दूसरा भाग : ताजा हो रही 2020 की भयावह याद, दोगुनी गति से फैल रहा ओमिक्रॉन वेरिएंट

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड मार्टिन स्कूल प्रोग्राम फॉर पैनडेमिक जीनोमिक्स के सह-निदेशक ओलिवर पाइबस ने 1 दिसंबर को द गार्जियन से कहा,“सबूत बताते हैं कि ओमिक्रॉन अक्टूबर से हमारे बीच मौजूद 

By Taran Deol, Kiran Pandey, Elsabé Brits, Jack McBrams, Busani Bafana, Manuel Mucari, Lerato Matheka

On: Wednesday 22 December 2021
 
लखनऊ के शवदाह गृह के बाहर खड़े कर्मचारी, जो अपने साथ लाए गए शव को जलाने के लिए बारी का इंतजार कर रहे हैं। फोटो: रणविजय सिंह

एक नए वेरिएंट के रूप में ओमिक्रॉन की पहचान के बाद से केवल दो सप्ताह (7 दिसंबर तक) में भारत सहित कम से कम 48 देशों में इसकी सूचना मिली थी। वहीं 21 दिसंबर तक 91 से अधिक देशो में इस नए वेरिएंट की पुष्टि की गई है। ऑस्ट्रेलिया 6 दिसंबर को इस वेरिएंट के सामुदायिक प्रसार की रिपोर्ट करने वाला पहला देश बना। 

भारत ने 2 दिसंबर को कर्नाटक में अपने पहले दो ओमिक्रॉन मामलों की सूचना दी। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा स्थापित देश की 37 प्रयोगशालाओं के एक मंच इंडियन सार्स सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) द्वारा जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से इस वेरिएंट का पता लगाया गया था। दोनों मरीज 66 और 46 साल के पुरुष हैं।

सरकार ने इस वेरिएंट के प्रसार को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की है। इसके अलावा 1 दिसंबर (मध्यरात्रि) से 2 दिसंबर (सुबह 8 बजे) के बीच 37 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के जरिये जोखिम देशों से आने वाले लगभग 8,000 लोगों का आरटी-पीसीआर परीक्षण किया गया। इनमें से 10 की रिपोर्ट कोविड-19 पॉजिटिव रही। मंत्रालय ने कहा कि जीनोम अनुक्रमण के लिए उनके नमूने एकत्र किए गए थे। 7 दिसंबर तक देश में इस प्रकार के कुल 23 मामले थे और 21 दिसंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में 200 के पार हो गई। 

2020 की पुनरावृति

यह समय 2020 की शुरुआत में महामारी की याद दिलाता है। भारत सहित लगभग 56 देशों ने “जोखिम” देशों से आने वाले ओमिक्रॉन प्रसार को रोकने के लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह से यात्रा प्रतिबंध फिर से लगा दिए हैं। विशेष रूप से 16 देश जो दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय और अन्य पड़ोसी देशों का हिस्सा हैं। इसके कारण महाद्वीप से विरोध की आवाजें भी उठीं। इन देशों ने आरोप लगाया कि प्रतिबंध नस्लीय और तर्कहीन थे। लेसोथो के स्वास्थ्य मंत्री सेमैनो सेकाटल ने डाउन टू अर्थ को बताया, “हम उच्च आय वाले देशों द्वारा अपने देशों विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका से होने वाली यात्रा पर अचानक प्रतिबंध लगाने के फैसले से हैरान हैं, जिसने इस नए जटिल वेरिएंट की पहचान करने में मदद की। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, खासकर उन देशों के लिए जिन्होंने अभी तक नए वेरिएंट का कोई मामला दर्ज नहीं किया है। एफ्रो-फोबिया और राजनीतिक भेदभाव एक वास्तविकता है जो अब भी मौजूद है।” उन्होंने मांग की है कि प्रतिबंध पर पुनर्विचार किया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वेस्टर्न पैसिफिक डायरेक्टर ताकेशी कशाई ने 3 दिसंबर को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “सीमा नियंत्रण से देश अपने लिए थोड़ा वक्त पा सकते हैं, लेकिन हर देश और हर समुदाय को मामलों में नए उछाल के लिए तैयार रहना चाहिए।”  

इस बात के भी प्रमाण बढ़ रहे हैं कि ओमिक्रॉन दक्षिण अफ्रीका से बहुत पहले बाहर फैल चुका होगा। नीदरलैंड्स नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक हेल्थ एंड एनवायरनमेंट ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका द्वारा इसका पता लगाने से पहले 19 और 23 नवंबर को लिए गए नमूनों के पुन: परीक्षण में वेरिएंट की पहचान की गई थी। यह इस बात पर सवालिया निशान लगाता है कि वेरिएंट की उत्पत्ति कहां से हुई और यह कैसे अन्य देशों में पहुंचा। ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड मार्टिन स्कूल प्रोग्राम फॉर पैनडेमिक जीनोमिक्स के सह-निदेशक ओलिवर पाइबस ने 1 दिसंबर को द गार्जियन से कहा, “सबूत बताते हैं कि ओमिक्रॉन अक्टूबर के अंत से ही हमारे बीच मौजूद है।”

मोजाम्बिक ने दिसंबर के पहले सप्ताह में ओमिक्रॉन के अपने पहले दो मामलों की सूचना दी। इनहाम्बने और मापुटो शहर में पाए गए संदिग्ध मामलों का नवंबर में पता चला था। हालांकि इन दोनों मामलों का यात्रा इतिहास ज्ञात नहीं है, परिणाम फिर भी बताता है कि वेरिएंट दक्षिण अफ्रीका में पाए जाने से पहले से ही प्रसारित हो रहा था।

यात्रा प्रतिबंध भी वायरस प्रसार को नियंत्रित करने में अपनी प्रभावकारिता को लेकर सवालों के घेरे में हैं। जनवरी 2021 में यूके में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि सिर्फ यात्रा प्रतिबंध वायरस के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को नहीं रोकेगा। उलटे वे जीवन और आजीविका पर भारी बोझ डालते हैं। वे कहते हैं, “इसके अलावा यात्रा प्रतिबन्ध महामारी विज्ञान और अनुक्रमण डेटा की रिपोर्ट करने और साझा करने के लिए देशों को हतोत्साहित करके महामारी के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।” 2020 में इस तरह के प्रतिबंधों के प्रभाव के आधार पर अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि यात्रा प्रतिबन्ध वायरस प्रसार को नियंत्रित करने में योगदान करते हैं, फिर भी कठोर यात्रा प्रतिबंधों का महामारी की गतिशीलता पर बहुत कम प्रभाव हो सकता है, सिवाय उन देशों को छोड़कर जहां कम कोविड-19 केसेज सामने आते हैं और अन्य देशों से बड़ी संख्या में आगमन होता है या जहां महामारी घातीय वृद्धि के करीब हैं।

अगली कड़ी में पढ़िए ओमिक्रॉन और डेल्टा में कौन है ज्यादा घातक...

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