कोरोनावायरस की जांच के लिए नई तकनीक विकसित करने का दावा

शोधकर्ताओं ने प्लास्मोनिक फोटोथर्मल सेंसिंग के आधार पर कोरोनावायरस (कोविड-19) की अधिक सटीक जांच करने का तरीका विकसित करने का दावा किया है

By Dayanidhi

On: Thursday 16 April 2020
 
Photo: pixabay

शोधकर्ताओं ने प्लास्मोनिक फोटोथर्मल सेंसिंग के आधार पर कोरोनावायरस (कोविड-19) की अधिक सटीक जांच  करने का तरीका विकसित करने का दावा किया है। यह शोध एसीएस नैनो नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं का यह परीक्षण 'लोकलाइज़ सरफेस प्लास्मोन रेजोनेंस' नामक तकनीक पर आधारित है, जो एक धातु से निर्मित नैनोटेक्चर की सतह पर अणुओं के बीच होने वाली पारस्परिक क्रिया का पता लगा सकता है।

टीम ने डीएनए का अच्छी तरह से परीक्षण किया, इसमें एक विशेष सार्स-सीओवी-2 आरएनए श्रेणी की पहचान हुई और उन्हें सोने के नैनोकणों से जोड़ दिया। जब वे वायरस के जीनोम के टुकड़े जोड़ते हैं, तो जांच से जुड़े आरएनए एक चेन की तरह बंद हो जाते हैं। 

शोधकर्ताओं ने नैनोकणों को गर्म करने के लिए एक लेजर का उपयोग किया, जिससे परीक्षण के परिणाम एकदम सटीक होते हैं। इस लेजर के माध्यम से सही न मिलने वाली आरएनए श्रेणी को अलग कर दिया जाता है, जिससे परीक्षण में गलती होने की आशंका समाप्त हो जाती है। 

इस परीक्षण के माध्यम से शोधकर्ता सार्स सीओवी-2 और सार्स सीओवी-1 के बीच अंतर कर सकते हैं। यह मिनटों में श्वसन स्वाब में मौजूद संक्रमित आरएनए की मात्रा लगा लेता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि परीक्षण में रोगी के नमूनों में बरकरार संक्रमित आरएनए का परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है। इससे पीएसआर आधारित परीक्षणों पर वर्तमान दबाव को दूर किया जा सकता है। 

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