टॉयलेट फ्लश में ठोस कचरा बढ़ा सकता है कोविड-19 संक्रमण : रिसर्च

कोविड-19 महामारी के दौरान ठोस और न गलने वाला गैर-जैविक कचरा आने वाले समय में एक बड़ी और नई मुसीबत पैदा कर सकता है। हाल ही के कुछ शोध पत्रों ने इस ओर इशारा किया है।

By Shivangi Aggarwal

On: Friday 14 May 2021
 

यह देखा गया है कि लोग टॉयलेट सीट के भीतर ही टॉयलेट पेपर, डायपर, टैम्पोन और कंडोम जैसे सभी प्रकार के ठोस कचरे को फेंक देते हैं। इसकी वजह से सीवर नेटवर्क बंद हो जाता है। यह एक ऐसी समस्या है जो वर्षों से बनी हुई है।

इस तरह की की रुकावटें न सिर्फ मानव श्रम बढ़ाती हैं बल्कि अपशिष्ट उपचार में लगने वाली मशीन, उपकरणों और समय के साथ लागत को बढ़ा देती हैं। सीवर नेटवर्क में मौजूद गैर-जैविक कचरे के साथ सेप्टेज और सीवेज का इलाज करना काफी जटिल है। 

ठोस अपशिष्ट को मलजल उपचार संयंत्रों या मल कीचड़ उपचार संयंत्रों में प्रवेश करने से पहले फ़िल्टर किए जाने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये विशिष्ट प्रकार के कचरे के उपचार के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

नोवल कोरोनावायरस रोग (कोविड-19) महामारी के बीच इस समस्या ने और गंभीर रूप ले लिया है। दस्ताने, दवाओं और मास्क सहित कोविड-19 का अपशिष्ट संक्रामक दरों को बढ़ा सकते हैं यदि इन पर ध्यान दिया जाए तो यह संक्रमण को रोक भी सकते हैं। यह भी स्पष्ट है कि इससे होने वाला प्रदूषण आगामी वर्षों में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा।

इस तरह के अपशिष्ट में विशेष रूप से मास्क, न केवल सीवरेज में ठोस पदार्थ की मात्रा में जोड़ देगा, बल्कि स्थानीय अपशिष्ट जल और स्वच्छता नेटवर्क को भी चोक कर देगा।

कुछ अध्ययनों ने स्पष्ट किया है कि अपशिष्ट जल में सार्स कोव-2 की उपस्थिति दिखाई है, जिसका स्रोत अभी अज्ञात है। यह कोविड-19 रोगियों के बलगम, खांसी या छींकने, मल या मूत्र से आ सकता है।

इससे न केवल ऑफ-साइट सैनिटेशन सिस्टम जैसे सीवर नेटवर्क, बल्कि ऑन-साइट सैनिटेशन सिस्टम जैसे सोख गड्ढे शौचालय, जुड़वां गड्ढे शौचालय और सेप्टिक टैंक भी प्रभावित हो सकते हैं।

टोयामा प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी, कानाजावा यूनिवर्सिटी और क्योटो यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक जापानी अध्ययन ने पश्चिमी जापान में इशिकावा और टोयामा प्रान्त में चार उपचार संयंत्रों के अपशिष्ट जल संयंत्रों में वायरस की उपस्थिति की पुष्टि की गई है।

शोधकर्ताओं ने अपशिष्ट जल के 27 नमूनों का विश्लेषण किया, जिनमें से सात वायरस के साथ पाए गए। शोधकर्ताओं ने कहा कि अपशिष्ट जल परीक्षण प्रत्येक व्यक्ति का परीक्षण किए बिना किसी क्षेत्र में संक्रमित लोगों की संख्या का अनुमान लगाने में मददगार हो सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है:

मामलों की संख्या में वृद्धि रुकने के बाद भी पता चलने की आवृत्ति उच्च बनी रह सकती है।  किसी भी शहर या गाँव में नगरपालिका ठोस कचरे के साथ-साथ कोविड-19 ठोस कचरे के सुरक्षित संग्रह, परिवहन, निपटान और उपचार की आवश्यकता है ताकि इसे नीचे बहने और सीवर जल निकासी को गिरने से रोका जा सके।

इसके अलावा, भारत में अपशिष्ट जल और सीवरेज में सार्स कोव-2 की उपस्थिति का पता लगाना समय की आवश्यकता है।

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