कोविड-19 का बदलता चरित्र एक पहेली, सुलझाने में जुटे वैज्ञानिक

वायरस की नई समझ कैंसर से लड़ने वाली इम्यूनोथैरेपी के नए शोध को भी दिशा-निर्देश दे सकती है।  

By Dayanidhi

On: Friday 09 October 2020
 
Photo : DTE

दुनिया भर में हर कोई यही सोच रहा है कि कोरोनावायरस के संक्रमण का प्रभाव कुछ लोगों में मामूली और कुछ में घातक क्यों साबित हो रहा है। इस पहेली को हल करने के लिए, वैज्ञानिकों को यह जानने आवश्यकता है कि शरीर के कई प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं सार्स-सीओवी-2 से मुकाबला कैसे करती हैं। सार्स-सीओवी-2 वायरस के कारण ही कोविड-19 होता है।

अमेरिका की ला जोला इंस्टीट्यूट फॉर इम्यूनोलॉजी (एलजेआई), यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल और साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन किया गया हैं। अध्ययन में सबसे पहले इस बात का पता लगाया है कि कैसे शरीर की सीडी4 + टी कोशिकाएं सार्स-सीओवी-2 वायरस का मुकाबला करती हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि बीमारी की शुरुआत में कोविड-19 के गंभीर मामलों के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों में एक नए टी सेल का अलग समूह विकसित हुआ है जो बी कोशिकाओं को मार सकता है और एंटीबॉडी उत्पादन को कम कर सकता है।

सेल में प्रकाशित यह अध्ययन आगे के विस्तृत विश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है। एकल-कोशिका आरएनए अनुक्रमण (आरएनए-सिक्वेंसिंग) नामक अत्याधुनिक तकनीक की शक्ति को दर्शाता है।

हर कोशिकाओं की गहराई से जांच 

एसोसिएट प्रोफेसर पांडुरंगन विजयानंद  ने कहा यह अध्ययन सीडी4 + टी कोशिकाओं द्वारा निकाले गए आरएनए अणुओं का विश्लेषण करने के लिए, एकल-कोशिका आरएनए-सिक्वेंसिंग का काम करता है, जो विशेष रूप से सार्स-सीओवी-2 को पहचानते हैं। पांडुरंगन विजयानंद एलजेआई में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जिन्होंने लंबे समय तक अध्ययन का नेतृत्व किया। लिवरपूल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिश्चियन एच. ओटेंसमेयर ने कहा कि हम पहली बार कोशिकाओं की पूरी प्रकृति को देख सकते है जो इस वायरस से मुकाबला करती है।

विजयानंद और उनके सहयोगियों ने इम्यूनोलॉजी में एकल-कोशिका आरएनए-सिक्वेंसिंग के उपयोग का बीड़ा उठाया है। आरएनए-सिक्वेंसिंग शोधकर्ताओं को जीन आधारित पैटर्न में एक नई जानकारी देता है, जो प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को वायरस से अलग बना सकता है। इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने सीडी 4 + टी कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया, जो संक्रमण से लड़ने में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सह-अध्ययनकर्ता बेंजामिन मेकिफ कहते है कि सीडी 4 + टी कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को आयोजित करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। वे प्रतिरक्षा कोशिकाओं की एक विषम आबादी हैं जो कई प्रकार के कार्य करते हैं। हम विशेष रूप से सार्स-सीओवी-2 में उनकी प्रतिक्रिया का विश्लेषण करने में सक्षम हैं।

विजयानंद और ओटेंसमेयर ने इस साल इन्फ्लूएंजा के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों से सीडी 4 + टी कोशिकाओं का विश्लेषण करने के लिए एकल-कोशिका आरएनए-सिक्वेंसिंग का उपयोग करने की योजना बनाई थी। जब महामारी ने पैर फैलाने शुरू किए, तो शोधकर्ताओं ने मार्च के प्रारंभ में कोविड-19 रोगियों से नमूने लेने के लिए आवेदन किया। विजयानंद ने बताया कि हमने महामारी के समय उचित नमूने एकत्र कर लिए थे।

