तीसरा भाग : ओमिक्रॉन बनाम डेल्टा, जानिए कौन सा वेरिएंट है कितना खतरनाक

4 अप्रैल, 2021 को डेल्टा को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट कहा गया और 11 मई, 2021 को वेरिएंट ऑफ कंसर्न। दूसरी ओर, ओमिक्रॉन केवल दो दिनों में वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग से वेरिएंट ऑफ कंसर्न बन गया।

By Taran Deol, Kiran Pandey, Elsabé Brits, Jack McBrams, Busani Bafana, Manuel Mucari, Lerato Matheka

On: Thursday 23 December 2021
 

वैश्विक महामारी कोविड-19 का तीसरा साल एक नए वेरिएंट के साथ शुरू हुआ है। ठीक वैसे ही जैसे दूसरे वर्ष की शुरुआत में डेल्टा वेरिएंट आया था। डेल्टा इस महामारी के घातक लहर का कारण बना, लेकिन ओमिक्रॉन नाम का नया वेरिएंट अधिक प्रसार योग्य है और इम्यूनिटी से खुद को बचा ले जाने में सक्षम बताया जा रहा है। इसका अर्थ है कि इस बार दुनिया को एक लंबी महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए, पढ़िए तीसरी कड़ी...

सर्वव्यापी डेल्टा वेरिएंट के पता लगने के एक साल बाद ओमिक्रॉन आया है। कोविड-19 के दो वर्षों के भीतर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पांच वेरिएंट ऑफ कंर्सन और दो वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) को मान्यता दी है। डेल्टा का पहली बार भारत में दिसंबर 2020 में पता चला था। 23 नवंबर को कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के महामारी विज्ञान अपडेट का कहना है कि डेल्टा में विश्व स्तर पर अन्य वेरिएंट्स की मौजूदगी के साथ गिरावट जारी है। इस महामारी को शुरू करने वाला मूल स्वरूप (वेरिएंट) अब कहीं नहीं देखा जा रहा है।

आंकड़े बताते हैं कि अल्फा संस्करण की तुलना में डेल्टा 40-60 प्रतिशत अधिक पारगम्य (ट्रांसमिसिबल) है। यह चीन के वुहान में पाए जाने वाले सार्स-सीओवी-2 के मूल वेरिएंट से लगभग दोगुना पारगम्य है। डेल्टा से संक्रमित मरीजों में वायरल लोड काफी अधिक होता है, जिससे ट्रांसमिसिबिलिटी बढ़ जाती है।

शुरुआती रुझानों को देखते हुए ऐसा लगता है कि ओमिक्रॉन, डेल्टा की तुलना में तेजी से फैल रहा है। लेकिन दुनिया भी इसका तेजी से जवाब दे रही है। 4 अप्रैल, 2021 को डेल्टा को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट कहा गया और 11 मई, 2021 को वेरिएंट ऑफ कंसर्न। दूसरी ओर, ओमिक्रॉन केवल दो दिनों में वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग से वेरिएंट ऑफ कंसर्न बन गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में पहला मामला सामने आने के पांच महीने बाद 18 मई, 2021 तक 48 देशों में डेल्टा संस्करण की पुष्टि की गई थी। इसके बाद हर हफ्ते छह से नौ नए देशों में इसका पता चला। सबसे व्यापक भौगोलिक प्रसार 17 अगस्त और 24 अगस्त, 2021 के बीच देखा गया, जब 15 नए देशों ने इसकी सूचना दी। अक्टूबर 2021 के पहले सप्ताह तक, डेल्टा सभी महाद्वीपों के कम से कम 191 देशों में पाया गया था।

इसकी तुलना में ओमिक्रॉन का पहली बार पता लगने के पांच दिनों के भीतर चार महाद्वीपों के 16 नए देशों में पाया गया था। डब्ल्यूएचओ कहता है कि विश्व स्तर पर इसके और फैलने की संभावना बहुत अधिक है।

ओमिक्रॉन के संभावित प्रभाव का अनुमान आरो वैल्यू या प्रत्येक संक्रमण द्वारा फैले नए मामलों की औसत संख्या के माध्यम से लगाया जा सकता है। इसका उपयोग यह मापने के लिए किया जाता है कि एक वेरिएंट कितनी तेजी से फैल सकता है। जर्नल नेचर में 2 दिसंबर को प्रकाशित एक लेख के अनुसार, नए संस्करण का वर्तमान आरओ वैल्यू 2 है। सितंबर में यह 1 था जब डेल्टा फैल रहा था। टॉम वेंसलीर्स बेल्जियम के एक शोध विश्वविद्यालय, कैथोलीके यूनिवर्सिटी ल्यूवेन के एक इवोल्यूशनरी बायोलाजिस्ट है। 2 दिसंबर को नेचर पत्रिका ने उन्हें कोट करते हुए लिखा, “एक ही समय अवधि में डेल्टा जितने लोगों को संक्रमित कर सकता है, ओमिक्रॉन उसके मुकाबले 3 से 6 गुना अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है। यह वायरस के लिए बहुत बड़ा फायदा है।” हालांकि, कैप्रिसा के सलीम अब्दुल करीम ने 30 नवंबर को अपनी ब्रीफिंग के दौरान आगाह किया कि ओमिक्रॉन की उच्च प्रसार क्षमता इसे चिकित्सकीय रूप से अधिक खतरनाक नहीं बना सकती है।

