उत्तराखंड में अप्रैल महीने में कोरोना के 39 फीसदी मरीज सिर्फ देहरादून में मिले

एक अप्रैल से एक मई के बीच राज्य में 85,103 नए कोविड संक्रमित पाए गए। इसमें से 32,967 कोविड पॉज़िटिव अकेले देहरादून में आए।

By Varsha Singh

On: Tuesday 11 May 2021
 
Photo : varsha singh

तकरीबन 33 डिग्री सेल्सियस तापमान में नीले सूट में वह महिला लड़खड़ाते कदमों से देहरादून के रायपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर बढ़ती चली जा रही थी। उसे देख कर लग रहा था कि किसी भी क्षण बेहोश होकर सड़क पर गिर सकती है। मास्क नीचे कर वह ज़ोर से खांसती है और लंबी सांसें खींचते हुए मास्क फिर नाक पर चढ़ा लेती है। खुद को किसी तरह समेटे वह अस्पताल परिसर में दाखिल होती है।

वहां अभी-अभी एक गहमागहमी का समापन हुआ है। कोविड के लक्षणों वाली पत्नी को लेकर दोपहर करीब 12 बजे एंटीजन टेस्ट के लिए आए शख्स को पता चला कि अब टेस्ट नहीं हो सकता। टेस्ट के लिए सुबह 8 से 9 बजे तक पर्ची कटानी होती है। उस एक घंटे में जितने लोगों की पर्ची कटायी जाती है सिर्फ उन्हीं का टेस्ट किया जाता है। टेस्ट करने वाली टीम ने 12 बजे तक काम को समाप्त कर दिया और फिर आगे टेस्ट करने से इंकार कर दिया।

उस व्यक्ति ने देहरादून की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा से फ़ोन पर बात की। डॉ बहुगुणा ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि 12 बजे के बाद टेस्ट न हो। वह केंद्र के प्रभारी डॉक्टर आनंद शुक्ला को फ़ोन लगाती हैं। उनसे दोबारा बात करने पर पता चलता है कि प्रभारी डॉक्टर फ़ोन नहीं उठा रहे। केंद्र पर मौजूद कर्मचारी ने बताया कि डॉ शुक्ला स्थानीय विधायक के साथ बैठक में हैं। गुस्से और हताशा के बाद वह शख्स अपनी बीमार पत्नी को लेकर दूसरे टेस्ट सेंटर की ओर बढ़ जाता है।

अस्पताल, इलाज, डॉक्टर, टेस्ट, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, देहरादून शहर भी कोरोना की बढ़ी मुश्किलों से जूझ रहा है। यहां हरिद्वार और राज्य के पर्वतीय ज़िलों से इलाज के लिए तो लोग आते ही हैं। दिल्ली-चंडीगढ़ में भी बेड न मिलने पर लोग देहरादून आ रहे हैं।

देहरादून के 26 अस्पतालों में कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है। बेड के लिए मची मारामारी के बाद राज्य सरकार ने बेड की उपलब्धता का अपेडट covid19.uk.gov.in वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिए। 1 मई की रात नौ बजे बिना ऑक्सीजन वाले बेड एम्स ऋषिकेश समेत कुछ इक्का-दुक्का अस्पतालों में फिर भी मिल जाएंगे। लेकिन एम्स ऋषिकेश, विवेकानंद अस्पताल और कालसी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कुछ बेड को छोड़कर अन्य कहीं ऑक्सीजन बेड उपलबब्ध नहीं है। आईसीयू में कहीं जगह नहीं है। एंबुलेंस का इंतज़ार लंबा और महंगा है।

रेमडेसिविर जैसी दवाइयों की कालाबाज़ारी ने प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यहां तक कि ऑक्सीजन लेवल की जांच के लिए ऑक्सीमीटर भी आसानी से नहीं मिल रहा।

सामान्य मरीज़ों और दुर्घटना के मामलों में भी स्थिति जानलेवा हो गई है। कर्फ्यू और बेरोज़गारी को देखते हुए ऋषिकेश में ऑटो चलाने वाले गंगा पांडे 27 अप्रैल की रात सपरिवार टैंपो-ट्रैवलर से अपने गृह नगर अयोध्या जाने के लिए निकले। ये टैंपो-ट्रैवलर उनके साथी का था और वो भी सपरिवार अयोध्या जा रहा था। गंगा बताते हैं कि मुरादाबाद से करीब 10 किलोमीटर पहले एक ट्रक ने सड़क किनारे खड़े उनके वाहन को ज़ोरदार टक्कर मारी। जिसमें गंगा और उनके साथी को काफी चोटें आईं। पैर में फ्रैक्चर हो गया। दोस्त का पांच साल का बेटा मौके पर ही मारा गया। गंगा की पत्नी अंजलि पांडे को सिर में गंभीर चोट आई। उनकी सात महीने की बच्ची इस हादसे में बच गई।

