पैदाइशी हृदय रोग का कारण बन सकता है कैडमियम का संपर्क

जन्मजात हृदय रोग एक ऐसा रोग है जिसमें जन्म के समय से ही हृदय की संरचना में विकार होता है। भारत में हर साल जन्म लेने वाले 2 लाख बच्चे इस रोग से ग्रसित होते हैं

By Lalit Maurya

On: Friday 04 November 2022
 

अमेरिका के राष्ट्रीय पर्यावरण स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (एनआईईएचएस) द्वारा की गई नई रिसर्च से पता चला है कि कैडमियम का संपर्क नवजाओं में पैदाइशी हृदय रोग का कारण बन सकता है। इसे समझने के लिए संस्थान से जुड़े वैज्ञानिकों ने एक नया त्रि-आयामी (3डी) मॉडल विकसित किया है जो दर्शाता है कि कैडमियम के संपर्क में आने से जन्मजात हृदय रोग कैसे हो सकता है। इस बारे में एक विस्तृत अध्ययन जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव में प्रकाशित हुआ है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जन्मजात हृदय रोग एक ऐसा रोग है जिसमें जन्म के समय से ही हृदय की संरचना में विकार होता है। उसमें एक या उससे ज्यादा समस्याएं बच्चों में जन्म के समय से ही होती हैं। यह रोग वयस्कों और बच्चों में हृदय से होने वाले रक्त के प्रवाह के तरीके को प्रभावित कर सकता है।

वहीं यदि कैडमियम की बात करें तो वो एक ऐसी धातु है जिसे खनन और विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं के माध्यम से पर्यावरण में छोड़ा जा रहा है। यह हवा, मिट्टी, पानी और तंबाकू में पाया गया है। जब पौधे इस मेटल को मिट्टी से अवशोषित करते तो उसके जरिए यह खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है ।

भारत में हर साल जन्म लेने वाले 2 लाख बच्चे इस रोग से होते हैं ग्रसित

पिछले शोधों में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि कैडमियम के संपर्क में आने से जन्मजात हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है। गौरतलब है कि जन्मजात हृदय रोग, अमेरिका में हर साल 40 हजार से ज्यादा नवजाओं को प्रभावित करने वाला सबसे आम जन्म दोष है।

वहीं यदि भारत की बात करें तो इस बारे में जर्नल इंडियन पीडिएट्रिक्स में 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि देश में हर साल जन्म लेने वाले 2 लाख बच्चे इस रोग से ग्रसित होते हैं। इनमें से करीब 20 फीसदी नवजातों में इसके गंभीर होने की सम्भावना है, जिसके लिए जीवन के पहले वर्ष में ही इलाज की जरूरत पड़ती है।

मानव कोशिकाओं और ऊतकों के आधार पर तैयार मॉडल, जिसे इन विट्रो मॉडल कहा जाता है, का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने एक 3D ऑर्गेनॉइड मॉडल तैयार किया है। यह मॉडल मानव हृदय के विकास की नकल करता है।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने हृदय के विकास के विभिन्न चरणों पर कैडमियम के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए तीन अलग-अलग मॉडल विकसित किए हैं। इन मॉडलों से पता चला है कि कैडमियम के निम्न स्तर के संपर्क में आने से भी वो कार्डियोमायोसाइट्स के सामान्य गठन को रोक सकता है।

अपनी इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने सबसे पहले मानव प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल का उपयोग भ्रूण के 3डी मॉडल को विकसित करने के लिए किया, जिससे मानव ऊतक और अंग निर्माण के शुरुआती चरणों की नकल की जा सके। फिर उन्होंने एक 2डी इन विट्रो मॉडल का उपयोग किया जिसमें एक फ्लोरोसेंट रेगुलेटरी प्रोटीन सिस्टम (एनकेएक्स2-5) शामिल था, जिसे हृदय विकास में शामिल होने के लिए जाना जाता है।

इसकी वजह से उन्हें एक्सपोजर के बाद कैडमियम विषाक्तता का पता चल पाया। वहीं 3डी कार्डियक ऑर्गेनॉइड मॉडल, जो दिल के धड़कने का सिमुलेशन कर सकता है, ने पुष्टि की कि अन्य दो मॉडलों में क्या देखा गया। यह मॉडल दर्शाता है कि कैडमियम की कम मात्रा भी कार्डियोमायोसाइट्स को ठीक से काम करने में कैसे रोक सकती है।

कार्डियोमायोसाइट्स एक प्रमुख प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जो हृदय का निर्माण करती हैं। शोधकर्ताओं ने एक जैविक तंत्र का भी खुलासा किया जो यह बता सकता है कि कैडमियम हृदय की असामान्यताओं को कैसे प्रेरित कर सकता है।

इस बारे में अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एरिक तोकर का कहना है कि, “हमने जो मॉडल बनाए हैं, वे न केवल कैडमियम के अध्ययन के लिए, बल्कि अन्य केमिकल और पदार्थों के अध्ययन के लिए भी उपयोगी हैं।“

अध्ययन से जुड़े अन्य शोधकर्ता जियान वू ने इस बारे में जानकारी दी है कि शुरूआती समय में निश्चित सीमा से ज्यादा कैडमियम का संपर्क कार्डियोमायोसाइट को रोकने के लिए एक नाटकीय प्रभाव डालता है। वहीं बाद के चरणों में इस जोखिम का प्रभाव नहीं दर्ज किया गया था। इतना ही नहीं उनके अनुसार कैडमियम एक्सपोजर ने कार्डिएक ऑर्गेनोइड को भी नुकसान पहुंचाया था।

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