कोरोना से बचाव: मास्क कितना होगा प्रभावी, वैज्ञानिकों ने की खोज

बिना मास्क की खांसी की बूंदें (ड्रॉपलेट) 3 मीटर तक फैल सकती हैं

By Dayanidhi

On: Friday 28 August 2020
 
Photo: pixabay

कोविड-19 महामारी में सार्वजनिक रूप से बाहर निकलने से पहले मास्क पहनना जरूरी हो गया है। हालांकि, अभी भी कई लोग मास्क पहनने से संक्रमण फैलेगा या नहीं, इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हैं।

इन शंकाओं को दूर करने के लिए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से पद्मनाभ प्रसन्ना सिम्हा, और श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च से प्रसन्ना सिम्हा मोहन राव ने विभिन्न मास्कों के साथ, अलग-अलग परिदृश्यों में खांसी के प्रवाह को लेकर एक प्रयोग किया है।

सिम्हा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति संक्रमण के प्रसार को कम करके वातावरण में संक्रमण फैलने से रोक सकता है, यह अन्य स्वस्थ व्यक्तियों के लिए बेहतर स्थिति है।

घनत्व और तापमान की तीव्रता एक दूसरे से जुड़े होते हैं। खांसी उनके आसपास के क्षेत्र की तुलना में गर्म होती है। इस संबंध को देखते हुए, सिम्हा और राव ने एक तकनीक का उपयोग किया जिसका नाम स्कॉलरिन इमेजिंग है। यह घनत्व में परिवर्तन की कल्पना करता है, जिसमें किसी व्यक्ति पर परीक्षण किए जा रहे पांच तरह के खांसी की तस्वीरें कैप्चर की जाती हैं। क्रमिक छवियों पर खांसी की गति पर नजर रखने से, टीम ने अनुमानित बूंदों की गति और प्रसार का अनुमान लगाया।

अप्रत्याशित रूप से, उन्होंने खांसी के क्षैतिज प्रसार को कम करने में एन 95 मास्क को सबसे प्रभावी पाया। एन 95 मास्क ने खांसी के शुरुआती गति को 10 तक कम कर दिया और इसके प्रसार को 0.1 से 0.25 मीटर के बीच सीमित कर दिया। अध्ययन के निष्कर्ष एआईपी प्रकाशन के जर्नल ऑफ फ़्लूइड्स में प्रकाशित हुए हैं।

बिना मास्क की खांसी की बूंदें (ड्रॉपलेट) 3 मीटर तक फैल सकती है, लेकिन यहां तक कि एक साधारण डिस्पोजेबल मास्क भी इनके फैलने की दूरी को 0.5 मीटर तक नीचे ला सकता है।

सिम्हा ने कहा, भले ही एक मास्क सभी कणों को फ़िल्टर नहीं करता है, अगर हम ऐसे बूंदों, कणों को बहुत दूर तक फैलने से रोक सकते हैं, तो कुछ करने से तो बेहतर है कुछ करना अर्थात मास्क जरूर पहनना चाहिए, ताकि बूंदें वातावरण में फैल न पाएं। उन स्थितियों में जहां परिष्कृत मास्क उपलब्ध नहीं हो, संक्रमण के प्रसार को धीमा करने में किसी भी मास्क को पहना जा सकता है।

हालांकि कुछ अन्य तुलनाओं में हमें इन पर भी विचार करना चाहिए

उदाहरण के लिए, खांसी को कवर करने के लिए कोहनी का उपयोग करना आमतौर पर एक जल्दबाजी में लिया गया एक अच्छा विकल्प माना जाता है, जो कि अध्ययनकर्ताओं को गलत लगता है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है जब तक आस्तीन को कवर नहीं किया गया हो, एक नंगा हाथ एयरफ्लो को रोकने के लिए नाक के खिलाफ उचित सील नहीं बना सकता है। खांसी में मौजूद बूंदें तो किसी भी खुले भाग से रिस (लीक) सकती हैं और कई दिशाओं में फैल सकती हैं।

सिम्हा और राव को उम्मीद है कि उनके निष्कर्ष इस तर्क को गलत साबित कर देंगे, जिसमें कहा गया है कि नियमित कपड़े के मास्क अप्रभावी होते हैं। लेकिन वे इस बात पर जोर देते हैं कि मास्क को सामाजिक दूरी के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

सिम्हा ने कहा एक तय दूरी, एक ऐसी चीज है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि मास्क अपने आप में सम्पूर्ण हल (फूलप्रूफ) नहीं हैं। 

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