पार्किंसंस और अल्जाइमर की तरह ही मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकता है कोविड-19

वैज्ञानिकों को एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19, पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसे रोगों की तरह ही मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकता है, जोकि एक तरह का साइलेंट किलर है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 08 November 2022
 

वैज्ञानिकों को एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 की वजह से पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसे रोगों की तरह ही मस्तिष्क में सूजन पैदा हो सकती है।

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उन लोगों में न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों के लिए भविष्य के संभावित जोखिम की पहचान की है, जो कोविड-19 से संक्रमित हुए हों।

गौरतलब है कि न्यूरोडीजेनेरेटिव, तंत्रिका तंत्र के लगातार कमजोर होने की बीमारी है। इस रिसर्च के नतीजे जर्नल नेचर्स मॉलिक्यूलर साइकियाट्री में प्रकाशित हुए हैं। इस बारे में रिसर्च से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर वुड्रफ ने जानकारी दी है कि, “हमने मस्तिष्क की प्रतिरक्षा कोशिकाओं, 'माइक्रोग्लिया' पर वायरस के प्रभाव का अध्ययन किया है, जो पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसे मस्तिष्क से जुड़े रोगों की वृद्धि से जुड़ी प्रमुख कोशिकाएं हैं।“

उन्होंने जानकारी दी है कि उनकी टीम ने प्रयोगशाला में मानव माइक्रोग्लिया कोशिकाओं को विकसित किया और उन कोशिकाओं को सार्स-कॉव-2 वायरस से संक्रमित करके देखा है, जोकि कोविड-19 संक्रमण का कारण है। उनके अनुसार इससे वो कोशिकाएं प्रभावी रूप से सक्रिय हो गई और मस्तिष्क में उसी तरह सूजन जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई जैसी कि पार्किंसंस और अल्जाइमर में होती है।

क्या कुछ रिसर्च में निकलकर आया सामने

ऐसे में इस बारे में अध्ययन से जुड़े एक अन्य शोधकर्ता अल्बोर्नोज बाल्मासेडा का कहना है कि, "यह एक तरह का 'साइलेंट किलर' है, क्योंकि आपको कई सालों तक इसका कोई बाहरी लक्षण दिखाई नहीं देता।" ऐसे में उनके अनुसार जो लोग कोविड-19 से संक्रमित हैं, वो पार्किंसंस की तरह ही न्यूरोलॉजिकल लक्षण विकसित करने के लिए कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं।

इस बारे में शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि वायरस का स्पाइक प्रोटीन अपने आप ही प्रक्रिया को शुरू करने के लिए पर्याप्त था, लेकिन यह तब और तेज हो गया जब मस्तिष्क में पहले से ही पार्किंसंस से जुड़े प्रोटीन थे। ऐसे में प्रोफेसर वुड्रफ का कहना है कि अगर कोई पहले से ही पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित है, तो कोविड-19 का होना मस्तिष्क में उस 'आग' पर घी डालने जैसा हो सकता है।

साथ ही उनका यह भी कहना है कि कोविड-19 और मनोभ्रंश मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करते हैं, इनके बीच समानता का मतलब यह भी है कि इसका एक संभावित उपचार पहले से ही अस्तित्व में है। हालांकि उनके अनुसार इसपर अभी और शोध करने की आवश्यकता है, लेकिन यह संभावित रूप से इस वायरस के इलाज के लिए एक नया दृष्टिकोण है।

गौरतलब है कि कोविड-19 से अब तक दुनिया भर में 63.8 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 66 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं 61.8 करोड़ लोग अब तक इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। भारत में भी इस महामारी का व्यापक असर पड़ा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 08 नवंबर 2022, को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक कोविड के मामलों की संख्या बढ़कर 4.47 करोड़ पर पहुंच चुकी है। वहीं इस संक्रमण से देश में अब तक 530,509 लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 4.41 करोड़ अब तक इस बीमारी से उबर चुके हैं।

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