प्रसाद होकर भी उपेक्षित पनियाला

छठ पर्व में प्रसाद के रूप में पनियाला का अपना महत्व है। औषधीय गुणों से भरपूर पनियाला अब मुश्किल से ही कहीं मिल पाता है

By Chaitanya Chandan

On: Monday 18 September 2017
 

उत्तर भारत में लोक आस्था का पर्व छठ दुनिया भर में मशहूर है। यह पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व की खासियत यह है कि इसमें प्रसाद के रूप में उस समय उपलब्ध सभी मौसमी फलों का उपयोग किया जाता है। उन्हीं फलों में से एक है पनियाला। आज से 20-25 साल पहले यह फल बहुतायत में मिला करता था, लेकिन अब बड़ी मुश्किल से मिल पाता है।

अपने नाम के अनुरूप पनियाला को देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘फ्लाकोर्टिया इंडिका’ है। पनियाला जामुनी रंग का खट्टा-मीठा फल है। इसका पेड़ 20-30 फुट ऊंचा होता है और फूल सफ़ेद रंग का। यह मुख्यतः पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और उड़ीसा के साथ-साथ दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है। हालांकि दुनिया के कई हिस्सों में इसकी अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इसकि उत्पत्ति मूल रूप से भारत में ही हुई है।

पनियाला को आंवले की प्राचीनतम प्रजाति के रूप में भी जाना जाता है। इसका पौराणिक नाम आम्लिक है। यह जल जमाव वाले तराई क्षेत्रों के साथ-साथ शुष्क, पर्णपाती और उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। पनियाला के पेड़ अकालरोधी होते हैं। जानकारों के मुताबिक, पनियाला के बीज से निकले पौधों की तुलना में कलम से तैयार पौधों में मूल गुण ज्यादा सुरक्षित रहते हैं।

जूलिया मोर्टन की किताब ‘फ्रूट्स ऑफ वार्म क्लाइमेट्स’ के अनुसार पनियाला की प्रजाति ‘फ्लाकोर्टिया रामोंची’ मूल रूप से भारत, अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, मेडागास्कर, मलाया और फिलीपींस में पाई जाती है। वहीं ‘फ्लाकोर्टिया काताफ्राक्टा’ विशुद्ध रूप से पनियाला की भारतीय प्रजाति है। पनियाला की एक और प्रजाति ‘फ्लाकोर्टिया रुकम’ भी मूलत: भारतीय ही है, लेकिन यह दक्षिण पूर्व एशिया, ओसेनिया और मलेशिया में भी पाया जाता है। वैसे तो पनियाला मूल रूप से भारतीय है, लेकिन इसका विस्तार दुनिया के अन्य देशों में भी देखने को मिलता है। पनियाला श्रीलंका, प्यूर्तो रिको, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, फ्लोरिडा और चीन तक पहुंच चुका है। कैरीबिया में इसे विशेष रूप से पसंद किया जाता है, क्योंकि वहां के लोग इसका इस्तेमाल शराब बनाने और व्यंजन बनाने में करते हैं।

पनियाला को आंवले की प्राचीनतम प्रजाति के रूप में भी जाना जाता है। इसका पौराणिक नाम आम्लिक हैऔषधीय गुण
पनियाला अपने औषधीय गुणों की वजह से भी जाना जाता है। इसमें लाभकारी पोलीफेनोल और फ्लावोनोइड बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। भारत के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पनियाला के पेड़ों के औषधीय गुणों पर निर्भरता बहुत अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पनियाला के बीजों को हल्दी के साथ पीसकर एक लेप बना लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि बच्चे के जन्म के बाद महिला के बदन पर इसकी मालिश से उसके दर्द में आराम मिलता है और ठंडी हवाओं का भी महिला पर असर नहीं होता है। पारंपरिक औषधि के रूप में पनियाला का उपयोग हाजमा ठीक करने, भूख बढ़ाने, मूत्रवर्धक के साथ-साथ बढ़ी हुई तिल्ली और पीलिया के उपचार में भी किया जाता रहा है।
पनियाला के औषधीय गुणों की पुष्टि कई वैज्ञानिक अध्ययनों से भी होती है।

वर्ष 2010 में अमेरिकन यूरेशियन जर्नल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि पनियाला के पत्तों में बड़ी मात्रा में एंटी ऑक्सिडेंट मौजूद है, जो बुढ़ापे की निशानी को कम करने के साथ ही तनाव को भी कम करता है। उसी साल जर्नल ऑफ एथनोफारमाकोलोजी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार पनियाला के पत्तों में मलेरियारोधी तत्व पाए जाते हैं। वर्ष 2011 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ड्रग डेवलपमेंट एंड रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि पनियाला के पत्तों में सूक्ष्म जीवरोधी और बैक्टीरियारोधी गुण भी पाए जाते हैं। अफ्रीकन जर्नल ऑफ बेसिक एंड अप्लाइड साइंसेस में प्रकाशित एक शोध पनियाला के दमारोधी होने की भी पुष्टि करता है।

संरक्षण के प्रयास
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 4-5 दशक पहले तक पनियाला खूब होता था। धीरे-धीरे किसानों का रुझान दूसरी फसलों की ओर बढ़ने की वजह से उनका ध्यान पनियाला की तरफ से हटने लगा। नतीजतन अब गोरखपुर में पनियाला के कुछ ही पेड़ बचे हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश वन विभाग के जैव विविधता बोर्ड ने अब इसके संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है, और गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी पनियाला पर शोध चल रहा है। इसलिए उम्मीद की जा सकती है पनियाला का वजूद बचाए रखने में कामयाबी मिलेगी।

हेल्थ ड्रिंक के लिए सामग्री 
पनियाला: 10 कप
पानी: 10 लीटर
चीनी: 20 कप
यीस्ट: 4 चम्मच
विधि: एक बड़े बर्तन में पनियाला को धो लें। अब उसमे 10 लीटर पानी उड़ेलें। इसमें 10 कप चीनी और यीस्ट डालकर मिलाएं। अब मिश्रण वाले बर्तन को ढंक कर 21 दिनों के लिए छोड़ दें। अब मिश्रण को छानकर तरल पदार्थ अलग कर लें। इस तरल पदार्थ में अतिरिक्त 10 कप चीनी मिलकर बोतलों में सहेजकर रखे। लीजिये तैयार है पनियाले से बना हेल्थ ड्रिंक।

पनियाला का अचार
पनियाला: 1 किलो
लहसुन: 100 ग्राम
अदरख: 100 ग्राम
हरी मिर्च: 100 ग्राम
सरसों का तेल: 200 ग्राम
मेथी: 50 ग्राम
हींग: 1 छोटी चम्मच
विधि: एक कड़ाही में सरसों का तेल डालकर गर्म करें। अब इसमें पनियाला, लहसुन, छोटे-छोटे टुकड़ों में कटे अदरख और हरी मिर्च को हल्का-सा तल लें। इसके बाद मिश्रण में मेथी और हींग डालें। अब इसे कांच के मर्तबान में डालकर फ्रिज में रखें। फ्रिज में संरक्षित करें। यह अचार कई महीनों तकखाने योग्य बना रहता है।

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