बड़े काम का कुट्टू

कम कैलोरी वाला यह वैकल्पिक अनाज मधुमेह के रोगियों के लिए आदर्श माना जाता है

By Chaitanya Chandan

On: Monday 17 December 2018
 
कुट्टू का केक। विटामिन बी से भरपूर यह अनाज खून को पतला और कोलेस्ट्रोल कम करने में मददगार है (विकास चौधरी / सीएसई)

नवरात्रि आते ही किराने की दुकानों में कुट्टू का आटे की मांग बढ़ जाती है। नवरात्रि में हिंदू धर्मावलंबी नौ दिनों का उपवास रखते हैं और अनाज नहीं खाते। ऐसे में कुट्टू, जिसे अनाज की श्रेणी में नहीं रखा जाता, का उपभोग व्रत के दिनों में लोग करते हैं। व्रती इन दिनों कुट्टू के आटे की पूरी और हलवा बनाकर खाते हैं। कुट्टू को अंग्रेजी में बकव्हीट कहते हैं। इसके नाम के साथ भले ही व्हीट जुड़ा हो, लेकिन इसका गेहूं के परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल इसका नाम का बक एक अन्य पेड़ बीच नट ट्री के बीज के नाम से पड़ा, क्योंकि उस पेड़ के बीज काफी बड़े होते हैं और कुट्टू के बीज का आकार उसके समान होता है। व्हीट शब्द इसके अनाज जैसे इस्तेमाल के कारण पड़ा। ऑनलाइन एटिमोलोजी डिक्शनरी के अनुसार बकव्हीट शब्द डच शब्द बोइकवीट का अनुवाद हो सकता है। कुट्टू का वनस्पतिक नाम फागोपाइरम एस्कूलानटम है।

कुट्टू को एक छद्म अनाज कहा जा सकता है, क्योंकि इसके पौधे मुख्यतः झाड़ी की तरह होते हैं। कुट्टू को अम्लीय और कम उपजाऊ जमीन में भी उगाया जा सकता है। यह खरपतवार को दूर रखता है और मिट्टी को कटाव से भी बचाता है। हालांकि कुट्टू की खेती में किसानों की रुचि बीसवीं शताब्दी के बाद कम होने लगी। इसका कारण नाइट्रोजन उर्वरकों के इस्तेमाल में वृद्धि थी। क्योंकि ये उर्वरक अन्य मुख्य अनाजों की उत्पादकता को बढ़ाने में कारगर साबित होने लगे थे।

इकोनॉमिक बॉटनी नामक जर्नल में वर्ष 1998 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार कुट्टू की खेती सबसे पहले करीब 6,000 ईसापूर्व दक्षिण-पूर्व एशिया के इनलैंड नामक देश में की गई थी। यहीं से इसका विस्तार मध्य एशिया, तिब्बत, मध्य पूर्व और यूरोप में हुआ। जर्नल ऑफ इनोवेशन फॉर इनक्लूसिव डिवेलपमेंट में वर्ष 2016 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कुट्टू का सबसे पुराना अवशेष चीन में पाया गया है, जिसके करीब 2,600 ईसा पूर्व पुराना होने का अनुमान है। जापान में कुट्टू का सबसे पुराना पराग मिला है जो करीब 4,000 ईसा पूर्व का है।

दुनियाभर में कुट्टू के तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जापान, चीन और कोरिया में जहां कुट्टू के नूडल बनाए जाते हैं, वहीं इटली में “ फ्लैट रिबन पास्ता” बेहद चाव से खाया जाता है। फ्रांस के ब्रितानी क्षेत्र में कुट्टू के पैनकेक बनाए और खाए जाते हैं। पिछले कुछ सालों से कुट्टू का इस्तेमाल ग्लूटन-फ्री बीयर बनाने के लिए दूसरे अनाजों के विकल्प के तौर पर किया जाने लगा है। 16वीं शताब्दी में जापान में कुट्टू से शोशू नामक पेय बनाया जाता था जिसका स्वाद जौ के समान होता था।

वहीं कोरिया और जापान में भुने हुए कुट्टू से चाय बनाई जाती है, जिसे मेमिल-चा और सोबा-चा कहा जाता है।

कुट्टू के छिलके का इस्तेमाल तकिए में भरने के लिए भी किया जाता है। योन्से मेडिकल जर्नल में वर्ष 1987 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कुट्टू के छिलके काफी टिकाऊ होते हैं और सिन्थेटिक रुई की तरह ऊष्मा पैदा नहीं करते। इसलिए ऐसे तकिए बेहद आरामदायक होते हैं।

कुट्टू के पर अंतरराष्ट्रीय सिंपोजियम वर्ष 1980 से हर तीन साल में इंटरनेशनल बकव्हीट रिसर्च एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया जाता है। इसमें कुट्टू की उपज बढ़ाने, नई प्रजातियां विकसित करने, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग आदि से संबंधित विषयों पर चर्चा की जाती है।

औषधीय गुण

कुट्टू में निहित पोषक तत्व इसे एक वैकल्पिक खाद्य के रूप में स्थापित करते हैं। यह कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है, इस कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए आदर्श भोजन माना जाता है। जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड केमिस्ट्री के दिसंबर 2003 के अंक में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, कुट्टू का नियमित उपभोग खून में सीरम ग्लूकोज की मात्रा को घटाकर टाइप-II मधुमेह को नियंत्रित रखता है। फाइटोथेरेपी रिसर्च नामक जर्नल के जुलाई 2009 के अंक में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि कुट्टू मैंगनीशियम का एक प्रमुख स्रोत है जो धमनियों को आराम देता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।

द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के फरवरी 1995 अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कुट्टू में विटामिन बी (खासकर नाइसिन, फोलेट और बी6) प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो खून को पतला रखने और कोलेस्ट्रोल कम करने में मददगार होता है। वहीं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मोलिक्युलर साइंसेस में दिसंबर 2010 में प्रकाशित एक शोध बताता है कि कुट्टू में फाइबर की अधिकता प्री-मीनोपोजल महिलाओं में स्तन कैंसर के खतरे को कम करता है।

व्यंजन

कुट्टू केक

सामग्री

  • कुट्टू का आटा: 1-1/2 कप
  • केला : 2 (पका हुआ)
  • बेकिंग पाउडर : 2 चम्मच
  • बेकिंग सोडा : 1 चम्मच
  • वनीला एसेंस : आधा चम्मच
  • चीनी : 1 कप
  • मक्खन : 100 ग्राम
  • नारियल पाउडर : आधा कप

विधि:  एक बड़े कटोरे में कुट्टू का आटा, चीनी, बेकिंग पाउडर, बेकिंग सोडा को अच्छी तरह मिलाएं। इस मिश्रण में पिघलाया हुआ मक्खन डालकर अच्छी तरह से मिला लें। वनीला एसेंस और अब पके हुए केले को चम्मच की सहायता से मैश करके बैटर में डालें और इस मिश्रण को एक बड़े चम्मच से अच्छी तरह से मिलाएं। बैटर तैयार है। अब माइक्रोवेव को प्री-हीट करें, बैटर को सांचे में डालकर 180 डिग्री सेंटीग्रेड पर 35 मिनट तक पकाएं। 10 मिनट रुककर केक को माइक्रोवेव से बाहर निकलें। ठंडा करके परोसें। 

पुस्तक

सीजन: बिग फ्लेवर्स, ब्यूटिफुल फूड  
लेखक: निक शर्मा
प्रकाशक: क्रोनिकल बुक्स   
पृष्ठ: 288 | मूल्य: $35.00

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