भारतीय लम्बी काली मिर्च ‘पिप्पली’ में मिले कैंसर को खत्म करने वाले गुण

शोध से पता चला है कि पिप्पली में पाया जाने वाला पाइपरलोंग्यूमाइन, मस्तिष्क कैंसर के सबसे ज्यादा खतरनाक प्रकारों में से एक ग्लियोब्लास्टोमा के खिलाफ बेहतर तरीके से काम करता है

By Lalit Maurya

On: Monday 03 May 2021
 

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया द्वारा किए शोध में भारतीय लम्बी काली मिर्च में 'पाइपरलोंग्यूमाइन या पीपरलूमिनिन' नामक रासायनिक यौगिक पाया जाता है, जो ब्रेन ट्यूमर सहित कई अन्य प्रकार के ट्यूमर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को खत्म कर सकता है| इससे जुड़ा शोध अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल सेंट्रल साइंस में प्रकाशित हुआ है|

भारतीय लम्बी काली मिर्च को पिप्पली, पीपली, पीपरी और अंग्रेजी में लॉन्ग पाइपर के नाम से भी जाना जाता है| वहीं संस्कृत में इसे मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या, उष्णा, तिक्त, तण्डुला, मगधा, ऊषणा, कृकला, कटुबीज, कोरङ्गी, श्यामा, सूक्ष्मतण्डुला, दन्तकफा आदि नामों से भी जाना जाता है| इसका वानस्पतिक नाम पाइपर लांगम है| यह पाइपरेसी कुल से सम्बन्ध रखती है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल मसालों के रूप में किया जाता है जबकि भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति में इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है|

शोधकर्ताओं द्वारा चूहे और मनुष्य की कोशिकाओं पर किए प्रयोग से पता चला है कि पाइपरलोंग्यूमाइन, ग्लियोब्लास्टोमा के खिलाफ बेहतर तरीके से काम करता है| गौरतलब है कि ग्लियोब्लास्टोमा, मस्तिष्क कैंसर के सबसे ज्यादा खतरनाक प्रकारों में से एक है|

टीआरपीवी2 नामक प्रोटीन को रोक सकता है पाइपरलोंग्यूमाइन

शोध के अनुसार पाइपरलोंग्यूमाइन, टीआरपीवी2 नामक प्रोटीन को रोक सकता है और उसकी गतिविधियों में बाधा डाल सकता है| गौरतलब है कि टीआरपीवी2 प्रोटीन, ग्लियोब्लास्टोमा में होता है और कैंसर को फैलने में मदद करता है| चूहों पर किए इस शोध में पाइपरलोंग्यूमाइन द्वारा किए उपचार में ग्लियोब्लास्टोमा ट्यूमर का आकार घट गया था| वहीं इसने बीमार इंसान से ली गई ग्लियोब्लास्टोमा कोशिकाओं को भी नष्ट कर दिया था|

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता वेरा वाई मोइसेनकोवा-बेल ने बताया कि यह अध्ययन हमारे सामने एक बहुत स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है कि कैसे पाइपरलोंग्यूमाइन, ग्लियोब्लास्टोमा के खिलाफ काम करता है| साथ ही सैद्धांतिक रूप से हमे इसका बेहतर उपचार विकसित करने में सक्षम बनाता है| 

ग्लियोब्लास्टोमा जैसे मस्तिष्क कैंसर का इलाज साधारण दवाओं के साथ करना मुश्किल होता है क्योंकि दवा में मौजूद अणु आमतौर पर मस्तिष्क में प्रवाहित हो रहे रक्त को आसानी से पार नहीं कर पाते हैं| इसलिए शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजेल की मदद से पाइपरलोंग्यूमाइन लगभग आठ दिनों के लिए चूहे के ट्यूमर क्षेत्र में जारी किया था| जिसने चूहे में ग्लियोब्लास्टोमा को लगभग पूरी तरह से नष्ट कर दिया था| साथ ही जिस चूहे पर यह प्रयोग किया गया था उसकी आयु भी ग्लियोब्लास्टोमा ट्यूमर से ग्रस्त दूसरे चूहे से ज्यादा पाई गई थी| इसी तरह शोधकर्ताओं को बीमार इंसान से ली ग्लियोब्लास्टोमा कोशिकाओं के खिलाफ भी समान रूप से काम किया था|

आमतौर पर कैंसर बीमारियों के एक बड़े समूह के लिए प्रयोग किया जाने वाला सामान्य शब्द है, जो शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती हैं| इस बीमारी में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं| जो अपनी सामान्य सीमा से भी बाहर जा सकती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों और अंगों में भी फैल सकती हैं| यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो कैंसर दुनिया भर में होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण है| 2020 में इसके चलते लगभग 1 करोड़ लोगों की जान गई थी|

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