शोधकर्ताओं ने दो समूहों में 40 कोविड-19 रोगियों के नमूनों का अध्ययन किया। अस्पताल में भर्ती हुए समूह में 22 मरीज शामिल थे, जिनमें से नौ का इलाज आईसीयू में किया जा रहा था। बिना अस्पताल वाले समूह में 18 मरीज थे जिन्होंने कोविड-19 लक्षणों का अनुभव किया था।

वैज्ञानिकों ने इन रोगियों में सार्स-सीओवी-2 का मुकाबला करने वाली सीडी 4 + टी कोशिकाओं का विश्लेषण करने के लिए एकल-कोशिका आरएनए-सिक्वेंसिंग का उपयोग किया। टी सेल में हर तरह के वायरस से लड़ने की भूमिका होती है। शरीर में कुछ "हेल्पर" सीडी 4 + टी कोशिकाएं होती है। यह शरीर को संक्रमण होने पर सचेत करती हैं और अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बढ़ाती हैं, जबकि अन्य (टीएफएच कोशिकाएं) बी कोशिकाओं को एंटीबॉडी बनाने के लिए संकेत देती हैं। अंत में, कुछ अन्य टी कोशिकाओं को बाधित करने का महत्वपूर्ण काम करते हैं। ये शरीर के अपने ऊतकों को नुकसान पहुंचाने के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखते हैं।

विजयानंद कहते हैं टी कोशिकाएं विभिन्न तरह की हैं जो इस वायरस से मुकाबला करते हैं। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मानव अध्ययन केवल सहसंबंधी (करेलटिव) हैं और यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं कि कुछ टी सेल आबादी बीमारी की गंभीरता को बढ़ा रही है।

उदाहरण के लिए वैज्ञानिकों ने पाया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में "साइटोटॉक्सिक" टीएफएच कोशिकाओं के उच्च स्तर पाए गए थे, जो संभावित रूप से संक्रमण को खतरनाक  बना सकते हैं। अपने काम को करने और बी कोशिकाओं को एंटीबॉडी बनाने में मदद करने के बजाय, इस अध्ययन में देखी गई साइटोटॉक्सिक टीएफएच कोशिकाएं अन्य कोशिकाओं के समान थीं जिन्हें पिछले अध्ययनों में बी कोशिकाओं को मारते हुए देखा गया है। शोधकर्ताओं ने तब रोगियों में सार्स-सीओवी-2 विशिष्ट एंटीबॉडी सांद्रता की जांच की। काम करने वाली (डिसफंक्शनल) टीएफएच कोशिकाओं वाले लोगों में भी एंटीबॉडी कम थे।

मेकिफ कहते हैं कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में टीएफएच कोशिकाओं ने अलग से जीन सिग्नेचर को प्रदर्शित किया, जो सुझाव देते हैं कि वे खराब हैं और बी कोशिकाओं को मदद नहीं दे रहे हैं।

 भविष्य में जांच का आधार

कुल मिलाकर अध्ययन वैज्ञानिक समुदाय को सार्स-सीओवी-2 के लिए सीडी 4 + टी सेल प्रतिक्रियाओं का पता लगाने के लिए एक प्रारंभिक जानकारी देता है, और समय के साथ या विभिन्न रोगों, उनकी गंभीरता के साथ लोगों की प्रतिक्रियाओं की तुलना करने के लिए एक आधार  स्थापित करता है।

ओटेंसमेयर बताते हैं कि शरीर वायरस के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है, इसकी बेहतर समझ कैंसर इम्यूनोथेरपी में भविष्य के शोध को भी निर्देशित कर सकती है, जो कैंसर कोशिकाओं को चिह्नित कर उन्हें मारने के लिए शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करेगा।

ओटेंसमेयर कहते हैं कि इस अध्ययन में हमने एक नई मानव स्वास्थ्य पहेली के बारे में जानकारी जुटाई है। आगे बढ़ते हुए हम इस समझ को बढ़ा सकते हैं कि नए वायरस के जवाब में रक्त में क्या चल रहा है, यह समझने के लिए कि ऊतक में क्या होता है जब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर जैसी बीमारी से निपटती है। हांलाकि इस शोध को समीक्षा के लिए विशेषज्ञों के पास भेजा गया है।

Subscribe to our daily hindi newsletter