2019 के चुनाव ने औरतों की भूमिका को बढ़-चढ़कर रेखांकित किया है। और उन्हें दोबारा फोकस में ला दिया है
शम्पा देवी (32) बरेली, उत्तर प्रदेश –गैस सिलेंडर और शौचालय से खुश है। ये उसे क्रमशः उज्ज्वला और स्वच्छ भारत योजना के तहत मिले हैं। वह याद करती है कि इस तरह पैसे उसके खाते में ट्रांसफर हुए। और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से उसके पति और गांव के अन्य लोगों को फायदा मिला। चुन्नी देवी (25), मधुबनी, बिहार, संतोष देवी(40), बरेली भी उज्ज्वला योजना के बारे में समान राय रखती हैं।
2019 के चुनाव ने औरतों की भूमिका को बढ़-चढ़कर रेखांकित किया है। और उन्हें दोबारा फोकस में ला दिया है। इसका पहला कारण तो यह है कि इस चुनाव में पुरुषों और महिलाओं का वोट प्रतिशत लगभग समान है। पुरुषों के वोट 66.79 प्रतिशत और महिलाओं के 66.66 प्रतिशत रहे हैं। इन वोटों ने सालों के बाद एक दल के बहुमत( भा.ज.पा) और नेतृत्व को वापस ला दिया है।
सत्रहवीं लोकसभा में अठहत्तर महिला सांसद हैं। जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।
और जो महिला वोटर अबतक खामोश रहकर वोट देती थीं, वे अब मुखर हो उठी हैं । इसका उदाहरण पहली बार बिहार के चुनावों(2010) में देखने को मिला था। जिसमें कि क्रांतिकारी बालिका साइकिल योजना ने महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस योजना से महिला वोटरों को टारगेट करने की शुरुआत हुई।
महिला केंद्रित योजनाएः
प्रणय राय एवं दोराब आर सोपारीवालाकी हाल ही में आई किताब –द वर्डिक्ट (2019) बताती है कि औरतों ने कितनी बड़ी संख्या में वोट दिया। यह संख्या 1962 में 47 प्रतिशत थी और 2014 में 66 प्रतिशत तक जा पहुंची। समाज में औरतें सबसे महत्वपूर्ण इकाई हैं जो वोट देती हैं। महिला केंद्रित बहुत सी योजनाएं कृषि समाज के ढ़ांचे को महिलाओं की पहुंच में लाती हैं । इनके जरिए महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं। इसी प्रकार स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाएं महिलाओं को गरिमा पूर्ण जीवन देती हैं। इसीलिए बहुत सी महिलाएं शौचालय को इज्जतघर के नाम से पुकारती हैं। स्वच्छ भारत और उज्ज्वला जैसी योजनाएं ग्रामीण संसाधनों और सम्पदा तक उनकी पहुंच को बढ़ाती हैं। वित्तीय समावेशी योजनाएं जैसे कि बेटी बचाओ, प्रधानमंत्री जन-धन, सुकन्या समृध्दि योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आदि ने इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुत लाभ पहुंचाया है। ये योजनाएं दान के मुकाबले औरतों की हिस्सेदारी को मजबूत करती हैं। और समाज के विकास में उनकी भूमिका को बढ़ाती हैं।
जैसे कि हरियाणा में लड़कियों की संख्या बहुत कम थी। सरकार बेटियों की संख्या बढ़ना चाहती थी। इसलिए सरकार ने बेटी बचाओ अभियान इसी राज्य से शुरू किया। इसी तरह उज्ज्वला योजना को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से शुरू किया गया। याद रहे कि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा सांसद लोकसभा में जाते हैं। इसी तरह मनरेगा जैसी योजना( यू पी ए 1, 2) के अंतर्गत महिला और पुरुषों कोसमान वेतन दिए गए।हाल ही में आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए बस और मेट्रो में मुफ्त यात्रा की घोषणा की है। ये सभी राजनीतिक
और चुनावी रणनीतियां हैं जो कि महिला केंद्रित विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं।जिससे कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हो सके। इससे ग्रमीण और शहरी महिलाएं आर्थिक रूप से सबल बनेंगी।यह महिला के राजनीतिक और समाजिक सशक्तिकरण की दिशा में पहला कदम है।
आर्थिक स्वामित्वः
उज्ज्वला योजना ने सामाजिक और मानवीय सशक्तिकरण में तो भूमिका निभाई ही,महिलाओं के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा। इसे प्रदूषण कम करने की कोशिश के तौर पर भी देखा गया। सात से चौदह जिलों में सात करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए। शम्पा और संतोष ने जैसा कि बताया इस योजना ने औरतों के जीवन को काफी बदला।
