भारत की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा कोरोना महामारी का भविष्य: विश्व स्वास्थ्य संगठन

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि शटडाउन केवल महामारी का दबाव कम कर सकता है, बड़े पैमाने पर टेस्ट (परीक्षण) वक्त की जरूरत

By Banjot Kaur

On: Tuesday 24 March 2020
 

23 मार्च को जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपात कार्यक्रम निदेशक माइक रेयान ने कहा कि वायरस की प्रसार गति इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत जैसी घनी आबादी वाला देश किस आक्रामक तरीके से इस महामारी से निपटता है। माइक रेयान ने कहा, “भारत ने दो खामोश लेकिन बहुत खतरनाक हत्यारे, चेचक और पोलियो को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा कर दुनिया को एक शानदार उपहार दिया है। भारत में जबरदस्त क्षमताएं हैं।“ रेयान ने आगे कहा कि इन दोनों बीमारियों को खत्म करने में मजबूत निगरानी नेटवर्क की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही और अब सन्दिग्ध कोविड-19 मरीजों को खोजने में इसी निगरानी नेटवर्क के इस्तेमाल किए जाने की आवश्यकता है।

डब्लूएचओ पैनल मानता है कि आक्रामक परीक्षण द्वारा कोरोना सन्दिग्धों की तलाश करना ही इस महामारी के खिलाफ महत्वपूर्ण हथियार है। यदि भारत  या कोई भी अन्य देश परीक्षण किटों की कमी का सामना कर रहा है तो उसे डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों को अपनाना चाहिए कि कैसे भविष्य के अनुसार परीक्षण को प्राथमिकता दी जाए।

भारत में टेस्ट (परीक्षण) प्रणाली एक कमजोर क्षेत्र रहा है, क्योंकि इसने अब तक केवल 18,000 से अधिक नमूनों का ही परीक्षण किया है जब कई अन्य देश प्रति सप्ताह कई हजार परीक्षण कर रहे हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कई मौकों पर कहा है कि भारत अंधाधुंध परीक्षण में विश्वास नहीं करता है। रेयान ने जोर देकर कहा कि आक्रामक परीक्षण का मतलब अंधाधुंध परीक्षण नहीं है। रेयान ने कहा,” हम यह नहीं कह रहे हैं कि हर किसी का परीक्षण किया जाना चाहिए। लेकिन हम कहते हैं कि जिनका अंतरराष्ट्रीय यात्रा या संपर्क का इतिहास है, उनके साथ ही निमोनिया के रोगियों का भी (जिनमें लक्षण हो जरूरी नहीं है) परीक्षण होना चाहिए।“

शटडाउन कारगर समाधान नहीं

यदि किट की कमी हैं, तो हमारे पास इसे ले कर दिशा-निर्देश हैं कि कैसे परीक्षण को प्राथमिकता दी जाए और महामारी प्रसार के चरण के आधार पर पीडित देश हमारे निर्देश का अनुपालन करें। मारिया वॉन ने कहा, "हर देश को यह देखना चाहिए कि परीक्षण किट का उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए ताकि हम कारगर तरीके से वायरस के खिलाफ लड़ सकें।“

23 मार्च को लगभग 20 राज्यों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन की घोषणा के साथ भारत में शटडाउन हो चुका है। कुछ अन्य देशों ने भी लोगों की आवाजाही को कड़ाई से प्रतिबंधित किया है। रेयान ने कहा, “लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित करना या लोगों को घर पर रहने के लिए कहना महामारी की तीव्रता को कम करेगा। लेकिन अगर हमें इस महामारी से बाहर निकलना है, तो हमें सन्दिग्धों की पहचान बढ़ानी होगी और सकारात्मक मामलों के लिए आइसोलेशन (सबसे अलग रखना) सुनिश्चित करना होगा। परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण है। आने वाले हफ्तों में यह काम और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा।“

कोई देश कब तक अपने लोगों को घर के भीतर बंद कर सकता है? डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने कहा कि ये एक ऐसा अभ्यास है, जिसे निरंतर बनाए रखना कठिन है।

रेयान ने कहा, “शटडाउन केवल महामारी के दबाव या तनाव को कम कर सकता है। हमने इबोला और पोलियो के प्रकोप में देखा है। देशों को वायरस के खिलाफ कदम उठाना ही होगा। सिंगापुर और दक्षिण कोरिया ने ऐसा ही किया। सरकारों को सब कुछ बंद नहीं करना पड़ा। स्कूलों और लोगों की आवाजाही को ले कर कुछ रणनीतिक निर्णय लिए गए। ये देश कुछ कठोर उपायों के बिना आगे बढ़ने में सक्षम रहे हैं। वे सन्दिग्ध मरीजों की तलाश करने जैसे हथियारों की बदौलत इस महामारी पर रोक लगा पाने में सक्षम रहे हैं।“

शटडाउन वायरस को खत्म करने के कम असरकारी और तात्कालिक उपाय है. इसके संपूर्ण खात्मे के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण किट, परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण उपाय भी करने होंगे।

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