कोरोनाकाल में पीएम नरेंद्र मोदी के देश के नाम अब तक के सबसे छोटे संबोधन के क्या हैं मायने?

बीते वर्ष कठोर लॉकडाउन का ऐलान करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार राज्यों से कहा है कि वह लॉकडाउन न लगाएं। साथ ही प्रवासी मजदूरों के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए व्यवस्था करें। 

By Richard Mahapatra

On: Wednesday 21 April 2021
 
Prime Minister Narendra Modi

एक अप्रत्याशित हलचल हुई, कोविड-19 महामारी की स्थितियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 20 अप्रैल, रात 8 बजकर 45 मिनट पर संबोधित किया। इस संबोधन को लेकर बहुत सारे कयास लगाए जा रहे थे। संभवतः यह राष्ट्र के नाम दिया गया उनका सबसे छोटा भाषण था। उन्होंने अपने बयान का खात्मा राम नवमी और रमजान की शुभकामनाओं के साथ किया। हां, उन्होंने महामारी से संबंधित अपने संबोधन का सार इन त्योहारों से जुड़े दो शब्दों 'अनुशासन' और 'मर्यादा' में बांधा। जैसा कि उन्होंने बताया कि बेलगाम महामारी से लड़ने के लिए यह दो गुण आवश्यक हैं। 
 
लेकिन असलियत में वह कौन सा संदेश देना चाहते थे। खासतौर से जबकि एक सामान्य एहसास है कि सरकार परिस्थितियों को नियंत्रण करने की हालत में नहीं है। बहरहाल उन्होंने कोई संदेश नहीं दिया और यह जताया कि स्थिति को नियंत्रित करना हमारे ही हाथ में है। 
 
उन्होंने यह खुद स्वीकारा कि सरकार किसी भी सूरत में सरकार इस स्थिति को प्रभावी तरीके से नियंत्रित करने के लिए सक्षम नहीं है। कुछ हफ्तों के लिए यह स्थिति नियंत्रित थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब यह दूसरी कोरोना लहर एक तूफान जैसी है। अभी मुश्किल से कुछ हफ्तों पहले उनकी सरकार ने कहा यह घोषणा किया था कि भारत महामारी से जीत चुका है।
 
उन्होंने बहुत ही स्पष्ट तरीके से यह तुलना भी किया कि जब महामारी शुरू हुई थी तो उनके पास क्या था और अब स्वास्थ्य संरचना के मामले वे कहां पर खड़े हैं। इनमें टीकाकारण और अन्य सभी सरकारी प्रयासों का जिक्र किया। 
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दूसरी तरफ उन्होंने यह भी चेताया कि लॉकडाउन सबसे अंतिम समाधान है। उन्होंने लॉकडाउन से किनारा करने की एक ऐसे समय में कोशिश की है जब महामारी से लड़ने के लिए देश में विभिन्न स्तरों पर 16 राज्यों में लॉकडाउन लगाया गया है। वहीं, दूसरी ओर 21 अप्रैल, 2021 को  महाराष्ट्र सरकार यह फैसला लेगी कि क्या वापस पूर्ण लॉकडाउन लगाया जाए या नहीं। मोदी ने राज्यों को फिर से सलाह दी है कि वह लॉकडाउन न लगाएं। 
 
उन्होंने राज्यों को बीते वर्ष की तरह लॉकडाउन जैसे कठोर कदम उठाने से बचने के साथ राज्यों को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहा।  लॉकडाउन जैसे कदम से प्रवासी मजदूरों का दोबारा पलायन हो सकता है। ऐसे में उन्होंने राज्यों से गांव को वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों के लिए तत्काल जरूरी व्यवस्था करने को कहा। 
 
उन्होंने मई से शुरू होने वाले टीकाकरण की भी बात की और कहा कि लोगों को टीका जल्द ही मिलेगा। एक मई से सभी व्यस्कों का टीकाकरण किया जा सकेगा। 
 
अपने सामान्य सार्वजनिक पकड़ और लोगों को बांधने वाली शैली में, उन्होंने देश के युवाओं और बच्चों को सामान्य सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए स्थानीय समूह बनाने की सलाह दी है। उन्होंने बच्चों से अनुरोध किया - जो वैसे भी एक साल से अधिक के लिए घरों के अंदर हैं - अपने परिवार के सदस्यों को बाहर निकलने के लिए मजबूर न करें, जब तक कि जरूरी न हो।
 
अब तक, यह मोदी की वाक क्षमता का कम से कम प्रभावकारी संबोधन है। हो सकता है कि सुनने वाले में कोई थकान हो। लेकिन ऑक्सीजन की कमी के बारे में बात करना, एक दूसरी लहर की स्वीकार्यता और अभिभूत प्रणाली के साथ लोगों के कड़वे अनुभव उनके द्वारा स्वीकार किया गया है। यह दर्शाता है कि महामारी बहुत दूर तक है। और सरकार एक ढ़लान पर चली गई है। 
 

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