बिहार में कोरोना के 6242 संदिग्ध, अकेले सीवान में 3105

कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बंद होने से पहले ही जिले में कई मजदूर खाड़ी देशों से लौटें हैं

By Pushya Mitra

On: Friday 03 April 2020
 

बिहार का सीवान जिला कोरोना के गंभीर संक्रमण के मुहाने पर खड़ा नजर आ रहा है। बिहार में कोरोना के कुल 6242 संदिग्ध मरीजों में से लगभग 3105 इसी जिले से संबंधित बताए जा रहे हैं। हालांकि इनमें से बहुत कम लोगों का कोरोना टेस्ट हुआ है, मगर अब तक पांच मरीज कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इसके बावजूद राज्य का स्वास्थ्य विभाग जांच में तेजी लाने का प्रयास या किसी स्पेशल ड्राइव को चलाता नजर नहीं आ रहा। वहीं प्रोटोकॉल के खिलाफ जाकर झोला डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने का अभियान चलाने के आरोप में जिले के सिविल सर्जन को निलंबित और डीपीएम को बर्खास्त कर दिया गया है। इस वक्त जिले का स्वास्थ्य विभाग नेतृत्व विहीन होकर इस भीषण आपदा से लड़ रहा है।

जिले में 3 लाख पासपोर्ट धारी

सीवान जिले के मजदूर बड़ी संख्या में वेल्डर, फिटर व अन्य टेक्निकल नौकरियों में खाड़ी के मुल्कों में काम करते हैं। इस छोटे से जिले में लगभग तीन लाख पासपोर्ट धारी हैं और इनमें से ज्यादातर विदेशों में नौकरी कर रहे हैं। कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बंद होने से पहले ही जिले में कई मजदूर इन मुल्कों से लौट आए। ऐसे में यहां कोरोना के संक्रमण की बड़ी संभावना शुरुआत से रही है। इसी वजह से इस जिले के सर्वाधिक 3105 यात्री निगरानी में हैं, जिन्हें एयरपोर्ट या अन्य जगहों पर स्क्रीनिंग के दौरान संदिग्ध पाया गया था। इसके अलावा पड़ोसी जिले गोपालगंज में 510 और सारण में 425 मरीज संदिग्ध बताये जा रहे हैं। इस तरह इन तीन जिलों में कुल संदिग्धों की संख्या 4040 पहुंच गई है। मगर बिहार सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन के दस से अधिक दिन बीतने के बावजूद इनमें से बहुत कम लोगों की कोरोना जांच हुई है।

27 मार्च को पहली बार जब जिले का एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित पाया गया, तब जिले से कोरोना की जांच के लिए सैंपल भेजे जाने में तेजी आई। 31 मार्च को फिर चार लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए।

विदेश के आए लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें होम आइसोलेशन में नहीं रखा गया था। वे 23 मार्च से पहले घर आ गए थे और लोगों से घुलते मिलते रहे थे। पांच मरीज मिलने के बाद जिला प्रशासन ने इनके घर के आसपास के 7 किमी के इलाके को पूरी तरह बंद करके उसे सेनिटाइज करने का अभियान शुरू कर दिया है। मगर यह अभियान इसलिए जोर नहीं पकड़ रहा, क्योंकि इसी बीच जिले के सिविल सर्जन को निलंबित और जिला स्वास्थ्य कार्यक्रम पदाधिकारी को बर्खास्त कर दिया गया है।

नेतृत्वविहान जिला प्रशासन 

बिहार सरकार के संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने बुधवार, एक अप्रैल को पत्र जारी कर कहा है कि सिविल सर्जन अशेष कुमार ने विभाग से अनुमति लिये बगैर जिले के झोला छाप चिकित्सकों के पंजीयन और कोरोना संक्रमण को लेकर उनके ट्रेनिंग का आदेश जारी कर दिया था। बाद में सोशल मीडिया पर यह पत्र वायरल हो गया, जिससे बिहार सरकार की छवि धूमिल हुई है। यह प्रोटोकॉल के खिलाफ भी है, इसलिए उन्हें निलंबित किया जाता है। उनके साथ जिले के डीपीएम ठाकुर विश्व मोहन को बर्खास्त करने की भी सिफारिश सीवान के डीएम से की गई है। इस फैसले के बाद जिले में कोरोना संक्रमण से चल रही जंग नेतृत्वविहीन नजर आ रही है।

मौजूदा स्थिति और अभियान के बारे में जिले के स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, मगर कहीं से कोई समुचित जवाब नहीं मिला। सीवान के डीएम ने फोन नहीं उठाया और एडीएम रमण कुमार सिंहा ने कहा कि इस संबंध में कोई जानकारी देने के लिए वह अधिकृत नहीं हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण के सबसे गंभीर खतरे के मुहाने पर खड़ा बिहार का यह जिला संकट की ओर बढ़ता नजर आ रहा है।

सीवान ब्लड डोनर क्लब के प्रेसिडेंट नीलेश कुमार नील कहते हैं कि जिले के संक्रमण की जो गंभीरता है, उस लिहाज से कोई तैयारी नजर नहीं आ रही। लॉकडाउन भी ठीक से लागू नहीं हो पाया है, बाजार में भीड़ रोज जैसी ही दिखती है। शहर को सेनिटाइज करने का काम भी ढंग से नहीं हो रहा है। कुछ स्कूलों और होटलों को क्वारंटाइन करने की घोषणा भर हुई है।

पटना में जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े शकील कहते हैं कि चूंकि सीवान जिला ही नहीं बल्कि पूरा सारण प्रमंडल कोरोना संक्रमण के संदिग्धों के नजरिये से गंभीर है, इसलिए वहां तत्काल एक टेस्टिंग सेंटर खोल कर सभी संदिग्ध लोगों की जांच कराने की आवश्यकता है, ताकि इस प्रसार को रोका जा सके।

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