कोविड-19: मौजूदा रुझान से समझें अगले दो सप्ताह में कितनी हो सकती हैं मौतें
वर्तमान आंकड़ों के आधार पर निकट भविष्य के अनुमान और ज्यामितीय विश्लेषण (फ्रैक्टल एनालिसिस) इस महामारी में घातक वृद्धि की ओर इशारा कर रहे हैं
On: Wednesday 29 April 2020


भारत और दुनिया के अधिकांश देशों में नोवेल कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) के प्रसार में वृद्धि जारी है। हमने देखा कि महामारी फैलने की प्रकृति पुनरावृति (फ्रैक्टल) वाली है। इसे एक पेड़ की तरह समझें। पेड़ एक तने से शुरू होता है और जैसे-जैसे यह बढ़ता है, इसमें कई शाखाएं आनी शुरु हो जाती है।
वायरस (सार्स-सीओवी-2) के प्रसार के चरित्र से प्रेरित होकर, हमने टाइम सीरीज़ डेटा (मौतों की संख्या बनाम समय) का विश्लेषण किया। हम ये देख कर आश्चर्यचकित थे की यह पुनरावृति व्यवहार का अनुसरण कर रहा है, जिसे पावर लॉ डिस्ट्रीब्यूशन (एक मात्रा में रिलेटिव चेंज से दूसरी मात्रा में भी रिलेटिव चेंज आता है) भी कहा जाता है।
मौसम संबंधी पूर्वानुमान और भूकंप, हिमस्खलन, बादल फटने आदि जैसी घटनाओं समेत वित्त, जीव विज्ञान और अव्यवस्थित वातावरण के मॉडलिंग जैसे कई क्षेत्रों में फ्रैक्टल अवधारणाओं का व्यापक उपयोग किया जाता है।
नीचे जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी का एक ग्राफ है। ये ग्राफ़ 22 जनवरी से 25 अप्रैल, 2020 के बीच, मौतों की कुल संख्या और मौतों की संख्या में दैनिक वृद्धि का दर दिखाता हैं।
पुष्ट मामलों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि परीक्षण की संख्या क्या है? इसलिए हमने संक्रमित मामलों की संख्या की तुलना में कोविड-19 से हुई मौत की संख्या का विश्लेषण अधिक भरोसेमन्द माना।
भारत में अब तक दर्ज की गई कोविड-19 मौतों की कुल संख्या बनाम समय
स्रोत: जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी
भारत में प्रतिदिन कोविड-19 से होने वाले मौत
स्रोत: जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी
हमने ग्राफ में मौतों की कुल संख्या के लिए दिखाए गए डेटा का इस्तेमाल भारत में कोविड-19 मौतों के फ्रैक्टल एनालिसिस के लिए किया है। ये विश्लेषण हमें एक कर्व को समझने में मदद करता है और ये डेटा की व्याख्या कर सकता है। साथ ही ये निकट-भविष्य के अनुमान भी देता है।
हमारा विश्लेषण विशुद्ध रूप से रिपोर्ट किए गए डेटा पर आधारित है। इसमें लॉकडाउन के प्रभाव, सामाजिक दूरी, स्वच्छता रखरखाव और लोगों की इम्यूनिटी आदि शामिल नहीं है। ऐसे में महामारी के दीर्घकालिक व्यवहार की भविष्यवाणी करना उचित नहीं है।
यह सर्वविदित है कि ऊपर बताए गए निवारक उपाय महामारी के प्रसार को कम करने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। हालांकि, हम यह भी जानते हैं कि सार्स-सीओवी-2 की इंक्यूबेशन (पनपने) की अवधि लगभग दो सप्ताह है।
अभी इस डेटा का विश्लेषण हमें आने वाले दो हफ्तों के लिए एक मजबूत अनुमान दे सकता है। हमने फ्रैक्टल एनालिसिस के आधार पर उच्चतम मापदंडों का निर्धारण करने के बाद, हमने डेटा (मौत बनाम समय) समर्थन करने वाला एक ऐसा नतीजा प्राप्त किया, जो हमें अगले दो हफ्तों के लिए अपेक्षित परिणाम की भविष्यवाणी करने में सक्षम बनाता है, जैसा कि इसे नीचे दिखाया गया है।
भारत में कोविड-19 मौतों की रिपोर्ट करने के लिए एनालिसिस और नन-लिनियर मॉडल फिटिंग
स्रोत: वीपी डिमरी, आरपी श्रीवास्तव
हमारे मॉडल फिटिंग (गणना) में हम 95 प्रतिशत विश्वास अंतराल (कॉंफिडेंस इंटरवल) का अनुमान लगाते हैं। इसका मतलब है कि 95 प्रतिशत संभावना है कि मूल्यों की सीमा (कोविड-19 मौतों की संख्या) इन सीमाओं के भीतर होगी।
सर्कुलर ब्लैक प्वायंट्स भारत में कोविड-19 मौतों की वास्तविक संख्या दिखाते हैं। निरंतर लाल रेखा उपलब्ध आंकड़ों की सबसे बेहतर गणना दिखाती है, जिसे अगले दो हफ्तों के लिए (10 मई तक) बढ़ा दिया गया है।
डॉटेड लाइंस (बिंदीदार रेखा) कॉंफिडेंस इंटरवल का 95 प्रतिशत दिखाती है और “I” का सिंबल अनुमान अंतराल में एरर बार (त्रुटी बार) का प्रतिनिधित्व करता है, जो संभव न्यूनतम और अधिकतम केसेज को दिखाता है। लाल रेखा पर गिरने वाले बिंदु अनुमान अंतराल (26 अप्रैल से 10 मई तक) में मामलों की अपेक्षित संख्या होगी।
जैसाकि नीचे तालिका में दिखाया गया है, हमने 95 प्रतिशत विश्वास अंतराल ((जो न्यूनतम और अधिकतम संभव मामले बताता है) के साथ दो सप्ताह (26 अप्रैल से 10 मई तक) के लिए अनुमानित मानों की गणना की।
आने वाले दो सप्ताह में भारत में कोविड-19 मौतों का अनुमान
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स्रोत: वीपी डिमरी, आरपी श्रीवास्तव
इस काम को करने का हमारा एकमात्र उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नागरिकों के ध्यान में ये तथ्य लाना है कि वृद्धि की दर बिल्कुल भी तीव्र (एक्सपोनेंशियल) नहीं है और स्थिति नियंत्रण में प्रतीत होती है।
सामान्य शब्दों में, एक्सपोनेंशियल का अर्थ बहुत तेज है। गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए, इसका अर्थ है, “एक मात्रा, जिसके पास प्रत्येक बिंदु पर अपने वर्तमान आकार के अनुपात में रेट ऑफ चेंज (परिवर्तन की दर) है।“
सरल भाषा में, यदि मात्रा छोटी है, तो एक्स्पोनेंशियल वृद्धि भी छोटी होती है। जब मात्रा बड़ी होती है, तो परिवर्तन तेजी से होता है।
महामारी धीरे-धीरे शुरू होती है। इस वजह से एक्सपोनेंशियल वृद्धि भी कम होगी। हमारे विश्लेषण के अनुसार, कोविड-19 की वृद्धि क्वाडरेटिक के करीब है, जो एक्सपोनेंशियल की तुलना में बहुत छोटी वृद्धि है।
कोविड-19 की स्थिति बहुत तेजी से बदल रही है। इसलिए हमने इस प्रोजेक्ट को लाइव रखा है और कुछ समय बाद हम फिर से पूर्वानुमान लगाना चाहेंगे।