पुराने मुहावरे में जो राज्य बीमारू कहलाते थे, अगर उन्हें हम देखें तो 18.06.2019 तक बिहार में79,27,059 मध्य प्रदेश में64,67,829 राजस्थान में57,54,390उत्तर प्रदेश में1,30,68,555जहां बी जेपी ने अस्सी में से बासठ सीटें जीतीं वहां छत्तीस गढ़ में26,91,002 उड़ीसा में42,49,974गैस कनेक्शन दिए गए।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि तमाम संसाधनों और जमीनी मालिकाना हक औरतों के पास अकसर नहीं होते। लेकिन उज्ज्वलातथा ऐसी ही अन्य योजनाएं औरतों को मालिकाना हक देती हैं। जमीन पर मालिकाना हक न होना ही ग्रामीण जीवन से जुड़ी गरीबी का परिचायक है। और यही औरतों और आदमियों के बीच गैर बराबरी का सूचक भी है। जैसे कि एन सी ए ई आर के आंकड़ों के मुताबिक कृषि के कामों में बयालीस प्रतिशत महिला मजदूर काम करती हैं लेकिन उनके पास मात्र दो प्रतिशत खेती की जमीन ही है। जमीन पर मालिकाना हक के अभाव में महिलाओं को सरकारों व्दारा दिए गए इन तमाम आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों से संतोष महसूस होता है। जैसे कि घर के छोटे-छोटे सामान, छोटी बचत, सिलाई मशीन, कुकर, मिक्सी , पशुधन और आभूषण आदि। इसी प्रकार सरकारी प्रमाण पत्र जैसे कि वोटर आई डी, आधार, जन-धन खाता, मनरेगा का जाब कार्ड , एन आर एल एम के अंतर्गत लोन की सुविधा से वह सामाजिक भागीदारी और सशक्त महसूस करती हैं। उऩ्हें यह भी महसूस होता है कि समाज में उनकी भूमिका को भी पहचाना जा रहा है।
इस संदर्भ में उज्ज्वला और प्रधानमंत्री आवास योजना उनके समाज में अलग-थलग पड़ जाने को कम करती हैं। क्योंकि उज्ज्वला में गैस कनेक्शन घर की महिला के नाम होता है। प्रधानमंत्री आवास में भी घर का मालिकाना हक महिला को मिलता है। शोध के मुताबिक सम्पत्ति का अधिकार ही नहीं इसका स्वामित्व औरतों के प्रति हिंसा को भी कम करता है। आर्थिक सबलीकरण जैसे कि मुद्रा योजना
ने सत्रह प्रतिशत से अधिक ऋण औरतों को दिए। ये औरतों की गरीबी दूर करने का माध्यम बने। इसी प्रकार कामकाजी औरतों को छह महीने का मातृत्व अवकाश, तीन तलाक को अपराध साबित करने वाला कानून, से मुसलमान महिलाओं को राहत मिली। इससे औरतों की आगे बढ़ने की क्षमता बढ़ी। 2014 के आर्थिक सर्वे में पहली बार जैम ट्रिनिटी( जन, धन , आधार, मोबाइल) शब्द का इस्तेमाल किया गया था। इसने भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत से जिताया।
इस समय यह कहना उचित होगा कि आधार से जुड़ा सीधा कैश ट्रांसफर योजना का मूल स्रोत यू पी ए टू में खोजा जा सकता है। इसी प्रकार अधिकार आधारित योजनाएं जैसे कि भोजन का अधिकार(2013)एवं मनरेगा(2006) ने आदमी और औरतों के वेतन को समान किया। ये कुछ ऐसी सफलता की कहानियां हैं जो महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिरण को ठीक से परिभाषित करती हैं।
नई सरकार को अपने महिला सम्बंधी एजेंडा को आगे बढ़ाना चाहिए। जिसका पहला कदम विमैन फार्मरस एनटाइटलमेंट बिल जो कि राज्यसभा के सांसद एम एस स्वामीनाथन ने 2011 में प्रपोज किया था, उसकी सिफारिशों पर जल्दी से जल्दी अमल किया जाए।
गैस सिलेंडर जैसी घरेलू उपकरणों की सुविधाएं और जमीन का स्वामित्व लैंगिक भेदभाव और आर्थिक गैर बराबरी को हटाने में दूर तक मददगार होगा।
We are a voice to you; you have been a support to us. Together we build journalism that is independent, credible and fearless. You can further help us by making a donation. This will mean a lot for our ability to bring you news, perspectives and analysis from the ground so that we can make change together.
Comments are moderated and will be published only after the site moderator’s approval. Please use a genuine email ID and provide your name. Selected comments may also be used in the ‘Letters’ section of the Down To Earth print edition.