अनिल अग्रवाल डायलॉग: कोरोना महामारी ने खोली आंखें, स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने की जरूरत

विशेषज्ञों ने माना, स्वास्थ्य सेवाओं में गांव देहात से लेकर शहर, राज्य और केंद्र तक काम करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी चुनौतियों से निपटा जा सके

By Rohit Prashar

On: Wednesday 02 March 2022
 
राजस्थान के निमली स्थित अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में पहले दिन कोविड-19 महामारी पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। फोटो: विकास चौधरी

वैश्विक महामारी कोविड-19 ने देश की लचर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है। महामारी के दौरान भारत में उपयुक्त टेस्टिंग व्यवस्था का न होना, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर समेत अन्य कई तरह की स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का मंजर देखने को मिला। विशेषज्ञों ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं को गांव देहात से लेकर राज्य और केंद्र तक बेहतर करने की दिशा में कदम उठाने की सलाह दी है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा आयोजित अनिल अग्रवाल डायलॉग 2022 में कोविड-19 की लंबी यात्रा और इससे मिली सीख और भविष्य की तैयारियों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस सत्र के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं और लोक नीति निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य सुविधाओं को सुद्ढ करने पर बल देने की जरूरत की बात कही।

सत्र के दौरान डाउन टू अर्थ की एसोसिएट एडिटर विभा वार्ष्णेय ने कोरोना महामारी की लंबी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से पलायन बहुत बड़ी मात्रा में हुआ है और इससे लोगों के स्वास्थ्य खासकर मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि यह महामारी हमें बहुत कुछ सिखा कर गई है और हमें बैक टू बेसिक की ओर बढ़ते हुए अपने पर्यावरण को बचाना है और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए।

डॉयलॉग के दौरान पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ के श्रीनाथ रेड्डी ने कोरोना महामारी के दौरान डॉउन टू अर्थ की ओर से उठाए गए मुद्दों की सराहना की। उन्होंने कहा कि महामारी ने हमारी आंखे खोल दी है और हमें ग्रामीण स्तर से प्राथमिक केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधांओं को बेहतर करते हुए क्षेत्रीय, राज्य स्तरीय और केंद्र स्तर में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना होगा।

इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य इन्फ्रास्टक्चर को बेहतर करने के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की स्किल को भी डेवलप करना पड़ेगा, ताकि प्राथमिक स्तर पर ही बीमारियों की प्रारंभिक स्तर पर पहचान कर उनका ईलाज हो सके। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर प्रशिक्षण देकर डाटा एकत्रित करना भी सीखाना चाहिए। उन्होंने भविष्य में महामारी से निपटने के लिए होम बेस्ड केयर के बारे में लोगों को जागरूक करने की दिशा पर भी कदम उठाने पर बल दिया।

इसके अलावा अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक डॉ रामानन लक्ष्मीनारायण ने भारत में कोविड-19 और इससे जो सीख मिली है उस पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत ने कुछ समय रहते एहतियातन कदम उठाए थे जिनकी वजह से कोविड-19 को प्रसार भारत में तेजी से नहीं हो सका। लेकिन भारत में कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं की वजह दूसरी लहर में बहुत नुकसान हुआ। उन्होंने भी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की बात कही।

सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉ अंबरीश सात्विक ने भारत में ओमीक्रान के ट्रेंड, कोविड -19 की मृत्यु दर के ट्रेंड, वैक्सीन और इम्यूनिटी के बारे में जानकारी दी। डॉ सात्विक ने वैक्सीन को फायदों और इससे बचाव के साथ कोविड की वजह से लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

इसके अलावा डायलॉग के दूसरे सत्र के आखिर में वैक्सीन, लोक नीति एवं स्वास्थ्य प्रणाली के विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहारिया ने खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों के उपर महामारी की वजह से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि किसी भी महामारी में सबसे अधिक संवेदनशिल बच्चे और बुजुर्ग होते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में महामारी से सबसे अधिक प्रभावित बेशक युवा हुए हैं लेकिन बुजुर्गाें की मृत्यूदर बेहद अधिक है। डॉ लहारिया ने वैक्सीन के बारे में भ्रांतियों के बारे में भी जानकारी दी। 

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