कोविड-19 के मामूली संक्रमण के बाद भी उम्र भर बनी रह सकती है इम्यूनिटी

संक्रमण के ठीक होने के बाद भी बोन मैरो में बची रहती हैं एंटीबॉडी पैदा करने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं, जो रक्त में एंटीबॉडी को स्रावित करती रहती हैं

By Lalit Maurya

On: Wednesday 26 May 2021
 

यदि किसी व्यक्ति को एक बार कोविड-19 का मामूली संक्रमण हो जाता है, तो उसके शरीर में लम्बे समय तक इस बीमारी के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। ऐसे में इस बीमारी के दोबारा होने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। यह जानकारी हाल ही में सेंट लूइस के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा किए एक शोध में सामने आई है, जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं के अनुसार कोविड-19 के हल्के संक्रमण से उबरने के महीनों बाद भी, लोगों के शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाएं बनी रहती हैं, जो वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करती हैं। ऐसी कोशिकाएं जीवन भर शरीर में बनी रह सकती हैं।

इस शोध से जुड़े वरिष्ठ शोधकर्ता अली एल्लेबेडी ने बताया कि “पहले इस तरह की खबरें सामने आईं थी कि संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से घटती जाती है, जिससे कोविड-19 के फिर से होने की सम्भावना बनी रहती है। इसका मुख्य धारा के मीडिया ने यह मतलब निकाला था कि रोग प्रतिरोधी क्षमता लंबे समय तक नहीं टिक पाती है।“

लेकिन इसमें आंकड़ों की सही तरीके से व्याख्या नहीं की गई थी। उनके अनुसार गंभीर संक्रमण के बाद एंटीबॉडी के स्तर का नीचे जाना सामान्य है, लेकिन वो कभी भी शून्य नहीं हो जाती। उन्होंने जानकारी दी है कि उन्हें पहले लक्षणों के 11 महीने बाद भी लोगों के शरीर में एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाली कोशिकाएं मिली हैं। यह कोशिकाएं शरीर में ताउम्र जीवित रहती हैं और एंटीबाडी पैदा करती रहती हैं। जो इस बात का पुख्ता सबूत है कि उनके शरीर में इसके खिलाफ लम्बे समय तक इम्यूनिटी बनी रहेगी।

इससे पहले भी जर्नल साइंस इम्म्यूनोलॉजी में छपे एक शोध में जानकारी दी गई थी कि एक बार कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद करीब 8 महीनों तक शरीर में उसके खिलाफ इम्म्यूनिटी बनी रहती है। 

बोन मैरो में बची रहती हैं एंटीबॉडी पैदा करने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं

शोध के अनुसार जब वायरल संक्रमण होता है तो उस दौरान शरीर में एंटीबॉडी पैदा करने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं और रक्त में फैल जाती  हैं, जिससे एंटीबॉडी का स्तर आसमान छूने लगता है। एक बार जब संक्रमण ठीक हो जाता है तो इनमें से अधिकांश कोशिकाएं मर जाती हैं, और रक्त में मौजूद एंटीबॉडी का स्तर फिर से गिर जाता है।

हालांकि एंटीबॉडी पैदा करने वाली कोशिकाओं की एक छोटी आबादी, जिसे लंबे समय तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाएं भी कहा जाता है, वो अस्थि मज्जा यानी बोन मैरो में बची रहती हैं और वहीं बस जाती हैं। ऐसे में जब फिर से संक्रमण होता है तो यह वायरस से लड़ने के लिए कम मात्रा में ही सही रक्त में एंटीबॉडी स्रावित करती रहती हैं।

 इसे समझने के लिए उन्होंने कोरोनावायरस से ग्रस्त 77 लोगों के रक्त के नमूने लिए थे। जिन्होंने संक्रमित होने के एक महीने के बाद से लेकर हर तीन महीनों में रक्त के नमूने दिए थे। इनमें से ज्यादातर मामलों में रोगियों को कोविड-19 का हल्का संक्रमण था। उन्होंने 18 लोगों के बोन मैरो के नमूने भी लिए थे। जिनमें संक्रमण के 11 महीनों बाद भी एंटीबाडी मिले थे। 

शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि जो लोग एक बार इस वायरस से संक्रमित हो चुके थे और उनमें दोबारा इसके लक्षण नहीं देखे गए थे। उनके शरीर में लम्बे समय तक प्रतिरक्षा पाई गई थी। हालांकि जो लोग इस संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार थे उनके शरीर में प्रतिरक्षा रहती है इस बारे में अभी अध्ययन किया जाना बाकी है। 

Subscribe to our daily hindi newsletter