कोरोनावायरस: झारखंड में मिला पहला मामला, लेकिन जांच-प्रक्रिया पर उठे सवाल

राज्य के मात्र दो अस्पतालों महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल, जमशेदपुर और रांची के रिम्स में कोरोना वायरस की जांच हो रही है

On: Wednesday 01 April 2020
 
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सीएम किचन की शुरुआत करते हुए। फोटो: twitter/@HemantSorenJMM

आनंद दत्त

झारखंड में 31 मार्च को कोरोनावायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया है। पीड़ित महिला मलेशिया की रहनेवाली है. तब्लीगी जमात के साथ भारत आई हुई है। फिलहाल उसे राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में एडिमट किया गया है। इसके अलावा 15 लोगों को संक्रमित होने की बात सामने आ रही है। सभी को जांच के लिए रिम्स के क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती कर दिया गया है। लेकिन यहां जांच प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 30 मार्च तक राज्य में केवल 271 संदिग्धों की ही जांच की गई थी, जबकि 11 जिलों में जांच प्रक्रिया ही चालू नहीं हुई है।

बाहर के राज्यों से अब तक 78 हजार से अधिक लोग झारखंड आ चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का दावा है कि इनमें से 45 हजार लोगों की स्क्रीनिंग हुई है। सरकार सब पर नजर बनाए हुए है। राज्य के मात्र दो अस्पतालों महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल, जमशेदपुर और रांची के रिम्स में कोरोना वायरस की जांच हो रही है।

24 जिलों में अब तक मात्र 13 जिलों बोकारो, देवघर, धनबाद, हजारीबाग, जमशेदपुर, चाइबासा, पलामू, खूंटी, लातेहार, सिमडेगा, जामताड़ा, रांची और सरायकेला-खरसांवा से ही सैंपल मंगाकर जांच कराई गई है। अब तक 11 जिले दुमका, पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज, जामताड़ा, चतरा, कोडरमा, रामगढ़, लोहरदगा, गढ़वा और गिरिडीह. ये वो इलाके हैं जहां से मजदूर सबसे अधिक संख्या में बाहर के राज्यों में जाकर काम करते हैं और वापस भी आए हैं।

सरकारी जानकारी के मुताबिक अगर आइसोलेशन में रखने की नौबत आई तो 567 बेड का ही इंतजाम हैं। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 96 बेड, जिला अस्पतालों में 200 और निजी अस्पतालों में कुल 271 बेड हैं। वहीं सरकार के पास मात्र 1469 लोगों को कोरंटाइन सेंटर में रखने की सुविधा है। राज्य के 14 जिलों में कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू की कोई व्यवस्था तक नहीं है। वहीं कुल जांच किट इस वक्त 1000 हैं और 20 हजार किट का ऑर्डर दिया गया है।

हजारों की संख्या में लोगों की वापसी के बावजूद इतने ही संख्या में झारखंड के लोग बाहर के राज्यों और देशों में फंसे हुए हैं। नेपाल में दुमका के 50 मजदूर फंसे हुए हैं। बाहरी समझ स्थानीय लोग उन्हें मदद भी करने को तैयार नहीं हैं। पूर्व मंत्री रणधीर सिंह के मुताबिक उनके विधानसभा क्षेत्र सारठ के ही 10 हजार से अधिक लोग देशभर में फंसे हुए हैं।

सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में डीके तिवारी ने बताया है कि गुजरात के 74 स्थानों पर 3000 से अधिक, तमिलनाडु में 2250, केरल के 145 स्थानों पर 2944, आंध्र प्रदेश के 32 स्थानों पर 532 लोग फंसे हुए हैं। वेल्लोर में इलाज कराए गए लगभग 600 लोग वहीं रुके हुए हैं।

इसके साथ ही पश्चिम बंगाल के 28 स्थानों पर 550, मध्य प्रदेश में 138, छत्तीसगढ़ में 1500, दिल्ली में 1500, महाराष्ट्र में 740, पंजाब में 479 लोग फंसे हुए हैं। यूपी में भी हजारों लोग फंसे हुए हैं. इन सबसे सरकार ने अपील की है कि वह जहां हैं वहीं रहें। उन्हें स्थानीय राज्य और जिला प्रशासन से मदद मुहैया कराई जाएगी।

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