जानिए कैसे 99 फीसदी तक एयरोसोल को रोक सकता है घर में बना मास्क

वैज्ञानिकों के अनुसार सूती कपड़े और रेशम या शिफॉन से बना मास्क 99 फीसदी तक एयरोसोल को फिल्टर कर सकता है| जोकि करीब-करीब एन95 मास्क की क्षमता के बराबर 

By Lalit Maurya

On: Monday 27 April 2020
 

दुनिया भर में कोरोनावायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। अब तक इसके करीब 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। भारत भी इस बीमारी से अछूता नहीं है। देश में भी करीब 28 हजार लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इससे जुडी सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि अब तक इस बीमारी की कोई टीका या वैक्सीन भी खोजा नहीं जा सका है। ऐसे में बचाव ही सुरक्षा का एकमात्र उपाय है । दुनिया भर के विशेषज्ञ इससे बचने के लिए मास्क लगाने की सलाह दे रहे हैं। पर दुनिया में फैली इस महामारी और बढ़ती मांग को देखते हुए मास्क की कमी होना लाजिमी ही है| ऐसे में साधारण सी चीजों की मदद से एक प्रभावी मास्क घर पर ही बनाया जा सकता है|

कोरोनावायरस के बारे में मान्यतः है कि यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति की सांस, खांसने, छींकने और बोलने के दौरान निकले महीन कणों के माध्यम से फैलता है| जोकि आकार में बड़े या छोटे हो सकते हैं| इनके सबसे छोटे कण को एयरोसोल कहा जाता है| ऐसे में सबके मन में यह सवाल रहता है कि क्या अकेले कपड़ा इन एयरोसोल को रोक सकता है|

एन95 के बराबर ही काम करता है यह मास्क

इसी को समझने के लिए शिकागो विश्वविद्यालय में सुप्रतीक गुहा और उनके सहयोगियों ने श्वसन की बूंदों और उसके आकार के बराबर एरोसोल को छानने के लिए अलग-अलग कपड़ों की क्षमता का अध्ययन किया है। जिससे जुड़ा शोध जर्नल एसीएस नैनो में छपा है| जिसके अनुसार कपड़ों की दो परतों को ठीक तरह से सिल कर एक प्रभावी मास्क बनाया जा सकता है| शोधकर्ताओं के अनुसार उसमें यदि एक परत सूती कपड़े और दूसरी प्राकृतिक रेशम या शिफॉन का हो तो वह मास्क एरोसोल को प्रभावी ढंग से रोक सकता है|

वैज्ञानिकों ने जब सूती कपड़े और गाउन के रूप में इस्तेमाल होने वाले पॉलिएस्टर-स्पैन्डेक्स शिफॉन पर प्रयोग किया तो उन्हें पता चला कि यदि इन कपड़ों को ठीक तरह से सिल दिया जाये तो यह काफी हद तक एयरोसोल को रोक सकते हैं| हालांकि यह कितना बेहतर काम करेंगे यह कणों के आकर पर निर्भर करता है| पर यह आम तौर पर 80 से 99 फीसदी एयरोसोल कणों को फ़िल्टर कर सकते हैं| जोकि करीब-करीब एन95 मास्क की क्षमता के बराबर ही है|

वैज्ञानिकों के अनुसार मास्क में लगा सूती कपड़ा कणों के लिए एक यांत्रिक बाधा के रूप में कार्य करता है| जबकि शिफॉन और प्राकृतिक रेशम जैसे कपड़े जो स्टैटिक चार्ज रखते हैं वो कणों के लिए इलेक्ट्रोस्टैटिक अवरोध के रूप में काम करते हैं। इस तरह यह दोनों मिलकर करीब 99 फीसदी तक कणों को अंदर जाने से रोक देते हैं| इसके साथ ही वैज्ञानिकों के अनुसार इन कपड़ो को ठीक से सिलना भी जरुरी है | यदि उनके बीच 1 प्रतिशत की भी जगह बची रह जाएगी तो मास्क की फ़िल्टर करने की क्षमता आधी या उससे भी कम रह जाएगी| इसलिए इन्हें जोड़ते समय विशेष ध्यान देना चाहिए|

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