क्या वैक्सीन लेने के बाद भी हो सकता है कोरोना?

विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रतिरक्षण के बावजूद कोई व्यक्ति कोरोना का शिकार बन सकता है और उसका प्रसार कर सकता है

By DTE Staff

On: Thursday 11 March 2021
 
Photo: Pixabay

अगर आप सोच रहे हैं कि कोविड-19 से बचने के लिए वैक्सीन लेने के बाद हमें मास्क से जल्दी ही छुटकारा मिल जाएगा तो आप गलत सोच रहे थे। इसके लिए आपको अमेरिका के सेंटर्स फाॅर डिजीज कंट्रोल एंड प्रवेंशन (सीडीसी) की आठ मार्च को जारी गाइडलाइंस के बारे में जान लेना चाहिए। 

भारतीयों विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि हमें अमेरिकी सीडीसी की गाइडलाइंस को हल्के में नहीं लेना चाहिए और वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना से बचाव के उपायों में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। वैज्ञानिकों ने डाउन टू अर्थ से कहा कि अगर हमें सीडीसी की गाइडलाइंस की बारीकियों को नहीं समझते या उसका सही मतलब नहीं निकालते तो यह हमारे लिए सही नहीं होगा।
 
सीडीसी ने अपनी गाइडलाइंस का पहला सेट प्रकाशित किया है, जिसमें पूरी तरह वैक्सीन ले चुके लोगों के लिए जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि दो बार वैक्सीन लेने के 28 दिन बाद लोग मास्क का उपयोग करना और शारीरिक दूरी बनाए रखना छोड़ सकते हैं। अगर वे घर या कार्यालयों के अंदर ऐसे लोगों के संपर्क में आते हैं, जिन्होंने वैक्सीन लगवा रखी है तो उन्हें उनसे शारीरिक दूरी का पालन करने की भी जरूरत नहीं होगी। 
 
गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि पूरी तरह वैक्सीन ले चुके लोग बिना मास्क या शारीरिक दूरी का पालन किए बगैर ऐसे लोगों से मिलने जा सकते हैं, जिन्होंने वैक्सीन नहीं ले रखी है। इनमें घरों के अंदर ऐसे लोग भी हो सकते हैं, जिन्हें कोविड-19 का हल्का खतरा हो। वैक्सीन ले चुके लोगों में अगर बिना लक्षणों वाले कोरोना की आशंका होती है तो उन्हें टेस्टिंग या क्वारनटीन करने की जरूरत भी नहीं होगी।
 
प्रतिरक्षा विज्ञानी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में फैक्लटी मेंबर विनिता बल, सीडीसी की गाइडलाइंस को अस्पष्ट और भ्रामक बताती हैं। वह कहती हैं, ‘इतनी बड़ी आबादी वाले हमारे देश में इस गाइडलाइंस का हर शब्द लागू करना बहुत जटिल है। यहां तक कि पढ़े-लिखे लोगों के लिए गाइडलाइंस की बारीकियां समझना मुश्किल है और अगर इसकी कोई पहले से तय व्याख्या की जाती है तो ज्यादा संभावना यह है कि वह गलत होगी।’
 
उनके मुताबिक, उदाहरण के लिए वैक्सीन की दो खुराक लेने के बाद भी शरीर में एंटीबाॅडीज बनने में दो हफ्ते का समय लगता है। उन्हें आशंका है कि ऐसी बारीकियों का मतलब समझने में परेशानी हो सकती है।
 
बल यह भी कहती हैं कि पिछले कुछ महीनों में हमारे देश के लोगों ने यह साबित किया है कि वे बारीकियों पर बहुत कम ध्यान देते हैं। उनके मुताबिक, ‘बड़ी मुश्किल से देश में कोरोना के मामले कम होना शुरू हुए हैं और हम देख रहे हैं कि लोगों ने मास्क का उपयोग करना छोड़ दिया है और सामाजिक समारोहों में शामिल हो रहे हैं। इसलिए यहां लोगों का भरोसा करना मुश्किल है। ’
 
