22 दिन तक रहता है कोरोनावायरस संक्रमण का खतरा: रिसर्च

द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन में 191 मरीजों के आंकड़ों के विश्लेषण से इस वायरस के बारे में कई नई बातों का पता चला है

By Banjot Kaur

On: Wednesday 11 March 2020
 
Photo credit: flickr

कोरोनावायरस या कोविद-19 से संक्रमित व्यक्ति 20वें दिन तक किसी स्वस्थ मनुष्य को वायरस से संक्रमित कर सकता है, यानि मृत्यु तक वह वायरस को फैलाता रह सकता है। इस बात का खुलासा द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र में हुआ है। इस शोध पत्र के लेखकों में चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और दूसरे चीनी संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। उनका मानना है कि संक्रमण की अवधि अनुमान से कहीं अधिक भी हो सकती है।

संक्रमण के 8 से 37 दिन के भीतर यह वायरस फैल सकता है, जिसकी औसत अवधि 20 दिन आंकी गई है। इसका मतलब यह हुआ है कि संक्रमित व्यक्ति 20 दिनों के अंतराल में किसी भी व्यक्ति तक संक्रमण फैला सकता है। गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (एसएआरएस कोरोनावायरस) के लिए संक्रमण फैलने की अवधि 4 सप्ताह है और मध्य पूर्व रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस के लिए यह अवधि तीन सप्ताह की है।

इस शोध पत्र के लेखकों का मानना है कि कोविद-19 के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाइयों के इस्तेमाल से उनकी स्थिति में सुधार तो दिखता है, लेकिन इससे उनके द्वारा संक्रमण फैलाने की क्षमता में कोई कमी नहीं दिखती है। लेखकों ने लोपिनावायर या राइटोनावायर, दो ऐसी दवाएं जिनको इस बीमारी के लिए संभावित इलाज माना जा रहा है, को लेकर यह शोध नहीं किया।

शोध पत्र के लेखक लिखते हैं कि रोगी को एकांत में रखने और एंटीवायरल के द्वारा इलाज देने जैसी दोनों स्थितियों के लिए इस संक्रमण अवधि के बारे में जानना बेहद जरूरी है। गंभीर लक्षणों के साथ संक्रमण के मामले में किसी स्वस्थ व्यक्ति तक संक्रमण फैलने की अवधि काफी लंबी है। इस वजह से एंटीवायरल से उपचार देने के बाद भी रोगी के स्वास्थ्य पर कई गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं।

चीन-जापान के संयुक्त अस्पताल और कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी चीन से संबंध रखने वाले शोध के प्रमुख लेखक बिन काओ का कहना है कि वे इलाज कराने वाले लोगों को सुझाव देते हैं कि अस्पताल से मरीज की जब छुट्टी हो रही हो तो उसके कोरोनावायरस के रिपोर्ट नेगेटिव होने चाहिए। कई गंभीर बीमारी के लक्षण की स्थिति में वायरस के संक्रमण अवधि को ध्यान में रखकर इलाज को जारी रखने और एकांत में अधिक समय रखे जाने की जरूरत है। ऐसा न होने पर मरीज की मौत की आशंका अधिक हो जाती है।

191 मरीजों के आंकड़ों पर शोध करने पर पाया गया कि कोरोना वायरस के मरीजों के संक्रमण और अस्पताल के छुट्टी के बीच का औसत समय 22 दिन है। इस दौरान मृत्यु होने वाले मरीजों का औसत समय 18.5 दिन है और जिन 32 मरीजों को इलाज के दौरान वेंटीलेटर की आवश्यकता हुई उनमें से 31 की मृत्यु हो गई। वेंटीलेटर पर रखे मरीजों की मृत्यु का औसत समय मात्र 14.5 दिन रहा। 191 में से तीन मरीजों को फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के बाद उसे खून में मिलाने के लिए भी मेडिकल सहायता देनी पड़ी, इनमें से एक भी जीवित नहीं हैं।

मृतक मरीजों के भीतर खून में ऑक्सीजन की कमी से विसंगति, स्वसन प्रणालि का बंद होना और दिल का दौरा सबसे सामान्य मृत्यु की वजह रही। मरीजों को इलाज से दौरान जो मशीनें लगाई गईं थी, उनमें से कई को उस मशीन से जुड़ा हुआ संक्रमण भी हो गया। 32 वेंटीलेटर पर डाले गए मरीजों में से 10 को वेंटीलेटर से जुड़े निमोनिया के लक्षण दिखे और दूसरे मरीजों में भी अलग तरह के संक्रमण देखने को मिले।

इलाज के दौरान मृत होने वाले और बचने वाले दोनों मरीजों में सांस लेने संबंधी दिक्कत 13 दिनों तक रही। बचने वाले मरीजों में बुखार की औसत अवधि 12 दिन और कफ की अवधि 19 दिन की रही। बचने वालों में से 45 प्रतिशत मरीजों में कफ की शिकायत अस्पताल से छुट्टी मिलने तक रही। सांस की कमी, बुखार और कफ इस संक्रमण के प्रमुख लक्षण हैं।

इस शोध से यह भी सामने आया है कि बढ़ी हुई उम्र का इस संक्रमण से मृत्यु का सीधा संबंध है। विश्वभर में इसके शिकार मरीजों की संख्या 1,14,809 पहुंच गई है जिनमें से 4,031 मरीजों की मृत्यु हो गई है। विश्व के 115 देश इस संक्रमण की चपेट में आ गए हैं।

भारत में केरल से 3 और कर्नाटक से 3 नए केस मार्च 10 तक सामने आए हैं। मार्च 9 को दो नए केस पुणे में सामने आए। भारत में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 56 पहुंच गई है। देश में अबतक इस संक्रमण से किसी की मृत्यु नहीं हुई है।

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