बिहार: दो सरकारी अस्पतालों ने रेमडेसिवर पर उठाये सवाल, मरीजों पर प्रभावी होने के सबूत नहीं

हाल ही में एम्स पटना की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 संक्रमितों पर इस दवाई के प्रभाव को लेकर कोई कोई क्लीनिकल शोध नहीं हुआ है, इसलिए हमलोग अपने मरीजों को ये इंजेक्शन नहीं देते हैं।

By Umesh Kumar Ray

On: Thursday 22 April 2021
 
A vaccination centre in Sitamarhi district. Photo: C K Manoj

कोविड-19 की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित व मृतकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी के मद्देनजर देशभर के डॉक्टर बड़े पैमाने पर रेमडेसिवर वैक्सीन की सिफारिश कर रहे हैं, लेकिन बिहार के दो बड़े सरकारी अस्पताल ने इस इंजेक्शन के प्रभाव पर सवाल उठाया है।

इनमें कोविड-19 स्पेशल अस्पताल के रूप में घोषित नालंदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एनएमसीएच) व ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स-पटना) शामिल हैं।

एम्स-पटना के डायरेक्टर डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कोविड-19 को लेकर पटना हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में कहा कि रेमडिसिवर जीवन रक्षक दवा नहीं है और इसे एम्स-पटना ने कोविड-19 के ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया है।

बिहार में कोविड-19 मरीजों के लिए बेड, ऑक्सीजन व दवाइयों की कमी आदि को लेकर 19 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में डॉ सिंह को भी तलब किया गया था। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा, “ये बहुत प्रभावी दवा नहीं है। कोविड-19 संक्रमितों पर इस दवाई के प्रभाव को लेकर कोई कोई क्लीनिकल शोध नहीं हुआ है, इसलिए हमलोग अपने मरीजों को ये इंजेक्शन नहीं देते हैं।”

एम्स-पटना के डायरेक्टर की बातों पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हैरानी जताई क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने 50 हजार वॉयल रेमडेसिवर की खरीद के लिए 6.49 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया था। इसके तहत बिहार सरकार ने रेमडेसिवर बनाने वाली देश की पांच कंपनियों ने ये इंजेक्शन खरीदने की घोषणा की थी। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा था कि स्वास्थ्य विभाग अब तक 3 कंपनियों से रेमडेसिवर खरीद रहा था, लेकिन अब पांच कंपनियों से रेमडेसिवर खरीदा जाएगा।

इसी तरह एनएमसीएच ने भी रेमडेसिवर के प्रभाव पर सवाल उठाया है। एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने कार्यालय आदेश जारी कर सभी चिकित्सकों से कहा है कि वे कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिवर इंजेक्शन प्रेसक्राइब न करें।

कार्यालय आदेश में अधीक्षक लिखते हैं, “सभी चिकित्सकों को सुचित किया जाता है कि तमाम अनुसंधानों से यह साबित हो चुका है कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज में रेमडेसिवर नामक दवा की कोई उपयोगिता नहीं है। डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) द्वारा भी इस दवा की उपयोगिता को नकार दिया गया है। अतः सभी चिकित्सकों को निर्देशित किया जाता है कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज  लिए रेमडेसिवर नाम दवा को प्रेसक्राइब न करें। इससे मरीजों में अनावश्यक तनाव की स्थिति पैदा हो रही है।”

एम्स-पटना से जुड़े एक चिकित्सक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर डाउन टू अर्थ को बताया कि एम्स का कोई भी चिकित्सक रेमडेसिवर इंजेक्शन प्रेसक्राइब नहीं कर रहा है क्योंकि इसके प्रभाव को लेकर कोई ठोस शोध नहीं है।

Photo : Government Hospital Letter

उन्होंने कहा, “कमोबेश रोज ही तमाम लेख अखबारों में छप रहे हैं, जिनमें बताया जा रहा है कि रेमडेसिवर प्रभावी दवा नहीं है। लेकिन इसके बावजूद बहुत सारे डॉक्टरों को लग रहा है कि इस दवा से फर्क पड़ता है और वे ये इंजेक्शन लिख रहे हैं।”

दूसरी तरफ, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए, बिहार चैप्टर) ने भी रेमडेसिवर को लेकर मची भगदड़ को लेकर बयान जारी किया। आईएमए ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, “रेमडेसिवर नाम की दवा से कोविड-19 के रोगियों की मृत्यु को कम करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसका केवल कुछ रोगियों में बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए विवेकाधीन उपयोग होता है, इसलिए लोगों द्वारा रेमडेसिवर के लिए भागदौड़ मचाना उचित नहीं है।”

अस्पतालों की तरफ रेमडेसिवर के प्रभाव पर सवाल उठाये जाने के बावजूद बिहार में चिकित्सक अपनी पर्चियों में कोविड-19 मरीजों के लिए रेमडेसिवर इंजेक्शन धड़ल्ले से लिख रहे हैं।

बिहार के एक ड्रग इंस्पेक्टर संदीप साह ने डाउन टू अर्थ को बताया, “पिछले दो-तीन दिनों में रेमडेसिवर इंजेक्शन की मांग बाजार में बहुत तेज हुई है, लेकिन मांग के अनुरूप इंजेक्शन की सप्लाई नहीं हो रही है।”

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में अब तक कुल 354281 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 1897 लोगों की मौत हो चुकी है। 21 अप्रैल को एक दिन में कोरोना से संक्रमण के 12222 मामले सामने आये, जो सबसे अधिक है। हालांकि मौत के आंकड़ों को लेकर सवाल भी  उठ रहे हैं। डाउन टू अर्थ ने अपनी एक रिपोर्ट  में बताया था कि किस तरह पटना के श्मशान घाट पर आ रही लाशों और सरकार की तरफ से कोविड-19 संक्रमण से मरने वालों के आंकड़ों में भारी फासला है।  

सैकड़ों डॉक्टर मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित

इधर, बिहार में सैकड़ों चिकित्सक व मेडिकल स्टाफ कोरोना से संक्रमित हो गये हैं। एम्स पटना के 384 डॉक्टर व मेडिकल स्टॉफ कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं। अस्पताल के एक चिकित्सक डॉ राजीव रंजन ने डाउन टू अर्थ को बताया, “हमारे यहां कोविड-19 मरीजों के लिए 200 बेड हैं और सभी बेड पर मरीज हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर चिकित्सकों व मेडिकल स्टाफ के संक्रमित हो जाने से मरीजों के इलाज में काफी दिक्कत आ रही है।”

एनएमसीएच के 100 से ज्यादा डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ कोरोना की चपेट में आ गये हैं। पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (पीएमसीएच) के सुपरिंटेंडेंट इंदू शेखर ठाकुर के मुताबिक, अस्पताल के 70 डॉक्टर और चार दर्जन से ज्यादा नर्स बीमार पड़ चुके हैं।    

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