आंत को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ खून में शर्करा को भी कम करती है ग्रीन टी

शोध के मुताबिक हृदय रोग के खतरे वाले लोगों में चार सप्ताह तक ग्रीन टी के सेवन से खून में शर्करा का स्तर कम होता है और यह आंत में सूजन को कम कर इसे स्वस्थ रखने में मदद करता है

By Dayanidhi

On: Wednesday 27 July 2022
 

नए शोध से पता चला है कि हृदय रोग के खतरे वाले लोगों के चार सप्ताह तक ग्रीन टी के सेवन से खून में शर्करा का स्तर कम हो सकता है। साथ ही यह आंत की सूजन तथा इसमें बने छेदों की समस्या को कम करके आंत को स्वस्थ रख सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह पहला अध्ययन है जो इस बात का आकलन करता है कि क्या मेटाबोलिक सिंड्रोम या चयापचय लक्षण के रूप में जानी जाने वाली स्थिति से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम कर सकती है। मेटाबोलिक सिंड्रोम लगभग एक तिहाई लोगों को प्रभावित करते हैं। इस तरह की समस्या को दूर करने में ग्रीन टी अहम भूमिका निभा सकती हैं, यह आंत की सूजन या जलन को कम कर फायदा पहुंचा सकती है।

शोधकर्ता और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में मानव पोषण के प्रोफेसर रिचर्ड ब्रूनो ने कहा कि इस बात के बहुत से प्रमाण हैं कि ग्रीन टी का अधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स के अच्छे स्तर को बढ़ाती है। लेकिन अभी तक किसी भी अध्ययन ने हमारे पेट पर इसके फायदों को उन स्वास्थ्य कारकों से नहीं जोड़ा है।

टीम ने 40 व्यक्तियों पर नैदानिक ​​परीक्षण किया, जो मोटापे में कमी और स्वास्थ्य के कम खतरों से जुड़ा था, जो आंत को स्वस्थ रखने के लिए ग्रीन टी की खुराक का सेवन करते थे।

अध्ययन से पता चला कि, ग्रीन टी से खून में शर्करा या ग्लूकोज भी कम हुआ और लोगों में आंत की सूजन में कमी आई, वास्तव में यह एक अप्रत्याशित खोज है।

ब्रूनो ने कहा यह हमें बताता है कि एक महीने के भीतर हम मेटाबोलिक सिंड्रोम और स्वस्थ लोगों दोनों के खून में शर्करा या शुगर को कम करने में सक्षम हैं। खून में शर्करा का कम होना आंत में छिद्रों और सूजन को कम करने से संबंधित पाया गया है।

मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले लोगों में कम से कम तीन कारकों का निदान किया जाता है जो हृदय रोग, मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के खतरों को बढ़ाते हैं। इसमें पेट की अतिरिक्त वसा, उच्च रक्तचाप, कम एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल और भोजन पूर्व (फास्टिंग) के समय खून में ग्लूकोज का उच्च स्तर और ट्राइग्लिसराइड्स, रक्त में वसा का एक प्रकार आदि शामिल है।

ब्रूनो ने कहा कि इन खतरों के बारे में मुश्किल बात यह है कि मेटाबोलिक सिंड्रोम का गठन होता है जो अक्सर हल्के से बदल जाते हैं और जिन्हें दवाओं की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन फिर भी इनसे स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा होता है।

उन्होंने कहा कि अधिकांश चिकित्सक शुरू में वजन घटाने और व्यायाम करने की सलाह देते हैं। दुर्भाग्य से, हम जानते हैं कि अधिकांश लोग विभिन्न कारणों से जीवनशैली में होने वाले बदलाव का पालन नहीं कर सकते हैं। हमारा काम लोगों को मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम पर लगाम लगाने या मेटाबोलिक सिंड्रोम को बदलने में मदद करने के लिए एक नया भोजन-आधारित उपकरण देना है।

40 प्रतिभागियों में से 21 मेटाबोलिक सिंड्रोम और 19 स्वस्थ वयस्कों के साथ 28 दिनों के लिए कैटेचिन नामक एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों से भरपूर ग्रीन टी के रस या अर्क का सेवन किया। जो कि रोज की खुराक में पांच कप ग्रीन टी के बराबर थी। दूसरे रैंडम परीक्षण में, सभी प्रतिभागियों ने 28 दिनों तक ग्रीन टी ली  इस बीच उपचार के लिए किसी भी तरह का अन्य सप्लीमेंट नहीं लिया गया।

प्रतिभागियों को दी गई सलाह के अनुसार उन्होंने ग्रीन टी के अलावा कम आहार लिया,  क्योंकि फलों, सब्जियों, चाय और मसालों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट की वजह से इसका सही पता लगा पाना कठिन था। 

परिणामों से पता चला कि प्लेसीबो लेने के बाद के स्तर की तुलना में ग्रीन टी का रस अर्क लेने के बाद सभी प्रतिभागियों में खाने से पहले (फास्टिंग) खून में शर्करा का स्तर काफी कम पाया गया। सभी प्रतिभागियों में ग्रीन टी के उपचार के कारण आंत की सूजन में कमी एक विश्लेषण के माध्यम से स्थापित की गई थी। जिसमें मल के नमूनों में सूजन और जलन बढ़ाने वाले प्रोटीन में कमी देखी गई थी। मूत्र के नमूनों में शर्करा के अनुपात का आकलन करने के लिए एक तकनीक का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि ग्रीन टी के साथ, प्रतिभागियों की छोटी आंत के छिद्रों में भारी कमी देखी गई।

आंत के छिद्रों, आंतों के बैक्टीरिया और संबंधित विषाक्त यौगिकों को रक्तप्रवाह में प्रवेश करने में सक्षम बनाता है, निम्न-श्रेणी की पुरानी सूजन को बढ़ाते है।

ब्रूनो ने कहा आंत से होने वाले उत्पादों का अवशोषण मोटापे और इंसुलिन प्रतिरोध के लिए एक शुरुआती कारण माना जाता है, जो सभी हृदय संबंधी विकारों के लिए जिम्मेवार है। अगर हम आंत स्वस्थता में सुधार कर सकते हैं और आंत की सूजन को कम कर सकते हैं, तो हम हृदय संबंधी समस्याओं में भी सुधार कर सकते हैं

शोधकर्ता ने कहा हमने एक महीने के अध्ययन में मेटाबोलिक सिंड्रोम को ठीक करने का प्रयास नहीं किया। लेकिन मेटाबोलिक सिंड्रोम के पीछे के कारणों के बारे में हम जो जानते हैं, उसके आधार पर ग्रीन टी आंत को फायदा पहुंचाती है जिससे मेटाबोलिक सिंड्रोम संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह शोध करंट डेवलपमेंट्स इन नुट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

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