूं के साथ-साथ अब चावल की कीमतों में वृद्धि होने लगी है। पिछले एक महीने के दौरान चावल की थोक मूल्य में चार प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है और पिछले साल से तुलना करें तो चावल की कीमतों में 7.3 प्रतिशत वृदि्ध हो चुकी है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के मूल्य निगरानी प्रकोष्ठ के मुताबिक चावल का 17 अगस्त 2022 को खुदरा मूल्य 37.94 प्रति किलो था, जबकि चावल का थोक मूल्य 3295.24 रुपए क्विंटल था। जबकि इससे एक महीने पहले 17 जुलाई 2022 को चावल का खुदरा मूल्य 36.6 रुपए प्रति किलो और थोक मूल्य 3167.18 रुपए प्रति किलो था। यानी कि एक महीने में खुदरा मूल्य में 3.09 प्रतिशत और थोक मूल्य में 4.04 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।

अगर आज के मूल्य की तुलना पिछले साल से करें तो मूल्य निगरानी प्रकोष्ठ के मुताबिक पिछले साल 17 अगस्त को चावल का खुदरा मूल्य 35.61 रुपए प्रति किलो था, जो इस साल बढ़ कर 37.73 रुपए (5.95 प्रतिशत अधिक) हो गया है। जबकि थोक मूल्य पिछले साल 3068.95 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ कर 3295.26 रुपए प्रति क्विंटल (7.37 प्रतिशत अधिक) हो गया है।

दिलचस्प बात यह है कि जिन इलाकों में चावल खाया जाता है, उन इलाकों में चावल बहुत महंगा बिक रहा है। जैसे कि चैन्नई में 58 रुपए प्रति किलो, कोलकाता में 41 रुपए प्रति किलो की दर से चावल बिक रहा है।

दरअसल चालू मानसून सीजन में बारिश के असामान्य वितरण ने धान की फसल को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 12 अगस्त 2022 को समाप्त हुए दूसरे सप्ताह के आंकड़े बताते हैं कि खरीफ सीजन में 309.79 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की बुवाई हो पाई है, जबकि पिछले साल अगस्त के दूसरे सप्ताह तक 353.62 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी।

पिछले साल के मुकाबले इस साल 43.83 लाख हेक्टेयर (12.40 प्रतिशत कम) में धान की बुवाई नहीं हो पाई है। देश में धान का कुल रकबा लगभग 397 लाख हेक्टेयर है। यानी कि पिछले साल अगस्त के दूसरे सप्ताह तक अमूमन 90 फीसदी धान की बुआई हो चुकी थी। लेकिन इस साल लगभग 70 प्रतिशत ही बुआई हो पाई है। 

सबसे अधिक प्रभावित राज्य झारखंड है। यहां पिछले साल 15.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हो चुकी थी, लेकिन इस साल केवल 3.885 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है। इसी तरह बिहार में पिछले साल 30.27 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी, लेकिन इस साल 26.27 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है।

पश्चिम बंगाल में पिछले साल 35.53 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 24.3 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 24.68 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 20.368 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 58.92 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 56.930 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 29.94 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 25.480 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 33.68 लाख के मुकाबले 32.25 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 13.07 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 9.68 लाख हेक्टयर में धान की बुवाई हो पाई है।

बेशक अभी तक भारत सरकार की ओर से चावल उत्पादन को लेकर कोई अनुमान जारी नहीं किया गया है, लेकिन 16 अ्गस्त 2022 को यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) द्वारा राइस आउटलुट अगस्त 2022 में भारत के बारे में जारी पूर्वानुमान बेहद चौंकाने वाले हैं।

यूएसडीए ने कहा है कि भारत में 2022-23 में चावल के उत्पादन में 0.9 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। जो 2015-16 के बाद पहली बार उत्पादन में कमी आएगी। यूएसडीए के मुताबिक साल 2022-23 में भारत में 128.5 लाख टन चावल उत्पादन होने की संभावना है। यहां उल्लेखनीय है कि 2021-22 में 130.29 लाख टन चावल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था।

यूएसडीए ने चावल के उत्पादन में गिरावट के लिए दक्षिण पूर्व मानसून के असामान वितरण को कारण माना है। हालांकि इसके बावजूद यूएसडीए ने कहा है कि चूंकि दूसरे देशों में भी चावल का उत्पादन कम होगा, ऐसे में भारत द्वारा चावल का रिकॉर्ड निर्यात किया जा सकता है। यूएसडीए ने भारत में चावल की कुल खपत 10.84 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया है। 

हालांकि खपत के मुकाबले उत्पादन का विश्लेषण किया जाए तो भारत में चावल का स्टॉक ठीकठाक रह सकता है। परंतु ऐसा तब ही संभव है, जब सरकार चावल के निर्यात पर गहरी नजर रखे। क्योंकि इस साल गेहूं के मामले में भी ऐसा हुआ था। एक ओर जहां गेहूं का उत्पादन कम हो रहा था, वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बने हालातों का फायदा लेने के लिए भारत की ओर से गेहूं का जमकर निर्यात किया जा रहा था।

बाद में सरकार को गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगानी पड़ी।

अभी तक खाद्य स्टॉक की बात की जाए तो हालात यह है कि सरकार के पास 31 जुलाई 2022 तक की स्टॉक की स्थिति के अनुसार चावल व गेहूं का कुल स्टॉक 545.97 लाख टन था, जिसमें गेहूं 266.45 लाख टन और चावल 279.52 लाख टन शामिल है। पिछले साल की अगर बात करें तो 31 जुलाई 2022 को केंद्रीय पूल में 855.88 लाख टन गेहूं और चावल था। बताया जा रहा है कि खाद़्य स्टॉक की स्थिति पिछले पांच साल के दौरान सबसे कम है। 

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