मुरादाबाद से एंबुलेंस कर 27 अप्रैल की शाम गंगा पांडे अपनी पत्नी को लेकर वापस ऋषिकेश एम्स पहुंचे। वह बताते हैं कि बहुत गुहार लगाने पर वहां उनका प्राथमिक उपचार हुआ। इसके बाद बेड खाली न होने की बात कहकर अस्पताल ने निकाल दिया। इसके बाद 28 अप्रैल को वह किसी तरह देहरादून के पैनेसिया अस्पताल पहुंचे। वहां उनकी बेहोश पत्नी की कोविड रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। इसके बाद पैनेसिया अस्पताल ने भी अंजलि को बाहर निकाल दिया।  गंगा पांडे ने कई जगह मदद मांगी। कुछ सोशल मीडिया ग्रुप में भी उनकी मदद की गुहार पहुंची।  देहरादून के प्रसाद अस्पताल में किसी तरह दाखिला मिला। 1 मई को वह तकरीबन रोते हुए बताते हैं हमने सीएमआई अस्पताल में भी बात की। वहां न्यूरो सर्जन हैं। लेकिन उन्होंने कोविड के चलते इलाज से इंकार कर दिया। पांच दिनों से मेरी पत्नी को होश नहीं आया। मेरी 7 महीने की बच्ची का क्या होगा

अपने परिजनों के इलाज के लिए लोग जगह-जगह फ़ोन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर मदद मांग रहे हैं। 31 मार्च तक तकरीबन ठीक स्थिति में चल रहे उत्तराखंड पर अप्रैल का महीना भारी बीता। सबसे ज्यादा कोविड केस देहरादून में दर्ज हो रहे हैं। राज्य में मृत्यु का औसत भी राष्ट्रीय औसत से 2.73 % अधिक है।

अप्रैल 2021 को उत्तराखंड में कुल पॉजिटिव केस की संख्या 100,911 और कुल मौतें 1719 थीं। इस समय देहरादून में कुल पॉज़िटिव मरीजों की संख्या 31,355 थी।

1 मई को 2021 राज्य में कुल पॉज़िटिव मरीज बढ़कर 186,014 हो गए। मौत का आंकड़ा 2731 पहुंच गया। इसमें 1549 मौतें अकेले देहरादून में हुई है। यहां पॉज़िटिव मरीज बढ़कर 64,322 हो गए। यानी 32,967 लोग (38.73 फीसदी) अकेले देहरादून में अप्रैल महीने में संक्रमित हुए।

यानी एक अप्रैल से एक मई के बीच राज्य में 85,103 नए कोविड संक्रमित पाए गए। इसमें से 32,967 कोविड पॉज़िटिव अकेले देहरादून में आए। उत्तराखंड सरकार इस स्थिति के लिए तैयार नहीं थी। देशभर में ऑक्सीजन संकट बढ़ा। देहरादून के अस्पतालों में भी इसका असर दिखाई देने लगा था।

जिस तरह मार्च 2020 तक कोविड संकट के आहट के बावजूद उत्तराखंड में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने की कोई तैयारी नहीं थी। मार्च 2021 तक कोविड के नए स्ट्रेन की पुष्टि के बावजूद राज्य सरकार ने कोई दूरदर्शिता नहीं दिखाई। अप्रैल के तीसरे हफ्ते से स्थितियां बेकाबू होनी शुरू हुई तो ऑक्सीजन प्लांट लगाने, अस्थायी बेड और अस्पताल तैयार करने जैसी कवायद भी शुरू हुई।

1 मई को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने दो दिनों में 7 मिड लेवल अस्पतालों की अतिरिक्त व्यवस्था की है। जिसके बाद राज्य में 700 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड39 आईसीयू और दो वेंटीलेटर अतिरिक्त बढ़ गए हैं। इस समय राज्य में 17 हजार के करीब अस्पतालों में बेड हैं। जबकि 5500 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड1302 आईसीयू बेड774 वेंटिलेटर कोविड के लिए इस्तमाल किए जा रहे हैं।

रेमडेसिविर, कोविड वैक्सीन की आपूर्ति लगातार बाधित हो रही है। 2 मई को स्वास्थ्य सचिव डॉ पंकज कुमार पांडेय ने आदेश जारी किया कि टॉक्लीजुमांब (Tocilizumab) दवा का इस्तेमाल बहुत जरूरी होने पर ही करें। ये दवा भी देश में कुछ दिनों पहले आउट ऑफ स्टॉक हो गई है। अस्पतालों में मरीज़ों की लंबी कतार और अव्यवस्थाओं को देखते हुए ज्यादातर लोग पूरी तरह लॉकडाउन की मांग कर रहे हैं।

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