कोरोनावायरस: महाराष्ट्र के बाद मध्यप्रदेश में सबसे अधिक मौतें

लगभग एक महीने पहले 20 मार्च को मध्यप्रदेश में पहली बार कोविड-19 के पांच मामले सामने आए थे। अब प्रदेश 69 मौतों के साथ देश में दूसरे और 1402 मरीजों के साथ देश में तीसरे स्थान पर है।

By Manish Chandra Mishra

On: Sunday 19 April 2020
 
भोपाल में 18 अप्रैल को कोविद-19 के 28 मरीज स्वस्थ हुए। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र

 

मध्यप्रदेश ने बीते एक महीने में नोवेल कोरोना वायरस के आंकड़ों को बदलकर रख दिया। 20 मार्च को पहली बार प्रदेश में पांच मरीज पाए गए थे, और अब एक महीने बाद मध्यप्रदेश मरीजों की संख्या के मामले में देश में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। अप्रैल महीने की शुरुआत में महज 29 मरीजों के साथ मध्यप्रदेश का स्थान टॉप 10 में भी नहीं आता था, जबकि उस वक्त केरल (176 मरीज) पहले स्थान पर था। अब स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। केरल ने अपनी स्थिति सुधारते हुए मरीजों की संख्या को लगभग स्थिर कर टॉप टेन से बाहर हो चुका है। इस दौरान केरल में सिर्फ 220 नए मामले आए जबकि मध्यप्रदेश में 1397 संक्रमित मरीज सामने आए। 

18 अप्रैल तक केरल में 396 मरीजों में से अब सिर्फ 140 मरीजों का इलाज चल रहा है। बाकी मरीज ठीक हो चुके हैं और तीन मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं, मध्यप्रदेश में कुल 1402 पॉजिटिव मामलों में से 127 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। यहां 69 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। मध्यप्रदेश में कोविद-19 के मामलों में पिछले एक सप्ताह से काफी तेजी देखी गई है। 11 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच 873 नए मामले सामने आए हैं। प्रदेश ने पिछले एक महीने में राजस्थान, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों को पीछे छोड़ा है।

मृत्यु में प्रदेश का देश में दूसरा स्थान

मध्यप्रदेश में कोविड-19 से होने वाली मृत्यु का दर 4.92 प्रतिशत है, जबकि इंदौर शहर में यह दर 5.27 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में देश में सबसे अधिक 5.50 प्रतिशत (201 मृत्यु) दर से मृत्यु हो रही है। महाराष्ट्र में अब तक 3648 पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं। मृत्यु दर के मामले में भी केरल का प्रतिशत काफी कम 0.75 प्रतिशत है। देश में मृत्यु दर 3.41 प्रतिशत है। मरीजों के ठीक होने के मामले में मध्यप्रदेश की दर 9.05 प्रतिशत जबकि केरल में यह प्रतिशत 63 प्रतिशत है। देश में ठीक होने का प्रतिशत 14.08 प्रतिशत है।

कहां हो गई चूक  

मध्यप्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता को कोविद-19 संकट की एक बड़ी वजह माना जा रहा है। पुरानी सरकार के गिरने और नई सरकार आने के बीच के घटनाक्रमों के बीच सरकार को तैयारियों का समय नहीं मिल पाया। केरल, छत्तीसगढ़ जैसे अपेक्षाकृत कम जनसंख्या वाले राज्य की सरकारों ने काफी पहले से विभागों के बीत समन्वय के लिए कंट्रोल रूम जैसी व्यवस्था और स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करना शुरू कर दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है जहां न तो स्वास्थ्य मंत्री है न ही गृह मंत्री।12 मार्च को हमने कोरोना से एहतियातन कॉलेज, मॉल आदि में लॉकडाउन कर दिया था। 16 मार्च, मेरे इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया था, क्योंकि वे मध्यप्रदेश में सरकार गिराने का इंतजार कर रहे थे। कमलनाथ ने कहा, 'मैंने 20 मार्च को इस्तीफा दिया, मगर लॉकडाउन का ऐलान तब हुआ जब 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।'

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अधिक से अधिक जांच की राह पर मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश सरकार ने टेस्ट की क्षमता बढ़ाते हुए इसे अब लगभग एक हजार टेस्ट रोजाना कर लिया है। सरकार के आंकड़े के मुताबिक यहां की आठ लैब में अबतक 22,569 हुए हैं। मध्यप्रदेश ने महामारी को रोकने के लिए कन्टेनमेंट नीति पर काम करना शुरू किया है। स्वास्थ्य आयुक्त फैज अहमद किदवई ने निर्देश के निर्देश पर संक्रमित इलाकों में आवाजाही पर निगरानी रखी जाएगी। संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए वायरस को उस इलाके के बाहर नहीं फैलने दिया जाएगा। मध्यप्रदेश में प्रदेश के 22 संक्रमित जिलों में ऐसे 432 संक्रमित क्षेत्र हैं।

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