कोविड-19 का पहला केस आने से पहले ही हमने तैयारी शुरू कर दी थी: पिनाराई विजयन

डाउन टू अर्थ ने सरकार के काम के तरीकों को समझने के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से बात की

By Jayanta Basu

On: Sunday 19 April 2020
 

फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए केरल की वर्तमान लड़ाई, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि राज्य किसी सामाजिक या आर्थिक संकट में न आ जाए, वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस समय भारत के 13,387 मामलों में से 395 मामले केरल में थे, जबकि शुरुआती मरीज इसी राज्य में मिले थे। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, इन 395 में से 245 मरीज ठीक हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। मरीजों के ठीक होने का राष्ट्रीय औसत 13 प्रतिशत है, जबकि केरल में यह औसत 62 प्रतिशत रहा। मरने वालों की संख्या तीन बताई गई है। केरल ने निपा अनुभव का इस्तेमाल किया। बड़े पैमाने पर सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और प्रबंधकों को तैनात किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि तालाबंदी में भी कामकाज और जीवन सुचारू रूप से चलता रहे। डाउन टू अर्थ ने सरकार के काम के तरीकों को समझने के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से बात की। इस बातचीत के संपादित अंश:

कोविड-19 महामारी का शानदार ढंग से मुकाबला करने के लिए केरल को बधाई। आपकी शुरुआती प्रतिक्रिया और योजना क्या थी?

धन्यवाद। हम जनवरी महीने के दूसरे हिस्से से ही अपनी तैयारी शुरू कर चुके थे। जब पहला मामला सामने आया, तब तक हमारे पास एक राज्य-स्तरीय नियंत्रण कक्ष, सभी जिलों में एक-एक नियंत्रण कक्ष तैयार हो गए थे। हमने तब तक महामारी के खिलाफ अपनाए जाने वाले उपायों को ले कर स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय स्व-शासन सरकारों को दिशानिर्देश जारी कर दिए थे। हमारे पास स्वयं को क्वरंटाइन करने, संपर्कों की पहचान के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया थी और साथ ही एक उपचार प्रोटोकॉल भी था।

शुरुआत में संक्रमण के बहुत अधिक केसेज थे।

जब मामलों का दूसरा सेट मार्च में सामने आया, तो हमने 'ब्रेक-द-चेन' अभियान शुरू किया। लोक सेवा उद्यमों ने आवश्यक दवाओं के निर्माण को गति दी और स्वैच्छिक संगठनों को मास्क और सेनिटाइजर उत्पादन और वितरण के लिए प्रोत्साहित किया गया। शिक्षण संस्थानों और मूवी थिएटरों में जागरूकता अभियान चलाए गए। शारीरिक दूरी और सामाजिक एकजुटता के महत्व पर बल दिया गया। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए अतिरिक्त संस्थागत और कार्मिक समर्थन सुनिश्चित किया गया।

सीमांत वर्ग को क्या राहत पहुंचाई गई?

हमने पहले ही एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की ताकि लोग अपने जीवन और आजीविका की चिंता किए बिना घर के अंदर रह सकें। एक बार जमीनी काम पूरा होने के बाद, हम लॉकडाउन में चले गए। हमारा लॉकडाउन केंद्र की घोषणा से पहले ही हो चुका था। धीरे-धीरे संख्याओं को कम करने के लिए हमने सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित किया।

आप अपने समग्र मॉडल को कैसे समझाएंगे?

सबसे पहले, हमने लोगों का मिलना-जुलना सीमित करने के लिए कड़े उपाय अपनाए, ताकि ट्रांसमिशन पर अंकुश लगाया जा सके। दूसरा, डब्ल्यूएचओ बार-बार देशों को अधिक से अधिक परीक्षण करने के लिए प्रेरित कर रहा है। हमने संक्रमित लोगों की पहचान करने, उनके संपर्कों को अलग करने और उनका निरीक्षण करने के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण किया। तीसरा, हमने कोविड-19 रोगियों को ठीक करने के लिए विशेष उपचार प्रोटोकॉल अपनाए। इस त्रिस्तरीय रणनीति ने हमें संक्रमण के उभार को फ्लैट (समतल) करने में मदद की।

क्या लोगों ने सरकार को पूरा सहयोग दिया?

