दुनिया भर में 2021 में 2 लाख से अधिक बच्चों ने टीबी के कारण अपनी जान गंवाई: डब्ल्यूएचओ

डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर से 30 हजार से अधिक युवा टीबी को खत्म करने के लिए युवाओं को जुटाने और जागरूकता बढ़ाने की गतिविधियों में लगे हुए हैं

By Dayanidhi

On: Wednesday 23 November 2022
 

बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन उन देशों का एक महत्वपूर्ण समझौता है जिन्होंने बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने का वादा किया है।

सम्मेलन में बताया गया है कि बच्चे कौन हैं, उनके अधिकार और सरकारों की उनके प्रति क्या जिम्मेदारियां हैं। उनके सभी अधिकार जुड़े हुए हैं, वे सभी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और उन्हें बच्चों से अलग नहीं किया जा सकता है।

वहीं दुनिया भर में हर बच्चे को जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार होने के बावजूद भी 2021 में 12 लाख बच्चे और किशोर टीबी या तपेदिक रोग से बीमार पड़े। जहां 2,00,000 से अधिक बच्चों ने टीबी की बीमारी से अपनी जान गंवा दी और उनमें से 80 फीसदी अपने पांचवें जन्मदिन तक भी नहीं पहुंच पाए।

पिछले कुछ सालों से दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है, राजनीतिक संघर्ष, आर्थिक मंदी और खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है, ये सभी टीबी की बीमारी के लिए कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं। टीबी का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों सहित कमजोर लोगों पर पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट ने बच्चों और युवा किशोरों सहित दुनिया भर में टीबी के इलाज संबंधी सेवाओं पर कोविड-19 महामारी के गंभीर प्रभाव के बारे में बताया है। 2021 में, 5 वर्ष से कम आयु के टीबी से ग्रसित बच्चों की संख्या, 2019 की तुलना में 17 फीसदी कम थी, जबकि उन 15 वर्षों और उससे अधिक में 9 फीसदी की गिरावट आई थी।

बच्चों के लिए टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) के प्रावधान में प्रगति भी धीमी है, 2021 में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में से एक तिहाई से भी कम का उपचार किया गया। दुनिया भर में विशेष रूप से विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष से प्रभावित बच्चों के लिए स्थिति बदतर है, जो अक्सर दूसरी जगहों पर रहने के लिए मजबूर होते है और जिनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वह विभिन्न देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टीबी के कारण अनावश्यक पीड़ा और मृत्यु को कम करने के लिए बच्चों और किशोरों को नए  उपकरणों और सेवाओं तक पहुंच हासिल हो सके।

इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) और सीडीसी के सहयोग से डब्ल्यूएचओ, बच्चों सहित शरणार्थियों और अन्य आबादी के बीच टीबी की रोकथाम और देखभाल सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन और सहायक प्रयास शुरू कर रहा है।

डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस प्रोग्राम के निदेशक डॉ टेरेजा कासेवा के मुताबिक टीबी से पीड़ित बच्चों की समय पर और गुणवत्तापूर्ण देखभाल तक पहुंच उनका एक आवश्यक अधिकार है और वयस्कों के रूप में इसे पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा टीबी से ग्रसित बच्चे जिनकी जांच और उपचार किया गया है, उनके उपचार के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हम दवा प्रतिरोधी टीबी सहित हर बच्चे में टीबी का पता लगाएं, जांच करें और उसका इलाज करें तथा सभी बच्चों और किशोरों के लिए निवारक उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करें।

अधिवक्ताओं के रूप में बच्चे और किशोर टीबी को समाप्त करने के प्रयासों में तेजी से शामिल हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रचारित बहुत से इलाकों के जुड़ने  के हिस्से के रूप में शिक्षा मंत्रालय की भागीदारी के साथ स्कूलों में  टीबी पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं। इसमें किशोर अधिक सक्रिय भूमिका निभाते हैं, जैसा कि डब्ल्यूएचओ की 1+1 पहल के माध्यम से चल रहे युवा को जोड़ने के प्रयासों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

दुनिया भर से 30,000 से अधिक युवा टीबी को खत्म करने के लिए युवाओं को जुटाने और जागरूकता बढ़ाने की गतिविधियों में लगे हुए हैं। यह बच्चों और किशोरों को टीबी प्रतिक्रिया के केंद्र में चेंजमेकर्स के रूप में शामिल होने की भूमिका को उजागर करता है, जो युवाओं  की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने वाले समाधान बनाने में मदद करता है। यदि हमें टीबी के खिलाफ लड़ाई जीतने में सफल होना है तो हमें उनकी नई सोच और क्रांतिकारी दृष्टिकोण के साथ युवाओं की शक्ति की आवश्यकता है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हमें दुनिया भर में प्रभावित हर बच्चे और किशोर के स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। हमें दुनिया को टीबी से मुक्त करने के प्रयासों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। हमें उनके युवा जीवन और भविष्य को टीबी जैसी रोकथाम और इलाज योग्य बीमारी से खतरे में नहीं डालना चाहिए।

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