कोविड-19 के चलते 37 करोड़ बच्चों को नहीं मिल पाया स्कूलों में भोजन

कोरोना महामारी के चलते 2020 में 3,900 करोड़ वक्त का भोजन वितरित नहीं हो पाया था

By Lalit Maurya

On: Thursday 28 January 2021
 

कोविड-19 और उसके चलते होने वाले लॉकडाउन के कारण 199 देशों के करीब 160 करोड़ विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। यह मामला सिर्फ उनकी शिक्षा का ही नहीं है यह उनके पोषण से भी जुड़ा है, क्योंकि दुनिया के कई हिस्सों में स्कूल बच्चों को जरुरी पोषण और भोजन उपलब्ध कराते हैं।

भारत की मिड डे मील योजना भी उनमें से एक है। जिसके अंतर्गत बच्चों को पोषण प्रदान करने के लिए स्कूलों में मुफ्त भोजन की व्यवस्था की जाती है। अनुमान है कि स्कूलों के बंद होने के कारण 150 देशों के 37 करोड़ बच्चों को स्कूल में भोजन नहीं मिल पाया था। यह जानकारी हाल ही में यूनीसेफ और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम द्वारा सम्मिलित रूप से जारी रिपोर्ट में सामने आई है।

यदि 2019 के लिए जारी आंकड़ों पर गौर करें तो इनके अनुसार दुनिया के 55 देशों में स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है। यहां के 13.5 करोड़ लोग खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं, जबकि 200 करोड़ लोगों को अभी भी पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। ऐसे में कोविड-19 महामारी ने स्थिति को और बदतर बना दिया है। अनुमान है कि इस महामारी के चलते 2020 के अंत तक और 12.1 करोड़ लोग खाद्य संकट का सामना करने को मजबूर हो जाएंगे।

गौरतलब है कि अब तक दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के 10 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि इसके कारण 21 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। भारत में भी इस महामारी के एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

कैसे मिलेगा पोषण, 3,900 करोड़ वक्त का भोजन नहीं हुआ वितरित

दुनिया भर में 5 वर्ष से छोटे करीब 14.4 करोड़ बच्चे अपनी उम्र के लिहाज से ठिगने हैं, जबकि इस महामारी के कारण उनकी संख्या में 34 लाख का और इजाफा कर देगा। इसी तरह 5 से 19 वर्ष की 7.4 करोड़ बच्चियां और 11.7 करोड़ लड़के लम्बाई के हिसाब से पतले हैं। ऐसे में स्कूलों में मिलने वाला भोजन उनके पोषण के  लिए कितना जरुरी है इस बात को आप खुद ही समझ सकते हैं।

जब इस बीमारी की दवा बन चुकी है तो सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को खोलना भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हालांकि जब स्कूल बंद थे तो कई जगहों पर बच्चों को राशन घर ले जाने और उनके खातों में जरुरी धनराशि डालने की व्यवस्था की गई थी। जिसके तहत जरूरतमंदों को पर्याप्त मदद मिलते रहे। पर इन सबके बावजूद 2020 में 3,900 करोड़ वक्त का भोजन वितरित नहीं हो पाया था। इन सभी ने उपायों ने खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, पर फिर भी यह कोई लम्बी अवधि तक चलने वाले समाधान नहीं हैं।

ऐसे में स्कूलों को सुरक्षित रूप से पुनः खोलने पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए। स्कूलों में भोजन की व्यवस्था पोषण वितरण का सबसे अधिक प्रभावी उपाय है, जो न केवल बच्चों को शिक्षित करता है साथ ही उनके स्वास्थ्य में भी सुधार करने में मददगार होता है। स्कूलों में भोजन की व्यवस्था बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करती है। यह योजना समाज के गरीब तबके के साथ-साथ बच्चियों की शिक्षा और स्वास्थ में भी योगदान करती है। ऐसे में इस कोरोना संकट के बाद स्कूलों में इन पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। जिससे समाज का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित हो सके।

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