भारत में फैल रहा टोमैटो फ्लू, जानिए क्या है लक्षण और इलाज?

लैंसेट के अध्ययन के अनुसार अब तक भारत में 5 साल से कम उम्र के 82 बच्चे टोमैटो फ्लू से संक्रमित हुए हैं

By Dayanidhi

On: Monday 22 August 2022
 

बहुत से लोगों ने टोमैटो फ्लू के बारे में कभी सुना भी नहीं होगा, लेकिन यह एक ऐसा वायरस है जो चुपचाप भारत में प्रवेश कर चुका है और तेजी से देश में चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए चिंता और चुनौती बन रहा है।

यह वायरस जिसे टोमैटो फ्लू या टमाटर बुखार भी कहा जाता है पहली बार 6 मई को केरल के कोल्लम जिले में रिपोर्ट किया गया था। लैंसेट के अध्ययन के अनुसार, भारत में टोमैटो फ्लू या टमाटर बुखार के 82 मामले दर्ज किए गए हैं।

अध्ययन के अनुसार, यह एक संक्रामक रोग है जो अधिकतर एक से पांच वर्ष की आयु के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। अध्ययन में बताया गया है कि यह कुछ मामलों में, यह प्रतिरक्षात्मक वयस्कों के बीच हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के एक नए रूप में भी प्रकट हुआ है।

इसके अलावा, क्योंकि एक वयस्क की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर एक बच्चे की तुलना में अधिक मजबूत होती है, उनमें संक्रमण का शायद ही कभी निदान किया जाता है।

हालांकि टोमैटो फ्लू के लक्षण कोविड-19 के समान हैं, लेकिन यह सार्स-सीओवी-2 से संबंधित नहीं है। अध्ययन में पाया गया कि यह बच्चों में चिकनगुनिया या डेंगू बुखार का प्रभाव हो सकता है।

क्या हैं टोमैटो फ्लू के लक्षण?

बच्चों में टोमैटो फ्लू के प्राथमिक लक्षण चिकनगुनिया के समान होते हैं, जिसमें बुखार, चकत्ते और जोड़ों में दर्द, शरीर में दर्द और थकान जैसे कि कोविड के  लक्षण में भी अनुभव होते हैं। अन्य लक्षणों में जोड़ों में सूजन, मतली, उल्टी, दस्त, निर्जलीकरण और शरीर का तापमान बढ़ना शामिल हैं, जो डेंगू के समान हैं।

नाम टोमैटो फ्लू क्यों?

संक्रमण का नाम पूरे शरीर में लाल और दर्दनाक फफोले के फटने के आधार पर पड़ा जो धीरे-धीरे टमाटर के आकार में बदल जाते हैं।

इसका पता कैसे लगाया जा सकता है?

इस तरह के लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिखते हैं तो उसको डेंगू, चिकनगुनिया, जीका वायरस, वैरीसेला-जोस्टर वायरस और हर्पीज के लिए आणविक और सेरोलॉजिकल परीक्षणों से गुजरने की सलाह दी जाती है। यदि इन संक्रमणों से इंकार किया जाता है, तो टोमैटो फ्लू वायरस की पुष्टि की जा सकती है।

कैसे होता हैं टोमैटो फ्लू का इलाज?

वर्तमान में इस बीमारी को संक्रामक के रूप में माना जा रहा है और 'टोमैटो फ्लू इन इंडिया' पर लैंसेट के अध्ययन से पता चला है कि टोमैटो फ्लू के इलाज के लिए 'कोई विशिष्ट दवा मौजूद नहीं है'। हालांकि अध्ययन में कहा गया है कि फ्लू 'स्वयं सीमित' था, अध्ययन में खा गया है कि टोमैटो फ्लू को खतरनाक और तेजी से फैलने वाला माना जाना चाहिए।

टोमैटो फ्लू का इलाज चिकनगुनिया, डेंगू और हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के समान है। जलन और चकत्ते से राहत के लिए मरीजों को अलग करना, आराम करने, बहुत सारे तरल पदार्थों का सेवन करने और गर्म पानी का स्पंज करना पड़ता है।

अध्ययन में बुखार और शरीर में दर्द के लिए पैरासिटामोल की 'सहायक चिकित्सा' और अन्य रोगसूचक उपचार का भी सुझाव दिया गया है।

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