यूके में कोहराम मचाने के बाद भारत में भी मिले ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट बीए.2 के सैंपल

17 नवंबर, 2021 से लेकर अब तक दुनिया भर में करीब 40 देशों में सब-वेरिएंट बीए.2 के सैंपल मिल चुके हैं। भारत में भी इसके 530 सैंपल सामने आए हैं

By Lalit Maurya

On: Tuesday 25 January 2022
 
Photo : Wikimedia Commons

दुनिया भर में कोरोना वायरस (सार्स-कॉव-2) के ओमिक्रॉन वेरिएंट के नए सब-वेरिएंट बीए.2 का पता चला है, जिसने दुनिया भर में इस वायरस को लेकर चिंताओं को और बढ़ा दिया है। 

भारत ने ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग एवियन इन्फ्लुएंजा डेटा (जीआईएसएआईडी) के साथ जो आंकड़े साझा किए हैं उससे पता चला है कि देश में भी इस सब-वेरिएंट के करीब 530 सैंपल्स मिल चुके हैं। गौरतलब है कि जीआईएसएआईडी, वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस जीनोम सीक्वेंस का सबसे बड़ा डेटाबेस है।   

यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) इस पर लगातार नजर बनाए हुए है। इसके मुताबिक 06 दिसंबर 2021 से लेकर अब तक इस वेरिएंट के कुल 426 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा मामले लंदन में 146 और दक्षिण पूर्व में 97 मामले सामने आए हैं।   

इतना ही नहीं दुनिया के 40 अन्य देशों में भी इस नवीनतम संस्करण से जुड़े मामले का पता चला है। 17 नवंबर 2021 से इन 40 देशों ने जीआईएसएआईडी में इस संस्करण के कुल 8,040 सीक्वेंसेस अपलोड किए हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा 6,411 सैंपल डेनमार्क ने अपलोड किए हैं। वहीं भारत ने 530, स्वीडन ने 181 और सिंगापुर ने 127 सैंपल अपलोड किए हैं। इनके अलावा फिलीपींस, फ्रांस और नॉर्वे में भी इसके सैंपल मिले हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ओमिक्रॉन वेरिएंट बहुत तेजी से फैलने वाला संस्करण है, जिसमें काफी ज्यादा म्युटेशन हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन में 26 से 32 म्युटेशन देखे गए हैं। जो इसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने के साथ-साथ तेजी से फैलने के लायक बनाते हैं। यही वजह है कि इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है। इस वेरिएंट के चार वंश है जिनमें बी.1.1.529, बीए.1, बीए.2 और बीए.3 शामिल हैं।

क्या दूसरे वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक है सब-वेरिएंट बीए.2?

यही वजह है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए यूके के स्वास्थ्य विभाग ने इसे निगरानी के अंतर्गत यानी वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन रखा है। हालांकि इसे अब तक चिंताजनक वेरिएंट की श्रेणी में नहीं रखा है, फिर भी वैज्ञानिक गंभीरता को देखते हुए इसपर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

यूकेएचएसए के अनुसार अब तक यूके में जो जीनोम सीक्वेंस किए गए हैं उनके मुताबिक वहां बीए.2 की तुलना में बीए.1 के मामले आनुपातिक रूप से कम हैं। वहीं इसको लेकर जो प्रारंभिक विश्लेषण किए गए हैं उनके अनुसार इसके फैलने की दर बीए.1 की तुलना में कहीं ज्यादा है।

इस बारे में यूकेएचएसए की कोविड-19 इंसीडेंट डायरेक्टर डॉक्टर मीरा चंद का कहना है कि वायरस की प्रकृति विकसित होने की होती है जिसमें लगातार बदलाव आते रहते हैं। ऐसे में नए वेरिएंट के उभरने का खतरा हमेशा बना रहता है।

उनके अनुसार यह तय करने के लिए अभी पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि बीए.2, सब वेरिएंट बीए.1 की तुलना में कहीं ज्यादा खतरनाक है। हालांकि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह वायरस जिस तेजी से फ़ैल रहा है उसने सभी को चिंता में डाल दिया है। 

इस बारे में इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक का भी कहना है कि दोनों ही सब वेरिएंट बीए.1 और बीए.2 लगभग एक जैसे ही हैं। कई देशों में बीए.2 के जो सैंपल मिले हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि बीए.2, बीए.1 की तुलना में कहीं ज्यादा फैल सकता है। यही कारण है कि यह सब वेरिएंट बीए.2 इस समय चर्चा में है। 

दुनिया भर में कोविड-19 की जो आंधी है वो थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इसके अब तक 35.6 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 28.3 करोड़ ठीक हो चुके हैं। इतना ही नहीं यह वायरस अब तक 56.3 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। यदि भारत से जुड़े वर्तमान आंकड़ों को देखें तो देश में कोविड-19 के करीब 4 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 4.9 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।   

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