सरकार द्वारा जारी निर्देशों का केरल के लोगों ने जिस तत्परता से पालन किया है, उसका विशेष उल्लेख किए जाने की आवश्यकता है। कई लोग स्वैच्छिक रूप से क्वारंटाइन में चले गए, जबकि कई ने अपने आप जोखिम का आकलन किया और नियंत्रण कक्षों से संपर्क किया। कई लोगों ने अपने-अपने तरीके से स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय स्वशासन  वाली सरकारों की सहायता के लिए स्वैच्छा से सहयोग किया। हमारी आम जनता के इस निस्वार्थ सहयोग ने केरल को अब तक सुरक्षित रखने में प्रमुख भूमिका निभाई है। इसे स्वीकार करने की आवश्यकता है। लेकिन हमें लगातार सख्त निगरानी बनाए रखने की जरूरत है।

आप हाई रिकवरी रेट की व्याख्या कैसे करेंगे?

इसका श्रेय केरल की मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को जाता है। 1957 में ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व में स्वास्थय मंत्रालय ने स्वास्थ्य क्षेत्र में शुरू से हस्तक्षेप किया है और समय-समय पर सामने आने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए अभियान चलाया है। इस तरह के हस्तक्षेपों ने हमें बाल और मातृ मृत्यु दर कम करने, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने में सक्षम बनाया है। जब गैट्स बैठक (जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेज) में स्वास्थ्य को सेवाओं में 'व्यापार' बनाने की मांग की गई, केरल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को निजी संस्थाओं के लिए लाभकारी क्षेत्र में बदलने का दृढ़ता से विरोध किया। वर्तमान सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में, विशेष रूप से आर्द्रम मिशन के माध्यम से, पर्याप्त निवेश किया है। इससे हम सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं और सेवाओं को और बेहतर बना पा रहे है। हमने एडवांस्ड वायरोलॉजी संस्थान भी स्थापित किया है और चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने से हमें राज्य में कोविड-19 रोगियों को गुणवत्तापूर्ण उपचार देने में मदद मिली है। उपचार की बेहतर गुणवत्ता से हमें हई रिकवरी रेट प्राप्त करने में मदद मिली है। हमने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का भी सफलतापूर्वक इलाज किया है। बुजुर्ग मरीजों की जान भी बचाई गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, एक बार लॉकडाउन हटाने के बाद संभवत: संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो जाएगा। इससे निपटने की तैयारी आप कैसे कर रहे हैं?

हमने किसी भी हालात से निपटने के लिए खुद को सुसज्जित किया है। हमने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से हमारे प्रोटोकॉल ऑन कोंवालेसेंट प्लाज्मा थेरेपी के लिए मंजूरी ले ली है। इस महामारी से निपटने में विशेषज्ञ सहायता उपलब्ध कराने के लिए डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया गया है। हमने सभी जिलों में कोविड-19 अस्पताल स्थापित किए हैं। अब तक, लगभग 250,000 अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। इमारतों को आइसोलेशन वार्ड के रूप में सेनिटाइज कर के तैयार किया गया है। युवा इनोवेटर्स भी इस लड़ाई में हमारे साथ हैं। केरल स्टार्टअप मिशन के तहत द सुपर फैब लैब कोच्चि, उद्योग भागीदारों और अनुसंधान संस्थानों को एक साथ लाया गया है। पलक्कड़ के कांजीकोड के इंडस्ट्रियल पार्क में इनोवेटर्स और इनवेस्टर्स का एक समूह बनाया गया है। उन्होंने रेस्पिरेटर्स, वेंटिलेटर्स, ऑक्सीजन सिलेंडर, बायोमेडिकल इंस्ट्रूमेंट और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और एन 95 मास्क के उत्पादन और वितरण का काम अपने हाथों में ले लिया है। वेंटिलेटर और रेस्पिरेटर के स्वदेशी प्रोटोटाइप भी विकसित किए गए हैं।

आप संक्रमण के दूसरे दौर पर काबू पाने को लेकर आश्वस्त हैं?

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने तैयार हैं, हमें यह ध्यान रखना होगा कि पूरी दुनिया इस वक्त असमंजस की स्थिति में है। यह पूरी तरह से एक नई स्थिति है और हम सभी अब तक प्राप्त ज्ञान के आधार पर इस महामारी से लड़ रहे हैं। इस वक्त हम सबसे बेहतर यही कर सकते है कि इस लड़ाई में अपने सभी कौशल और अनुभवों का उपयोग करे और ये उम्मीद करें कि हम इस समस्या से सुरक्षित निकल कर आ जाएंगे।

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