जंगलों के नजदीक रहने वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य होता है बेहतर, आइए जानते हैं कैसे?

अध्ययन के मुताबिक जंगल के नजदीक रहने वाले किशोरों का दिमागी विकास की दर अधिक थी, यहां दो साल बाद होने वाले भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं का खतरा भी 16 फीसदी कम पाया गया।

By Dayanidhi

On: Thursday 22 July 2021
 
Photo : Wikimedia Commons

एक नए शोध में पाया गया है कि बच्चों और युवाओं के जंगल या पेड़-पौधों के निकट रहने से दिमागी विकास बेहतर होता है। साथ ही भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याएं भी इनमें कम पाई जाती हैं। इस तरह अच्छे प्रभावों को देखते हुए शहरी क्षेत्रों में निर्माण योजनाओं को बेहतर किया जा सकता हैं। यह शोध यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) और इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों की अगुवाई में किया गया है।

यह सबसे अनोखे अध्ययनों में से एक है, शोधकर्ताओं ने लंदन के 31 स्कूलों के 9 से 15 वर्ष की आयु के 3,568 बच्चों और किशोरों से संबंधित आंकड़ों का उपयोग किया है। किशोरों के लिए यह समय उनकी सोच, तर्क और दुनिया के बारे में समझ बढ़ाने के लिए के लिए महत्वपूर्ण होता है।

इस अध्ययन में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक शहरी वातावरण में विद्यार्थियों के दिमागी विकास, मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के बीच संबंधों को देखा गया। वातावरण को दो भागों में विभाजित किया गया था जिसमें पहली हरी जगह (ग्रीन स्पेस) - जिसमें जंगल, घास के मैदान और पार्क शामिल थे वहीं दूसरी नीली जगह (ब्लू स्पेस) जिसमें - नदियां, झीलें और समुद्र शामिल थे। शोधकर्ताओं ने अपने घर और स्कूल के 50, 100, 250 और 500 मीटर के भीतर इनमें से प्रत्येक वातावरण में प्रत्येक किशोर की दैनिक जोखिम दर की गणना करने में मदद के लिए उपग्रह के आंकड़ों का उपयोग किया।

इसमें अन्य बदलने वाले चीजों को जोड़ने के बाद, परिणामों से पता चला कि जंगल जहां चरागाह नहीं थे वहां के रहने वाले किशोरों का दिमागी विकास का स्कोर अधिक था। यहां दो साल बाद होने वाले भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं का खतरा 16 फीसदी कम पाया गया।

हरी जगह (ग्रीन स्पेस) के लिए एक समान लेकिन प्रभाव कम देखे गए। यहां दिमागी विकास का स्कोर अधिक था, लेकिन नीली जगह (ब्लू स्पेस) में ये प्रभाव नहीं देखा गया। शोधकर्ताओं ने इस बात पर गौर किया कि अध्ययन किए गए समूह में नीले स्थान तक पहुंच आम तौर पर कम पाई गई।

इसमें अन्य चीजों में बदलाव से भी काफी असर पड़ता है, उदाहरण के लिए युवा की आयु, जातीय पृष्ठभूमि, लिंग, माता-पिता का व्यवसाय और स्कूल का प्रकार आदि शामिल हैं। इसमें हो सकता है कि वायु प्रदूषण के स्तर ने किशोरों/युवाओं के दिमागी विकास को प्रभावित किया हो। लेकिन शोधकर्ताओं ने यह महसूस नहीं किया कि ये अवलोकन विश्वसनीय या निर्णायक थे और इनके बारे में आगे की जांच करने की आवश्यकता है।

यह अनुमान लगाया गया है कि लंदन में पांच से 16 वर्ष की आयु के 10 में से एक बच्चा या किशोर मानसिक रूप से पीड़ित हैं। इसमें हरेक के लिए हर साल बड़ी मात्रा में अतिरिक्त धन राशि व्यय करनी पड़ती है। वयस्कों की तरह, इस बात के भी प्रमाण हैं कि प्राकृतिक वातावरण बच्चों और किशोरों के दिमागी विकास और वयस्कता में मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है इसके बारे में बहुत कम जानकारी है।

इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि दिमागी विकास और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पारिस्थितिक तंत्र के फायदों को लेने के लिए शहरी क्षेत्रों में निर्माण योजनाओं, निर्णयों में प्राकृतिक वातावरण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। एक किशोर के निवास और स्कूल से दूर प्राकृतिक वातावरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसमें इस बात का भी पता चलता है कि जरूरी नहीं है कि हरेक वातावरण स्वास्थ्य के लिए अच्छा ही हो।

वन स्नान, उदाहरण के लिए जंगल की अलग-अलग जगहों, आवाजों और जंगलों की महक आदि, आराम देने वाली चिकित्सा है जो शरीर को होने वाले फायदों से जुड़ी हुई है। यह लोगों के प्रतिरक्षा प्रणाली को सहायता प्रदान करती है, हृदय गति में होने वाले बदलावों और लार कोर्टिसोल को भी कम करती है। इसके विभिन्न मनोवैज्ञानिक लाभ भी हैं हालांकि, हमें जंगलों से इन मनोवैज्ञानिक फायदों का अनुभव क्यों होता हैं, इसके बारे में जानकारी का अभाव है। यह अध्ययन नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुआ है।

यह बताना कठिन है कि जीवन भर हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक वातावरण इतना महत्वपूर्ण क्यों है। क्या ये फायदे इन वातावरणों में हमारे द्वारा किए जाने वाले शारीरिक व्यायाम से होते हैं? सामाजिक आधार पर परस्पर पड़ने वाले प्रभावों से है या जीवों और वनस्पतियों का हम इन वातावरणों या इन सभी से आनंद लेते हैं?

यूसीएल बायोसाइंसेज के प्रोफेसर केट जोन्स ने कहा हमारे नतीजों का एक संभावित स्पष्टीकरण यह हो सकता है कि वनस्पति और पशुओं की प्रचुरता की वजह से ऑडियो-विजुअल से मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं। भले ही हमारे परिणाम दिखाते हैं कि शहरी पेड़-पौधे किशोरों के दिमागी विकास और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है, इस संबंध के बारे में अभी भी अधिक जानकारी का अभाव है। प्रकृति और स्वास्थ्य के बीच संबंधों की हमारी समझ के लिए आगे शोध करना आवश्यक है।

नतीजों तक पहुंचने के लिए, शोधकर्ताओं ने 2014 से 2018 के बीच 3,568 किशोरों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। जिसमें उनके निवास का पता, मोबाइल फोन आदि को अध्ययन में शामिल किया गया था। प्रश्नावली में किशोरों द्वारा स्वयं दी गई जानकारी जिसमें उनकी ताकत और कठिनाइयां शामिल थी। किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण का आकलन किया गया। प्रश्नावली में भावनात्मक समस्याओं, आचरण, अति सक्रियता और सहकर्मी समस्याओं जैसे चीजों को भी शामिल किया गया था।

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