गुरुग्राम में सौर ऊर्जा से मिल सकती है 100 मेगावाट बिजली

गुरुग्राम में 320 दिन धूप रहती है और यहां 5.5 से 6.5 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ग मीटर क्षमता की सोलर रेडिएशन की पहुंच रहती है

By DTE Staff

On: Wednesday 05 June 2019
 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) के शोधकर्ताओं द्वारा एनसीआर में सोलर रूफटॉप (छत पर सौर ऊर्जा प्लांट) और सौर ऊर्जा की संभावनाओं को लेकर तैयार की गई एक आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुग्राम सौर ऊर्जा का अग्रदूत बन कर सही मायने में आधुनिक एवं स्मार्ट सिटी बनने का विजन रखता है, लेकिन यह विजन तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक सभी रेजिडेंशियल सेक्टर और घर सौर ऊर्जा को न अपना लें। गुरुग्राम, जहां लगभग हर रेजिडेंशियल सेक्टर में प्रदूषित हवा छोड़ते डीजल से चलने वाले जनरेटर का इस्तेमाल हो रहा है में छत पर सौर ऊर्जा प्लांट (एसआरटी) एक बड़ा गैर प्रदूषित और सस्ता विकल्प साबित हो सकता है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर बुधवार को सीएसई ने गुरुग्राम के सिविल एक्शन ग्रुप गुड़गांव फर्स्ट के सहयोग से एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें गुरुग्राम में सौर ऊर्जा का भविष्य के बारे में बातचीत की गई। कार्यक्रम में केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह सहित गुरुग्राम के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के अलावा नगर निगम के अधिकारी एवं सिविल सोसायटी के सदस्य भी शामिल हुए।

सीएसई ने अपने अध्ययन में कहा कि गुरुग्राम एक ऐसा शहर है, जहां बड़ी संख्या में रेजिडेंशियल सोसायटीज हैं और बहुमंजिला इमारतें हैं, जिनमें 24 घंटें सातों दिन बिजली देने के लिए डीजल जनरेटर का इस्तेमाल होता है। इसका असर वायु की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। यह जनरेटर शहर को जहरीली धुएं में तब्दील कर रहे हैं। गुरुग्राम में जनरेटर शुरू होते ही पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर दो से तीन गुणा बढ़ जाता है। प्रदूषण का यह स्तर शहर के नागरिकों के लिए कई तरह की दिक्कतें पैदा कर रहा है।

भारत ने साल 2022 तक अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 175 गीगावाट करने की योहना है। इसमें से 40 गीगावाट छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा प्लांट (सोलर रूफटॉप) से मिलने की उम्मीद है। लेकिन अब लक्ष्य काफी दूर है। दिसंबर 2018 तक देश में लगभग 1.8 गीगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप प्लांट लगाए गए हैं। हरियाणा ने 2022 तक 1600 मेगावाट का लक्ष्य रखा है, लेकिन मार्च 2019 तक केवल 104 मेगावाट क्षमता ही हासिल की जा सकी है।  

मार्च 2019 तक एचएआरईडीए (HAREDA) का अनुमान है कि मार्च 2019 तक केवल 35 मेगावाट क्षमता के प्लांट ही लग पाए हैं। यह हाल तब है, जब कि गुरुग्राम में 320 दिन धूप रहती है और यहां 5.5 से 6.5 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ग मीटर क्षमता की सोलर रेडिएशन की पहुंच रहती है और यहां सोलर रूफटॉप से लगभग 100 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। 

अच्छी बात यह है कि गुरुग्राम ने सोलर रूफऑप को लगाने के मामले में गुरुग्राम ने कई सफल और प्रेरित उदाहरण पेश किए हैं। सुशांत लोक-एक में रह रहे प्रशांत बेहकी ने अपने बिजली के बिल लगभग 98 फीसदी की कमी कर ली है, बल्कि कुछ महीने तो नेगेटिव बिल आया है। डीएलएफ-5 में विलिंगटन एस्टेट आरडब्ल्यूए ने देश का सबसे बड़ा सोलर रूफटॉप लगाया है, जिसकी क्षमता 200 किलोवाट है। इस सोलर प्लांट की वजह से कंप्लेक्स के बिजली के बिल में 25-30 फीसदी कमी आई है। हरियाणा में अब आपूर्ति के लिए अतिरिक्त बिजली की जरूरत नहीं है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के मुताबिक, 2019 में हरियाणा के पास आपूर्ति के मुकाबले 29 फीसदी अधिक बिजली है। ऐसे में, हरियाणा को प्रदूषित तत्वों से पैदा होने वाली बिजली की जरूरत नहीं है, इसलिए हरियाणा को स्वच्छ व वैकल्पिक ऊर्जा की ओर बढ़ना चाहिए।

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