वुहान से लेकर लंदन तक स्कूल खुले लेकिन न्यूयार्क में नहीं

कोरोनावायरस के प्रसार में कमी आने के बाद दुनिया भर में मंगलवार को स्कूल खुले

By DTE Staff

On: Wednesday 02 September 2020
 
Photo: Creative commons

केंद्र सरकार ने जहां भारत में आगामी 30 सितंबर तक स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है, वहीं दूसरी ओर वुहान से लेकर लंदन और तेलअवीब तक स्कूल इस सप्ताह खुल गए हैं। हालांकि न्यूयार्क में स्कूल खोलने को लेकर वहां के शिक्षक संघ ने स्थानीय प्रशासन को हड़ताल की धमकी दी है। ध्यान रहे कि न्यूयार्क के मेयर ने आगामी 21 सितंबर से शहर के स्कूलों को पूरी सावधानी बरतते हुए खोलने की घोषणा की थी, लेकिन शिक्षक संघ अभी भी इस बात से चिंतित है कि शहर के हालात ऐसे नहीं हैं कि अभी स्कूल खोले जाएं।

वुहान (चीन) वह शहर है जहां से दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला। अब वहां पर पिछले एक माह के दौरान वायरस के प्रसार में अत्याधिक कमी दर्ज की गई है, इसके बाद वहां मंगलवार यानी एक सितंबर को शहर के 2,840 प्राइमरी, माध्यमिक और हायर सैकंडरी स्कूल खोल दिए गए। कायदे से देखा जाए तो स्कूल खोलना सामान्य जीवन की और लौटने की एक निशानी है। यह एक कटु सच्चाई है और यह भयावह आंकड़ा है कि इस महामारी ने पूरी दुनियाभर में 8,50,000 से अधिक लोगों की जान ले चुका है और अब तक ढाई करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।  

चीनी शहर वुहान में मामलों के प्रसार में धीमे होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने कुछ जोखिम लेते हुए स्कूलों को खोल दिया है लेकिन इस चेतावनी के साथ कि स्कूलों में मास्क पहनना, हाथ धोना, तापमान की जांच करना और बच्चों को सामाजिक दूरी बनाए रखने जैसी सावधानियों को कड़ाई से पालन किया जा रहा है। अकेले वुहान शहर में मंगलवार को खुले स्कूलों में 14 लाख से अधिक छात्र पढ़ते हैं। शहर में सभी स्कूली बच्चों को वायरस से बचने के लिए हर प्रकार के तकनीकी पहलुओं से न केवल उन्हें परिचित कराया गया बल्कि उन्हें प्रशिक्षित भी किया गया कि किस प्रकार से आप अपने को वायरस से बचा सकते हैं।

ध्यान रहे कि वुहान शहर वास्तव में कोरोनावायरस का पर्यायवाची बन गया था। घातक संक्रमण तेजी से शहर में फैला था और शुरूआती समय में यहां 76 दिन का लॉकडाउन किया गया था। अब, चीन देशभर के स्कूलों को फिर से खोलने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है। लगभग सभी छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से शुरू करने की कोशिश का ही नतीजा  है कि वुहान में स्कूल खुल गए हैं। अब केवल अपवाद स्वरूप देश के पश्चिम में शिनजियांग का क्षेत्र है, जहां के कई शहरों में अभी भी लॉकडाउन लागू है।

वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन में भी मंगलवार को स्कूल खुल गए। देश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने स्कूलों को खोलने को लेकर इसे एक तरह से नैतिकता की दुहाई दी थी कि स्कूल खुलने से कोरोनावायरस महामारी से उबरने में आसानी होगी। यहां तक कि इस महामारी से उबरने के लिए उन्होंने स्कूलों के खोलने को लेकर अपनी एक रणनीति का महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बना रखा था। आखिर वो ऐसा करते भी क्यों नहीं क्योंकि अन्य यूरोपीय देशों कि तुलना में उनके देश में भी इस महामारी ने 41,500 लोगों को लील लिया है।

एक अन्य यूरोपीय देश बेल्जियम में भी मंगलावर को पांच साल से ऊपर के बच्चों ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है। हां यहां इस बात की विशेष सावधानी बरती गइ है कि वे छात्र जो कोरोनावायरस हाई रिस्क जोन से अपने-अपने शहरों को लौटे हैं, उन्हें अभी अपने-अपने घरों में ही 14 दिन का एकांतवास में रहने को कहा गया है। वहीं यूरोप के एक बड़े देश फ्रांस में मंगलवार को लगभग 12 लाख छात्रों ने स्कूलों में लगभग छह माह बाद लौटै हैं। हालांकि देश के शिक्षामंत्री ने यह भी कि कहा है कि जहां कहीं भी भविष्य में कोरोनावायरस के मामलों के प्रसार में इजाफा होता दिखेगा हम उस शहर के स्कूल बंद कर देंगे। इसके अलावा अपेक्षाकृत उच्च संक्रमण दर को नजरअंदाज करते हुए इस्रायइल में 20 लाख से अधिक छात्र मंगलवर को अपने-अपने स्कूलों मे लौटे हैं। हांलाकि देश में कोरोनावायरस विशेषज्ञों का कहना है कि देश में कोविड-19 के मामलों के थम जाने के बाद मई में ही स्कूलों को फिर से खोलने की शुरुआत करके सरकार ने देशभर में वायरस को वापसी का मौका दे दिया था। लेकिन अब जब स्कूल खोले गए हैं तो पहले की गई लापरवाही से सबक लेते हुए इस बार अधिकारियों ने इस वायरस से बचाव के नए नियमों को और कड़ाई से लागू किया है। मंगलवार को दस लाख से अधिक मामलों की पुष्टि करने वाले रूस में भी स्कूल कुछ सावधानियों के साथ खुल गए हैं। स्पैनिश छात्र भी इस महीने के अंत तक स्कूल लौट रहे हैं, बावजूद इसके कि यूरोप में स्पेन न केवल सबसे खतरनाक हॉट स्पॉट बना था बल्कि अब वहां एक बार फिर से वायरस ने वापसी कर रहा है।

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