कोरोनावायरस का एक्सई वेरिएंट क्या है, क्या हमें इसके बारे में चिंता करने की जरूरत है?

यह पहली बार जनवरी में यूके में खोजा गया था और अब तक विभिन्न देशों में एक्सई के 600 से अधिक नमूने मिल चुके हैं।

By Dayanidhi

On: Thursday 07 April 2022
 

भारत में कोरोना वायरस  के एक्सई वेरिएंट के मिलने का पता चला है, हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर एक्सई वेरिएंट के किसी भी मामले की पुष्टी नहीं की है, लेकिन मुंबई नगर निकाय (बीएमसी) ने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका की यात्रा से आई एक 50 वर्षीय महिला में कोरोनावायरस के पहले एक्सई वेरिएंट पाए जाने की घोषणा की है।

लेकिन आखिर यह नया वेरिएंट क्या है। दरअसल एक्सई, ओमिक्रॉन का एक उप-संस्करण है, ओमिक्रॉन ने इस सर्दी में कोविड -19 की तीसरी लहर पैदा की। एक्सई भारत में अब तक नहीं पाया गया था। इसकी खोज के बारे में घोषणा ने भारत में संक्रमण की एक नई लहर की आशंका के बारे में चिंता बढ़ा दी है। जहां एक ओर कोविड -19 के मामले लगातार घट रहे हैं और अब दो साल से अधिक समय में अपने सबसे निचले स्तर पर हैं।

ओमिक्रॉन के वेरिएंट के वर्गीकरण पर वीडियो -

जानकारी लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि उस विशेष रोगी में एक्सई वेरिएंट की पहचान की पुष्टि की जानी बाकी है। वास्तव में यह एक शुरुआती विश्लेषण ने सुझाव दिया था कि रोगी में पाया गया वायरस एक्सई वेरिएंट नहीं था। एक या दो दिनों में दूसरे तरीके से पुष्टि की उम्मीद है।

कोरोनावायरस का एक्सई वेरिएंट क्या है?

ओमिक्रॉन वेरिएंट जो इस वर्ष पाए गए 90 प्रतिशत से अधिक संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है, के दो प्रमुख उप-प्रकार हैं, जिन्हें बीए.1 और बीए.2 कहा जाता है। एक बीए.3 उप-संस्करण भी है, लेकिन यह आम है।

प्रारंभिक चरण के दौरान, बीए.1 उप-संस्करण सबसे व्यापक था। भारत में, हालांकि, यह बीए.2 था जो तीसरी लहर के दौरान सबसे प्रभावशाली था।

बीए.2 को बीए.1 की तुलना में थोड़ा अधिक संक्रमण फैलाने वाला पाया गया था, हालांकि यह अधिक खतरनाक नहीं था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में, बीए.2 किस्म दुनिया भर में सबसे व्यापक हो गई है, जो पिछले एक महीने में सभी ओमिक्रॉन वेरिएंटों का लगभग 94 फीसदी है। बीए.1 का प्रकोप तेजी से घट रहा है।

एक्सई वैरिएंट को 'पुनः संयोजक' कहा जाता है। इसका मतलब है कि इसमें बीए.1 के साथ-साथ बीए.2 किस्मों के ओमिक्रॉन में पाए जाने वाले म्युटेशन या उत्परिवर्तन शामिल हैं। यह पहली बार जनवरी में यूके में खोजा गया था और अब तक विभिन्न देशों में एक्सई के 600 से अधिक नमूने मिल चुके हैं।

पुनः संयोजक वेरिएंट असामान्य नहीं हैं। ऐसे वेरिएंट जिनमें दो या दो से अधिक ज्ञात वेरिएंट की म्यूटेशन विशेषताएं होती हैं, वे हर समय होते हैं। वास्तव में डेल्टा और ओमिक्रॉन के विशिष्ट उत्परिवर्तन वाले वेरिएंट की भी पहचान की गई है।

वायरस और अन्य जीवों में आनुवंशिक उत्परिवर्तन की प्रक्रिया लगातार होती रहती है। लेकिन इन उत्परिवर्तनों का केवल एक छोटा सा अंश ही वायरस को संक्रमित करने या गंभीर बीमारियों का कारण बनने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बदल देता है।

डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में बताया कि दुनिया भर में संक्रमण फैलने के वर्तमान उच्च स्तर को देखते हुए, यह आशंका है कि पुनः संयोजक सहित आगे के वेरिएंट उभर कर आएंगे। कोरोनावायरस के बीच पुनर्संयोजन आम है और इसे एक अपेक्षित उत्परिवर्तनीय घटना माना जाता है।

क्या एक्सई से कोई खतरा है?

अभी तक इसके कोई सबूत नहीं है कि एक्सई वेरिएंट ओमिक्रॉन की अन्य प्रकारों से काफी अलग है। देखा गया है कि एक्सई प्रमुख बीए.2 वेरिएंट की तुलना में लगभग 10 फीसदी अधिक तेजी से फैल सकता है। लेकिन एक्सई की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है।

तीन महीने पहले खोजे जाने के  बाद से एक्सई वेरिएंट की घटनाओं में कोई बहुत अधिक वृद्धि नहीं हुई है, तो कहा जा सकता है कि वर्तमान में यह एक बड़ी चिंता वाली बात नहीं है।

एक्सई  वेरिएंट की नैदानिक प्रदर्शन बीए.1 या बीए.2 से अलग नहीं पाई गई है। यह अब तक अन्य ओमिक्रॉन प्रकारों की तुलना में यह अधिक गंभीर बीमारी फैलाने वाले रूप में नहीं पाया गया है। ऐसे में एक्सई वेरिएंट को ओमिक्रॉन से अलग नहीं माना जा रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि एक्सई ओमिक्रॉन वेरिएंट से संबंधित है, जब तक कि इसकी गंभीरता सहित रोग के फैलने, रोग विशेषताओं में महत्वपूर्ण अंतर की जानकारी नहीं मिलती है।

क्या भारत में आ गया है कोविड-19 का एक्सई वेरिएंट?

यह आश्चर्यजनक नहीं होगा यदि एक्सई संस्करण वास्तव में भारत में पाया जाता है, मुंबई की महिला में या बाद के चरण में किसी अन्य रोगी में। यात्रा प्रतिबंधों को ज्यादातर हटा लिया गया है और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा लगभग महामारी से पहले की अवधि के समान हो चुकी है।

साथ ही भारतीय आबादी में एक्सई, या ओमिक्रॉन की किसी अन्य पुनः संयोजक किस्म के विकसित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। यह भी संभव है कि एक्सई वेरिएंट पहले से ही भारतीय आबादी में घूम रहा हो, लेकिन अभी इसका पता नहीं चल पाया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के मुताबिक फैलने के मामले में बीए.2 और एक्सई बराबर है। इसके बारे में अभी अधिक चिंता करने की कोई बात नहीं है, ऐसा कहा गया है।

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