लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को 17 घंटे बाद मिला खाना
कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए हरियाणा की अंतरराज्यीय और जिले की सीमाएं सील कर दी गई है
On: Tuesday 31 March 2020
राजस्थान के भिवाड़ी से गुरुग्राम एनएच-8 से होते हुए सहारनपुर जा रहे प्रवासी मजदूर मुस्तकीम, रहमान, शिबू समेत दो दर्जन से अधिक लोग सीमा सील होने के कारण पुलिस ने रोक लिया। ये सभी वहां इंडस्ट्रियल एरिया में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन हुआ तो काम मिलना भी बंद हो गया। जिस पुल के नीचे सोते थे, वहां से भी पुलिस ने हटा दिया तो मजबूरी में घर जाने के लिए रविवार को पैदल निकल पड़े। सोमवार को शाम चार बजे गुरुग्राम के कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे के पास पुलिस ने रोक लिया। वहां से मानेसर स्थित शेल्टर होम भेज दिया। जहां करीब 500 प्रवासी मजदूरों के लिए यहां रुकने का इंतजाम किया गया है। यहां थोड़ी खिचड़ी खाने को मिली। मुस्तकीम ने बताया कि करीब 17 घंटे बाद उसे खाना नसीब हुआ।
कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए हरियाणा की अंतरराज्यीय और जिले की सीमाएं सील कर दी गई है। सेंट्रल ट्रेड यूनियन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष सतबीर सिंह कहते है, गुरुग्राम के उद्योग विहार से लेकर आईएमटी मानेसर, धारूहेड़ा, टपूकड़ा और भिवाड़ी तक पूरी इंडस्ट्रियल बेल्ट है। यहां बड़ी संख्या में मजदूर फंसे हुए हैं। इसके अलावा राज्य के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी मजदूर फंसे हुए हैं।
प्रदेश से मजदूरों का पलायन रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने जिला प्रशासन को सामुदायिक/सरकारी भवनों को शेल्टर होम के रूप में तब्दील करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद अलग-अलग जिलों में शेल्टर होम बनाए गए। सरकार ने दावे किए कि प्रवासी मजदूरों के लिए बेहतरीन इंतजाम किया जाएगा, लेकिन हकीकत इससे जुदा है।
मानेसर के जहां मजदूरों के लिए शेल्टर का इंतजाम किया गया, वहां न तो पीने के लिए सही से पानी है और न ही सोने के लिए गद्दे का इंतजाम किया गया था। पहले प्रशासन का दावा था कि सभी जगहों पर गद्दे का इंतजाम किया जाएगा, लेकिन सभी के लिए गद्दे का इंतजाम नहीं हो सका। जिला प्रशासन की ओर से 33 जगहों पर शेल्टर बनाए गए है। शेल्टर के रूप में तब्दील किए गए कुछ कम्यूनिटी सेंटर में थोड़ी संख्या में गद्दे का इंतजाम किया गया है, लेकिन वह आने वाली भीड़ के आगे नाकाफी साबित हो रही है। गुरुग्राम प्रशासन के अनुमान के मुताबिक 40 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद है। इतनी संख्या में अचानक इंतजाम करना प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। दो लोगों के बीच की दूरी भी तीन मीटर से कम है।
सेंट्रल ट्रेड यूनियन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष सतबीर सिंह कहते है, जो लोग पलायन कर रहे है। इसमें सभी दिहाड़ी मजदूर है, जिनके पास अब खाने को नहीं है तो वह मजबूरी में जा रहे है। सरकार ने मजदूरों के अकाउंट में राहत पैकेज के तहत पैसे देने की बात कहीं है, लेकिन वह तो कहीं रजिस्टर्ड ही नहीं है। अब सरकार ने गैर पंजीकृत मजदूरों को 1000 रुपये प्रति सप्ताह देने का ऐलान किया है, वह भी नाकाफी है। उसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जटिल बनाई गई है।
पुलिस ने सीमा सील की तो पकड़ लिया पटरियों का रास्ता
सिरसा में जब सीमाए सील होने के बाद प्रवासी मजदूरों की धड़पकड़ शुरू हुई तो लोगों ने पटरियों के रास्ते अपने मंजिल की ओर बढ़ने लगे। सिरसा रेलवे स्टेशन के समीप उन्हें रोका गया तो प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वे पंजाब के रामा मंडी से आए हैं और दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली से बसों के माध्यम से बिहार जाएंगे। पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया और रोडवेज बस का प्रबंध कर वापस रामा मंडी भेज दिया गया। वहीं, करनाल के घरौंदा में यमुना नदी के रास्ते लोग अवैध तरीके से सफर करते दिखे है। सिरसा के डीएसपी राजेश चेची ने बताया कि इसके बाद रेलवे पुलिस की ओर से पटरी पर भी नाका लगवा दिया है ताकि यहां से भी कोई न निकल सके।