भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पतालों में अब सिर्फ कोरोनावायरस मरीजों का होगा इलाज
मरीजों का आरोप है कि अस्पताल में भर्ती गंभीर रोगियों की छुट्टी की जा रही है। डायलिसिस कराने आने वाले मरीजों को भी लौटाया जा रहा है
On: Wednesday 25 March 2020
भोपाल के अकील अहमद 1984 में गैस कांड के वक्त मिथाइल आइसोसाइनेट गैस की चपेट में आ गए थे। गैस कांड के कुछ वर्षों में ही उनकी किडनी पर इसका असर हुआ और इस समय उन्हें एक सप्ताह में तीन बार डायलिसिस कराना होता है। मंगलवार को जब वे डायलिसिस करवाने गैस पीड़ितों के लिए बने अस्पताल भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) पहुंचे तो उन्हें खबर मिली की यह अस्पताल अब कोविद-19 यानि नोवेल कोरोना वायरस के रोगियों के लिए चिन्हित किया गया है। यहां अब सिर्फ उन्हीं का इलाज होगा। भोपाल में इस समय कोविद-19 से संक्रमित एक ही मरीज मिला है। एक मरीज के परिजन अनिकेत किरार ने कहा कि उनकी मां किरण किरार भी कई वर्षों से किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं और उन्हें भी डायलिसिस से इंकार कर दिया गया है। अकील अहमद और किरण किरार की तरह अस्पताल में आने वाले तकरीबन 224 किडनी के मरीजों के लिए डायलिसिस करना मुश्किल हो गया है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविन ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में नोवल कोराना वायरस को संक्रामक रोग घोषित किया है। इसकी रोकथाम में सहयोग के लिये भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर को जनहित में राज्य-स्तरीय कोविद-19 उपचार संस्थान चिन्हाकित किया गया है। इस हॉस्पिटल में केवल कोविद-19 के मरीजों का ही उपचार किया जाएगा। इस आदेश के बाद अस्पताल में गैस पीड़ितों का इलाज नहीं होगा। अस्पताल से चार हजार से अधिक गैस कांड के शिकार लोगों का इलाज होता है जिन्हें हादसे के बाद से कई तरह की बीमारियां हुईं। इनमें कैंसर, गैस्ट्रो, किडनी, हृदयरोग, चर्मरोग सहित कई गंभीर रोगों के मरीज शामिल हैं जिन्हें चिकित्सकों की लगातार निगरानी की जरूरत होती है।
गैस पीड़ितों के हक में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इस फैसले के बाद से अस्पताल से गंभीर मरीजों की भी छुट्टी की जा रही है। अस्पताल ने एक दिन में ही तकरीबन 50 मरीजों की छुट्टी कर दी जिनमें से कईयों का इलाज आईसीयू में चल रहा था। कई मरीजों की सर्जरी हुई थी जिसके बाद चिकित्सकों की निगरानी में उन्हें रखा जाना था। कई मरीजों को अस्पताल लगातार दवाई लेने और ओपीडी में जांच कराने जाना होता है। इस आदेश के यह सब प्रभावित होगा।
इस आदेश के एक दिन पहले भोपाल गैस पीड़ित संगठनों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, डायरेक्टर जनरल-ICMR, सचिव-रसायन एवं उर्वरक विभाग सहित राज्य और केंद्र के कई विभागों को चिट्ठी लिखकर कहा था कि गैस पीड़ितों में कोविद-19 का असर सामान्य मरीजों से पांच गुना अधिक होगा, इसलिए संक्रमण की पहचान, जांच और इलाज के लिए कदम उठाए जाएं। संगठन आरोप लगाते हैं कि गैस पीड़ितों की विशेष सहायता करने के बजाए सरकार ने उनके सामान्य इलाज को भी ठप कर दिया।
भोपाल में नोवेल कोरोना वायरस का एक संक्रमित मिलने के बाद से ही सरकार ने शहर में लॉक डाउन की घोषणा की है और 31 मार्च तक भोपाल में कर्फ्यू भी लगा हुआ है।