प्रदूषण के चलते कोबाल्ट खनिकों के बच्चों में आ रहे हैं जन्म सम्बन्धी विकार

कोबाल्ट और कॉपर माइनिंग से जो वातावरण दूषित होता है, वो नवजात शिशुओं में असामान्य अंगों और स्पाइना बिफिडा जैसी जन्मजात विकृति का कारण बन रहा है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 06 May 2020
 
Wikimedia Commons

हाल ही में किये गए एक शोध से पता चला है कि कॉपर और कोबाल्ट माइनिंग से हो रहा प्रदूषण खनिकों के बच्चों में जन्म सम्बन्धी विकारों का कारण बन रहा है| कोबाल्ट एक ऐसा खनिज है जिसका उपयोग स्मार्टफोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक कारों के लिए रिचार्जेबल बैटरी बनाने में होता है| जिसकी कीमत खनिकों और उनके बच्चों को चुकानी पड़ती है, जो इसकी खानों में मजदूरी करते हैं| अफ्रीका के ज़ांबिया और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में बड़े पैमाने पर इसका खनन किया जाता है| डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में किये इस अध्ययन के अनुसार कोबाल्ट और कॉपर माइनिंग से जो वातावरण प्रदूषित होता है, वो वहां के नवजात शिशुओं में स्पाइना बिफिडा और अंगों के विकार जैसी जन्मजात विकृति का कारण बन रहा है| यह अध्ययन अंतराष्ट्रीय जर्नल लांसेट में प्रकाशित हुआ है|

गौरतलब है कि स्पाइना बिफिडा एक जन्म सम्बन्धी विकार है, जिसमें रीढ़ की हड्डी और मेरुदंड सही तरह से नहीं बन पाते हैं। इसको न्यूरल ट्यब डिफेक्ट्स की श्रेणी में रखा जाता है। न्यूरल ट्यूब भ्रूण की एक संरचना होती है जो बाद में भ्रूण के मस्तिष्क और मेरुदंड के रूप में विकसित हो जाती है। जिन बच्चों में स्पाइना बिफिडा की समस्या होती हैं, उनके मेरूदंड और रीढ़ की हड्डी में दोष उत्पन्न हो जाता है। जिसके कारण बच्चे में मानसिक और शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं।

दुनिया के करीब 60 फीसदी कोबाल्ट का उत्पादन करता है डीआरसी

डीआरसी दुनिया के करीब 60 फीसदी कोबाल्ट का उत्पादन करता है| आंकड़ों के अनुसार डीआरसी ने 2019  में करीब 1 लाख मीट्रिक टन कोबाल्ट का उत्पादन किया था| यही वजह है कि ज़ाम्बिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की सीमा पर स्थित यह अफ्रीकी कॉपर बेल्ट, दुनिया के दस सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है| इस क्षेत्र लुबुंबशी (कटंगा) में बड़े पैमाने पर कोबाल्ट और कॉपर का खनन किया जा रहा है| जो यहां के वातावरण को दूषित कर रहा है| जिसका असर इस कॉपरबेल्ट में काम करने वाले खनिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है|  

इसे समझने के लिए डीआरसी के लुबंबाशी और बेल्जियम के ल्यूवेन और गेंट विश्वविद्यालयों ने मिलकर इस क्षेत्र के नवजात शिशुओं पर यह अध्ययन किया है| जिसके लिए शोधकर्ताओं ने इस माइनिंग बेल्ट में जन्मे 138 और लुबंबाशी खनन क्षेत्र के बाहर जन्मे 108 बच्चों के स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन किया है। जिसमें यह सामने आया है कि जिन शिशुओं के माता-पिता कॉपर और कोबाल्ट की खदानों में काम करते हैं, उनमें जन्म सम्बन्धी विकार होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

यहां के स्थानीय चिकित्सकों और गैर सरकारी संगठन काफी समय से नवजात शिशुओं में स्पाइना बिफिडा और अंगों के विकार जैसी जन्मजात विकारों के लक्षण देखे थे जिसे समझने के लिए यह अध्ययन किया गया था| डॉ डान वान ब्रुसेलेन, जोकि गेन्ट विश्वविद्यालय में बाल रोग विशेषज्ञ है और इस अध्ययन से भी जुड़े हुए है| उनके अनुसार "जिन बच्चों के माता-पिता खनन से जुड़े है उनमें प्रदूषण के कारण जन्म सम्बन्धी विकार का खतरा कहीं ज्यादा होता है|"

पहले भी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में मानव अधिकारों और पर्यावरण को लेकर कोबाल्ट माइनिंग से जुड़े विवाद सामने आये हैं| ऐसा ही एक मुकदमा दिसंबर 2019 में सामने आया था| जिसमें एप्पल, डैल, एल्फाबेट, और टेस्ला जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ कोबाल्ट माइनिंग में बाल मजदूरों के शोषण के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था|

Subscribe to our daily hindi newsletter