पुन: संक्रमण इस वेरिएंट से जुड़ी एक और गंभीर बात है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  26 नवंबर को प्रारंभिक साक्ष्य का हवाला देते हुए कहा कि ओमिक्रॉन ऐसी घटना के जोखिम को बढ़ाता है। हालांकि, इसने कहा है कि उस समय उपलब्ध जानकारी सीमित थी, और आने वाले दिनों या हफ्तों में जानकारी अपडेट की जाएगी। इससे कोविड-19 के खिलाफ कमजोर होती प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) को लेकर सवाल उठते हैं, फिर चाहे यह प्रतिरक्षा संक्रमण से मिली हो या टीकाकरण से। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि नया वेरिएंट किसी भी तरह से प्राप्त प्रतिरक्षा को भेद रहा है। अमेरिका में पहला ज्ञात ओमिक्रॉन मामला कैलिफोर्निया के एक पूर्ण टीकाकरण प्राप्त व्यक्ति का था, जो 22 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका का दौरा करके लौटा था।

एनआईसीडी-एसए ने यह भी कहा है कि पहले डेल्टा जैसे अन्य वेरिएंट से प्रभावित लोग फिर से ओमिक्रॉन से संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन टीका को अब भी गंभीर संक्रमण से बचाने वाला माना जाता है। सारा गिल्बर्ट, यूके में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर है। वह एस्ट्राजेनेका के साथ इसके टीके के विकास कार्य से भी जुड़ी रही हैं। 5 दिसंबर को एक सार्वजनिक व्याख्यान में उन्होंने कहा, “ओमिक्रॉन स्पाइक प्रोटीन में वायरस के स्वरूप परिवर्तन (उत्परिवर्तन) को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।”  

लेकिन ऐसे अतिरिक्त बदलाव भी हो सकते है, जो टीका या अन्य वेरिएंट से निर्मित एंटीबॉडी द्वारा ओमिक्रॉन संक्रमण को रोकने में कम प्रभावी हो सकते हैं। वैक्सीन-निर्माता भी वेरिएंट के बारे में नई जानकारी के आधार पर अपनी कोविड-19 रणनीतियों को फिर से तैयार कर रहे हैं। अमेरिका स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी मॉडर्ना ने 3 दिसंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “ओमिक्रॉन वेरिएंट में ऐसे उत्परिवर्तन शामिल हैं जो डेल्टा वेरिएंट में देखे गए थे और ये ट्रांसमिसिबिलिटी और उत्परिवर्तन बढ़ाने वाले माने जाते हैं। ऐसे उत्परिवर्तनों का संयोजन प्राकृतिक और वैक्सीन-प्रेरित प्रतिरक्षा को कमजोर करने वाले माने जाते हैं।” 26 नवंबर को जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर जैसे अन्य निर्माताओं के साथ, मॉडर्ना ने ओमिक्रॉन के लिए खास टीकों पर काम करना शुरू कर दिया है। विज्ञप्ति के अनुसार, “हम नए उभरते हुए कोविड-19 वायरस वेरिएंट की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, जिसके सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन में भिन्नता है और पहले से ही दक्षिणी अफ्रीका में नए और तेजी से फैलने वाले वेरिएंट के खिलाफ हमारे टीके की प्रभावशीलता का परीक्षण कर रहे हैं।”

वर्तमान में कमजोर प्रतिरक्षा को एंटीबॉडी परीक्षण से मापा जाता है। कोविड-19 टीकाकरण की प्रभावकारिता पर अभी कई अध्ययन की समीक्षा की जानी है।  दूसरी खुराक के लगभग पांच महीने बाद एंटीबॉडी में गिरावट देखी गई है। यह संक्रमण के प्रसार की वजह बन सकती है। हालांकि, इम्यूनोलाजिस्ट्स कमजोर प्रतिरक्षा अवधारणा पर बहुत अधिक प्रतिक्रया न देने की सलाह दे रहे हैं। कैप्रिसा ने माना है कि अस्पताल में भर्ती होने और पुन: संक्रमण के मामले में भी गंभीर बीमारी की संभावना नहीं हो सकती क्योंकि यह प्रभाव इम्यून सिस्टम के मेमोरी टी सेल पर निर्भर करता है न कि मौजूद एंटीबॉडी पर। मेमोरी बी और मेमोरी टी सेल गंभीर बीमारी या मृत्यु से बचने के लिए मानव शरीर की हथियार है। उनका जीवनकाल वायरस के आधार पर बदलता है। उदाहरण के लिए, खसरे का टीका आजीवन सुरक्षा देता है, जबकि इन्फ्लूएंजा वायरस नियमित टीकाकरण की मांग करता है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि कोविड-19 टीकाकरण के बाद मेमोरी सेल किस दर से फीकी पड़ती हैं।

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