कोरोनावायरस से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार ने लिए ये फैसले

कोरोनावायरस बीमारी (कॉविड-19) को देखते हुए उत्तराखंड कैबिनेट ने 24 मार्च को कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए

By Varsha Singh

On: Tuesday 24 March 2020
 
दिल्ली से ऋषिकेश पुहंचे उत्तराखंड के लोग। फोटो: वर्षा सिंह
दिल्ली से ऋषिकेश पुहंचे उत्तराखंड के लोग। फोटो: वर्षा सिंह दिल्ली से ऋषिकेश पुहंचे उत्तराखंड के लोग। फोटो: वर्षा सिंह

कोरोनावायरस बीमारी (कॉविड-19) को देखते हुए उत्तराखंड कैबिनेट ने 24 मार्च को कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए। डॉक्टरों की कमी और स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे उत्तराखंड में अस्थायी तौर पर डॉक्टरों की भर्ती के आदेश दिए गए हैं। श्रीनगर, हल्द्वानी और दून मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष 3 महीने के लिए इंटरव्यू के जरिये डॉक्टर की भर्ती कर सकेंगे। इसके साथ ही तीन महीने के लिए जिलाधिकारी भी अस्पतालों में अपने स्तर से भर्ती कर सकते हैं।

इससे पहले राज्य सरकार ने 555 अस्थाई पदों के लिए विज्ञापन दिए गए थे। जिनमें 314 पदों के इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है। अगले दस दिनों में इनके नतीजे आने की संभावना है। कैबिनेट फैसले में कहा गया है कि बाकी पदों पर भर्ती के लिये विज्ञापन निकालने की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड मेडिकल सर्विस सलेक्शन बोर्ड के चेयरमैन डॉ डीएस रावत बताते हैं कि 314 पदों में से पिछले काफी समय से रिक्त आरक्षित श्रेणी के 251 पद हैं। उन्होंने बताया कि सामान्य श्रेणी में 63 पदों के लिए 600 से अधिक प्रत्याशियों ने आवेदन किया था। इसलिए फिलहाल शेष पदों पर नियुक्ति के लिए बहुत कठिनाई नहीं आएगी। कोरोनावायरस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए डॉ. रावत कहते हैं कि हमें अपने सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत है। अगर संक्रमण बढ़ा तो हमें और रिसोर्स की जरूरत होगी। उसके लिए अभी से तैयारी करने की जरूरत है।

इसके अलावा उत्तराखंड कैबिनेट ने राज्य में सर्जन के 958 रिक्त पदों की तुलना में 479 सर्जन को 11 महीने के लिए नियुक्त करने की अनुमति दी है।

राज्य के चार सरकारी मेडिकल कॉलेज देहरादून, हल्द्वानी, श्रीनगर और अल्मोडा को कोरोना के इलाज के लिए रिजर्व कर दिया गया है। यहां के अन्य विभागों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया जाएगा। राज्य में अभी तक  हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में ही कोविड-19 के टेस्ट हो रहे थे। जिनके नतीजे मिलने में 3-4 दिन का समय लग रहा था। अब देहरादून में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम और ऋषिकेश एम्स में भी कोविड-19 के किए जाएंगे।

कैबिनेट के अन्य अहम फैसले में कोरोना को देखते हुए उधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल और देहरादून के जिलाधिकारियों को 3 करोड़ रुपये और अन्य जिलाधिकारियों को 2 करोड़ रुपये का फंड दिया गया है। इसका इस्तेमाल असंगठित मजदूरों के साथ लोगों की मदद के लिए जरूरी कार्यों में किया जाएगा।

इसके साथ ही सरकारी राशन की दुकानों पर अप्रैल के पहले हफ्ते में तीन महीने का एडवांस उपलब्ध कराया जाएगा।

स्वास्थ्य के मोर्चे पर उत्तराखंड की हालत बेहद खराब है। देहरादून, ऋषिकेश और हल्द्वानी पर राज्य के ज्यादातर मरीजों का भार टिका है। राज्य में पहले 1081 डॉक्टर थे। त्रिवेंद्र सरकार के मुताबिक अब डॉक्टरों की संख्या 2096 हो गई है। लेकिन अब भी उत्तरकाशी, चमोली या पिथौरागढ़-अल्मोड़ा जैसे जिलों से इलाज के लिए लोग देहरादून-हल्द्वानी ही आते हैं। यहां के सरकारी अस्पताल भी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं।

उधर, उत्तराखंड के बहुत से लोग रोज़गार के लिए दिल्ली-मुंबई समेत अन्य महानगरों में रहते हैं। कोरोनावायरस के बाद बने हालात में बहुत से लोग वापस अपने गांव-घरों की ओर लौट रहे हैं। उत्तरकाशी में गंगोत्री से विधायक गोपाल सिंह रावत के पास फोन आया कि मुंबई समेत अन्य महानगरों में काम करने वाले करीब 12 लोग दिल्ली में इकट्ठा हुए और वहां से टैक्सी के ज़रिये ऋषिकेश पहुंचे। विधायक से इन लोगों ने उत्तरकाशी पहुंचने में मदद मांगी। गोपाल सिंह रावत ने बताया कि इन सभी लोगों की ऋषिकेश के एम्स में स्वास्थ्य जांच की गई।

साथ ही, देहरादून और ऋषिकेश के ज़िलाधिकारियों से भी बात की। इसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद से उन्हें उत्तरकाशी रवाना किया गया। उन्होंने बताया कि गोवा समेत कुछ अन्य राज्यों में काम कर रहे उत्तराखंड के युवा भी दिल्ली में इकट्ठा हुए हैं और मदद मांग रहे हैं। विधायक कहते हैं कि ये सभी मामूली वेतन पर होटलों में काम करने वाले लोग हैं। होटल बंद कर दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में इनका गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मदद करना जरूरी है।

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