लगभग सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञ और कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां इस बात से सहमत हैं कि कोविड-19 की वैक्सीन हमें कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी से तो बचाती है लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह हमें किसी भी तरह के संक्रमण से बचाए।
 
अशोका यूनिवर्सिटी में वायरस विज्ञानी शाहिद जमील के मुताबिक, ‘पूरी तरह वैक्सीन ले चुके लोग भी संक्रमित हो सकते हैं और दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं, हालांकि यह संक्रमण काफी हल्का होगा। मास्क तब तक जरूरी रहना चाहिए, जब तक कि इसके प्रमाण नहीं मिलते कि इसेे लगाए बिना संक्रमण नहीं फैलेगा। अभी एहतियात बरतना छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। ’
 
सीडीसी गाइडलाइंस कहती हैं कि पूरी तरह वैक्सीन ले चुके लोग में बिना लक्षणों वाले संक्रमण के होने की संभावना और दूसरों को सार्स-कोवी-2 से संक्रमित करने की संभावना काफी कम हो जाती है।
 
बल कहती हैं, ‘इसका मतलब यह है कि अगर किसी ने वैक्सीन ले रखी है और वह संक्रमित होता है तो उसके शरीर में बनी एंटीबाॅडीज (अगर वे पर्याप्त हैं तो) 90 फीसद वायरस को खत्म कर देंगी। इस तरह सौ नए वायरस के कण पैदा होने की बजाय केवल दस नए कण पैदा होंगे। इस तरह पांच दिनों के बाद वह भी दूसरों को संक्रमित करेगा लेकिन काफी कम क्योंकि उसे वैक्सीन मिल चुकी है। इस तरह वह व्यक्ति बिना लक्षणों वाला, पर संक्रमण फैलाने वाला व्यक्ति होगा। ’
 
इस तरह के मामले में यह दूसरे व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करेगा कि वह बहुत हल्के वायरस से बीमार पड़ता है या नहीं। क्योंकि वह एक ऐसे व्यक्ति से संक्रमित हुआ हे, जिसने वैक्सीन ले रखी है।
 
इंडियन काउंसिल फॅार मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महामारी विज्ञान शाखा के प्रमुख समीरन नंदा के मुताबिक, सीडीसी की गाइडलाइंस को उन्हीं के विज्ञान के आधार पर भारत में लागू करने का कोई मतलब नहीं है। वह कहते हैं, ‘अभी तक भारत में बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है, ऐसे में हम बिना मास्क के कैसे रह सकते हैं ?’
 
वह कहते हैं, ‘अगर आप आईसीएमआर के सीरो सर्वे पर यकीन करें तो यह साफ कहता है कि देश की बड़ी आबादी अभी वायरस के लिए संवेदनशील है क्योंकि वायरस के लिए उसमें प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हुई है।’ दो अन्य विशेषज्ञों ने भी डाउन टू अर्थ से सीडीसी गाइडलाइंस की ऐसी ही व्याख्या की।
 
यहां तक कि अगर सीडीसी गाइडलाइंस की परिभाषा के मुताबिक, पूरी तरह वैक्सीन ले चुके लोगों की ही बात की जाए तो भारत में आबादी के हिसाब से अभी बहुत कम लोगों को वैक्सीन मिली है। हालांकि भारत में वैक्सीनेशन की रफ्तार फिलहाल धीमी है लेकिन अगर पिछले कुछ दिनों में आई तेजी को देखें तो भी बड़ी आबादी को वैक्सीन देने में यहां काफी समय लगेगा।
 
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सीडीसी गाइडलाइंस अमेरिका के लिए जारी की गई हैं, जिसकी वैक्सीनेशन की दर, भारत की दर से बिल्कुल अलग है।
 
‘अवर वल्र्ड इन डाटा’ के मुताबिक, आठ मार्च तक के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो अमेरिका में जहां प्रति सौ लोगों में 27.82 लोगों को वैक्सीन मिल चुकी है, जबकि भारत में प्रति सौ लोगों में से केवल 1.67 लोगों को वैक्सीन मिली है।

Subscribe to our daily hindi newsletter