कोरोनावायरस: आईसीएमआर स्टडी से मिला संकेत, भारत का एक चौथाई हिस्सा हो सकता है प्रभावित

गणितीय विश्लेषण बताते हैं कि भारत में सबसे खराब स्थिति में मौतों की संख्या 7 लाख तक पहुंच सकती है  

By Banjot Kaur

On: Tuesday 24 March 2020
 
Photo credit: cdc.gov

34.8 करोड़ भारतीय नोवेल कोरोन वायरस (सार्स-सीओवी-2) से संक्रमित हो सकते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा किए गए एक गणितीय विश्लेषण (मैथेमैटिकल मॉडलिंग) के अनुसार, कोविड-19 महामारी की सबसे बुरी स्थिति में तकरीबन 7 लाख से अधिक मौतें हो सकती है. 

आईसीएमआर ने जो लिखा है, उसकी व्याख्या करने के लिए डाउन टू अर्थ ने भारत की जनसंख्या को 134 करोड़ माना है:

“अन्य प्रभावित देशों की रिपोर्टों के अनुसार, कोविड-19 के हर 8 से 10 गंभीर और 40 से 50 अगंभीर मामलों में एक मौत का अनुमान है। एक निश्चित सीमा के भीतर, जैसाकि क्रूज जहाज डायमंड प्रिंसेस में हुआ, हम पूरी आबादी के 26 फीसदी लोगों के संक्रमित होने और 450 संक्रमित व्यक्तियों में से एक की मौत का अनुमान लगा सकते है।“

रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ रोग के लक्षण संबंधी मामलों पर केन्द्रित आक्रामक से आक्रामक नियंत्रण रणनीति भी असफल हो जाएगी। ऐसे मरीज, जिनमें लक्षण प्रकट नहीं होते, आसानी से पहचान से बच जाते हैं और आगे समुदाय में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

हवाई उड़ान बन्द होने से पहले हवाई अड्डों पर यात्री स्क्रीनिंग के संदर्भ में शोधकर्ताओं ने इसका उल्लेख किया हैं।

रिपोर्ट में लिखा है,देश के भीतर इस प्रकोप के फैलने में देरी लाने के लिए कम से कम 75 प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना आवश्यक है, जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते। और अगर 90 प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों का पता लगा लेते है तो महामारी फैलने के औसत समय में 20 दिन की देरी लाई जा सकती है।“ 

शरीर का तापमान मापना स्क्रीनिंग का कारगर तरीका नहीं था। विश्लेषण ने दो अध्ययनों के हवाले से बताया है कि इस तरह की स्क्रीनिंग से 46-50 प्रतिशत यात्रियों में लक्षण का पता नहीं लगाया जा सका और इस मामले में भारत का अनुभव भी कोई अलग नहीं है।

अगर होता तो क्या होता

रिपोर्ट के मुताबिक, "हमारे विश्लेषण से पता चला है कि भले ही लक्षण दर्शाने वाले लोगों की व्यापक रूप से पहचान की जाए और उन्हें एकांत में रखा जाए तब भी भारत में महामारी के प्रसार में संभावित देरी दिनों में होगी न कि हफ्तों में।"  

इसमें कहा गया है कि स्क्रीनिंग केवल संक्रमण की शुरुआत में देरी करेगी, लेकिन इसे रोकने या कम करने में कारगर नहीं होगी। एक अच्छी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को विस्तारित करना इस समय की आवश्यकता है।

आईसीएमआर ने तीन दिन पहले अपने परीक्षण मानदंडों का विस्तार किया है। इसने अब सांस की गंभीर बीमारी से पीडित उन लोगों की भी जांच की अनुमति दे दी है, जिनका कोई यात्रा या संपर्क इतिहास नहीं है।

इस रिपोर्ट ने भारत में प्रजनन संख्या (आरओ)  दो होने की भविष्यवाणी की है. ये संख्या, वो दर है जिसके हिसाब से वायरस के वाहक अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं।

सबसे खराब स्थिति में, आरओ चार हो सकता है और सबसे अच्छी स्थिति में ये संख्या 1.5 हो सकती है।

अभी वैश्विक औसत आरओ दो से तीन है। इटली के लिए अभी यह संख्या तीन है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक अपनाए गए सामाजिक दूरी उपायों से घटनाओं में 60-62 प्रतिशत की कमी आएगी। 

भारत ने 22 मार्च को सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत आने वाले संक्रमित हवाई यात्री की संभावना केवल 0.209 प्रतिशत थी, जिसमें दिल्ली आने वाले सबसे अधिक (0.064 प्रतिशत) थे और इसके बाद मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोच्चि का नंबर था।

शोधकर्ताओं ने कहा कि आवश्यक बिस्तरों की संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल था, लेकिन यह माना जाता है कि लगभग पांच प्रतिशत संक्रमित रोगियों को गहन देखभाल इकाई की आवश्यकता होगी और उनमें से आधे को वेंटिलेशन की आवश्यकता होगी।

ये रिपोर्ट सुझाव देती है कि स्वास्थकर्मियों को संक्रमित होने पर बीमा सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। भारत में महामारी के उच्च स्तर पर पहुंचने से पहले उन्हें सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए। जब तक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा को बडे पैमाने तक विस्तारित नहीं किया जाता है, तब तक लोगों को खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केरल जैसे उपायों की शुरुआत की जानी चाहिए।

वैसे, ये रिसर्च रिपोर्ट चार महानगरों के विश्लेषण के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों का कोई ब्योरा नहीं है।

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