महामारी ने भारत के लोगों को ‘जैविक खाद्य’ को अपनाने के लिए प्रेरित किया: सर्वेक्षण

भारत और नेपाल में 600 लोगों का सर्वेक्षण किया गया ताकि यह पता लगाया जा सके कि हाल ही में खाने की आदतें और खपत के तरीके किस तरह बदले हैं

By Dayanidhi

On: Wednesday 01 March 2023
 
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स

एक नए शोध सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने उन कई चीजों का पता लगाया है जो जैविक खाद्य उत्पादों की बात करते समय उपभोक्ता के व्यवहार और खरीदारी की आदतों पर असर डालते हैं।

भारत के पंजाब में मित्तल स्कूल ऑफ बिजनेस के शोधकर्ता मोहम्मद फरहान का सुझाव है कि कोविड-19  महामारी के चलते कई उपभोक्ताओं को यह जानने के लिए प्रेरित किया है कि उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन की पोषण गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे जैविक खाद्य उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ी है।

फरहान ने भारत और नेपाल में 600 लोगों का सर्वेक्षण किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि हाल ही में खाने की आदतें और खपत के तरीके किस तरह बदले हैं। उन्होंने स्मार्ट पार्शियल लीस्ट स्क्वायर और मैन-व्हिटनी परीक्षणों का उपयोग करके आंकड़ों का विश्लेषण किया।

यहां बताते चलें कि, स्मार्ट पार्शियल लीस्ट स्क्वायर, न्यूनतम वर्ग (पीएलएस) मॉडलिंग पद्धति है, जिसका उपयोग करके भिन्न-आधारित संरचनात्मक समीकरण मॉडलिंग (एसईएम) के लिए किया जाता है, जो कि ग्राफिकल यूजर इंटरफेस वाला एक सॉफ्टवेयर है।

वहीं मैन व्हिटनी यू टेस्ट, जिसे मान व्हिटनी विलकॉक्सन टेस्ट या विलकॉक्सन रैंक सम टेस्ट कहा जाता है, इसका उपयोग यह परीक्षण करने के लिए किया जाता है कि क्या दो नमूनों की एक ही जनसंख्या से हासिल होने की संभावना है।

विश्लेषणों से पता चला कि सुरक्षा, जागरूकता और भरोसे का अन्य खाद्य उत्पादों के विपरीत जैविक खाद्य का उपभोग करने के प्रति लोगों के झुकाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। फरहान ने यह भी दिखाया कि कथित स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ सुखमय और सामाजिक मूल्यों को अच्छे तरीके से जैविक खाद्य के प्रति उपभोक्ता के दृष्टिकोण पर असर पड़ता है। यह सहज रूप से उन उपभोक्ताओं को जैविक खाद्य उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित करता है।

शोध के निष्कर्ष जैविक भोजन के संबंध में जागरूकता और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। यह संभावना है कि अगले कुछ वर्षों में जैविक भोजन की मांग में वृद्धि जारी रहेगी और उत्पादकों और विक्रेताओं को अपने संभावित ग्राहकों के बीच बेहतर जागरूकता से लाभ उठाने और बढ़ती मांग को पूरा करने के तरीके खोजने के लिए इसके बारे में जागरूक होने की जरूरत पड़ेगी।

कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को सामने ला दिया है और कई लोग बीमारी के आसपास के खतरों से निपटने के रूप में स्वस्थ भोजन के विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। बेशक, यह तर्क दिया जा सकता है कि जैविक बनाम गैर-जैविक खाद्य उत्पादों के लाभ उतने महत्वपूर्ण नहीं हो सकते हैं जितना कि अक्सर दावा किया जाता है।

फिर भी, भोजन और स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता और शिक्षा हमेशा फायदेमंद होगी और जैविक खाद्य पदार्थों को चुनने वाले लोग अपने स्वास्थ्य में सुधार के नाम पर अपने खाने की आदतों और जीवन शैली में अन्य बदलाव भी कर सकते हैं, जिसके अतिरिक्त, अधिक वास्तविक फयदे होंगे।

शोध में कहा गया है कि, जैविक खाद्य पदार्थों के उत्पादकों और प्रचार करने वालों को ईमानदारी से अपने उत्पाद के लाभों का प्रदर्शन करना चाहिए और यह दिखाना चाहिए। जैविक खाद्य आम तौर पर अधिक कीमती होने के बावजूद ये बेहतर स्वास्थ्य और पर्यावरण के अनुकूल है, जिसे इनकी अधिक कीमत भी छुप जाती है। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ग्रीन इकोनॉमिक्स में प्रकाशित हुआ है।

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