मध्यप्रदेश में एक लाख की आबादी पर केवल एक वेंटिलेटर

मध्यप्रदेश में कुल 836 वेंटिलेटर और 2073 आईसीयू बेड हैं, जो बेहद आपात स्थिति में लगभग 7 करोड़ जनसंख्या के लिए नाकाफी हैं 

By Manish Chandra Mishra

On: Monday 06 April 2020
 
मध्यप्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र

मध्यप्रदेश में लगातार नोवेल कोरोनावायरस के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। सरकार के द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश के 9 जिलों में नोवेल कोरोना वायरस 210 मरीज पाए गए हैं, जिनमें से 15 मरीजों की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के संक्रमण के लक्षणों के साथ अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में 817 लोग भर्ती हैं। वहीं, पूरे प्रदेश में 17,117 यात्रियों की निगरानी हो रही है। 3,567 लोगों को अपने ही घरों में क्वारंटाइन कर रखा गया है। लगातार बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए मध्यप्रदेश में आने वाले समय में इलाज के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत होगी।

कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों को विशेष इलाज की जरूरत होती है जिसमें आईसीयू और वेंटिलेटर की जरूरत होती है। इटली, अमेरिका और स्पेन जैसे देश की तरफ देखें तो वहां इस वक्त सबसे अधिक जरूरत वेंटिलेटर और आईसीयू की हो रही है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज (भोपाल, जबलपुर, रीवा, सागर और इंदौर) मिलाकर 319 वेंटिलेटर और 394 आईसीयू बेड हैं।

इसके अलावा, 8 निजी मेडिकल कॉलेज में 132 वेंटिलेटर और 418 आईसीयू बेड की व्यवस्था है। सरकार ने प्रदेश के 107 निजी अस्पतालों को भी चिन्हित किया है जहां 385 वेंटिलेटर और 1,261 आईसीयू बेड उपलब्ध है। मध्यप्रदेश में कुल 836 वेंटिलेटर और 2073 आईसीयू बेड हैं, जो बेहद आपात स्थिति में लगभग 7 करोड़ जनसंख्या के लिए नाकाफी हैं। 

जनसंख्या के मुताबिक मध्यप्रदेश में 2.5 आईसीयू बेड प्रति 1,00,000 लोग है, जबकि मध्यप्रदेश जितने जनसंख्या वाले देश इटली में आईसीयू बेड 12.5 प्रति एक लाख जनसंख्या है। बावजूद इसके कोरोनावायरस की वजह से इटली में बेड की कमी हो रही है। प्रदेश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर महज एक वेंटिलेटर की व्यवस्था है। मध्यप्रदेश में 3195 विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत है, लेकिन इनमें से महज 1210 पद ही भरे हुए हैं। प्रदेश में ऑक्सीजन सिलेंडर 3,324 हैं और 1,000 सिलेंडर खरीदे जा रहे हैं।

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा आईएएस अधिकारियों के बीच किए गए सर्वे में सामने आया कि मध्यप्रदेश में ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद खराब स्थिति में हैं और कुछ जिलों में एक या दो वेंटिलेटर की सुविधा ही उपलब्ध है। 

देशभर में स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाली संस्था जन स्वास्थ्य अभियान ने अपने मेडिकल बुलेटिन में मध्यप्रदेश सरकार को जांच की क्षमता बढ़ाने की सलाह दी है। जनस्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि कहते हैं कि मध्यप्रदेश राजनीतिक अस्थिरता की वजह से तैयारियों में पिछड़ गया। अब सरकार को एक पूर्णकालिक स्वास्थ्य मंत्री चाहिए जो विभाग को राजनीतिक नेतृत्व दे सके। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पर एक्टिविस्ट आनंद राय का कहना है कि इंदौर में 40 वेंटिलेटर हैं और तकरीबन 23 मरीज गंभीर अवस्था में हैं। आने वाले समय में इंदौर शहर में वेंटिलेटर्स की कमी होने वाली है। राय कहते हैं कि केंद्र के द्वारा दिए 990 करोड़ की राहत राशि को मेडिकल इमरजेंसी में उपयोग करना चाहिए और डॉक्टरों को उन पैसों से विशेष भत्ता और सुरक्षा उपकरण की व्यवस्था होनी चाहिए।

रोजाना 500 लोगों की जांच की क्षमता

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच की क्षमता इस वक्त 500 जांच प्रतिदिन है। प्रदेश में इस वक्त 6 लैब काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह क्षमता 14 लैब में 1,000 टेस्ट प्रतिदिन करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में अबतक 2,424 जांच हुई है। मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि प्रदेश के पास 28 मार्च को 12,458 पीपीई किट थी जो चार अप्रैल तक बढ़कर 29,795 हो गई। सरकार ने 2,08,391 किट खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इसी तरह, मध्यप्रदेश में एक अप्रैल तक 94,320 एन-95 मास्क हैं, जिसमें 2,63,002 नए मास्क का इजाफा करने की योजना है। मध्यप्रदेश में 20,00,000 थ्री लेयर मास्क हैं और 15,76,132 मास्क खरीदे जा रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक हाइड्रो क्लोरोक्वीन की गोलियां खानी हैं, जिसकी संख्या प्रदेश में 2 लाख 25 हजार है। आगामी चार दिनों में 10 लाख गोलियां और मिल जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त फैज अहमद किदवई ने कोविड-19 अभियान में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट्स का तर्क संगत उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। सरकार का कहना है कि पीपीई किट्स और एन-95 मास्क आदि की सीमित उपलब्धता और आपूर्ति के चलते यह निर्देश जारी किए गए।

तकनीक के इस्तेमाल से मरीजों की निगरानी

मध्यप्रदेश में क्वारंटाइन किए गए लोगों की निगरानी के लिए 'सार्थक' ऐप के जरिए जियो लोकेशन की मदद से मरीजों की निगरानी की जा रही है। सरकार के मुताबिक मध्यप्रदेश में 26 हजार 800 लोगों ने सार्थक ऐप के जरिए ऐसे संदिग्ध मरीजों की निगरानी की स्वीकृति दी है। इसके अलावा, कोविड-19 प्रभावित होम क्वरंटाइन किए गये लोगों को घरों से सीधा संवाद के लिए सभी जिलों में टेलीमेडिसिन केन्द्र की स्थापना की गई है। वीडियो कॉलिंग के माध्यम से प्रभावित व्यक्ति से चिकित्सक सीधे संवाद कर सकते हैं। 

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