सरकार को लेना है दुर्लभ बीमारियों से जुड़ी दवाओं को कर मुक्त करने का फैसला: सुप्रीम कोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 07 December 2022
 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला सरकार को लेना है कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं को आइजीएसटी, सीजीएसटी, एसजीटी और कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह से छूट दी जाए या नहीं। कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को खारिज कर दिया है कि इस बारे में पहले से ही एक नीति है। यह एक नीतिगत मामला है। इन दवाओं को किस कीमत पर बेचा जाना है, यह सरकार द्वारा तय किया जाता है।

गौरतलब है कि जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा है कि, "सरकार को दवाओं पर किसी भी प्रकार के कर या सीमा शुल्क के भुगतान से छूट देने का निर्देश देने के लिए कोर्ट परमादेश रिट जारी नहीं कर सकता।" याचिकाकर्ता ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) को कर मुक्त करने के लिए कोर्ट से परमादेश रिट जारी करने का आग्रह किया था। साथ ही जनहित याचिका में यह मांग की गई थी कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए दवाओं का सीधा आयात किया जा सके। उसके लिए उत्कृष्टता केंद्र से संपर्क न करना पड़े।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसंबर, 2022 को कहा है कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस द्वारा दवाओं को मंजूरी देने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्कृष्टता केंद्रों से संपर्क किए बिना सीधे एसएमए के इलाज के लिए दवाओं के आयात की अनुमति देने के कोर्ट सरकार के लिए रिट जारी नहीं कर सकता है।

प्रोजेक्ट टाइगर पर जल्द पेश की जाएगी एक ताजा रिपोर्ट: एडिशनल सॉलिसिटर जनरल

5 दिसंबर 2022 को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि जल्द ही प्रोजेक्ट टाइगर से जुड़ी गतिविधियों की स्थिति पर एक ताजा स्थिति रिपोर्ट पेश की जाएगी। गौरतलब है कि अधिवक्ता अनुपम त्रिपाठी द्वारा बाघों के अवैध शिकार, जहर देने और शिकार से सुरक्षा के संबंध में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय को दिए अंग प्रत्यारोपण के मामले से जुड़े दिशा निर्देशों की जांच के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा है कि अंग प्रत्यारोपण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है या नहीं इस मामले की केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जांच की जानी है।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से 5 दिसंबर 2022 को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को एक प्रतिनिधि को प्रस्तुत करने के लिए कहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले की उचित स्तर पर जांच की जानी चाहिए और शिकायत को जल्द से जल्द दूर करने और उपयुक्त कार्रवाई के लिए नीतिगत निर्णय लिए जाने चाहिए।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता गिफ्ट ऑफ लव एडवेंचर फाउंडेशन ने मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के संदर्भ में राहत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से कहा कि जीवित और शव अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण के उद्देश्य से रेजीडेंसी के संबंध में भारत में समान नियमों के संबंध में दिशा-निर्देशों की जांच की जाए।

याचिकाकर्ता की शिकायत है कि अंग प्रत्यारोपण के पंजीकरण के लिए अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने की आवश्यकता कई राज्यों द्वारा थोपी जा रही है। यदि उन्हें शव प्रत्यारोपण रजिस्ट्री में पंजीकरण कराना है तो इसके लिए रोगियों को एक अधिवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

एनजीटी ने दिए गाजियाबाद की आवासीय कॉलोनी में चल रहे डेयरी फार्मों की जांच के आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को गाजियाबाद के चिरंजीव विहार की आवासीय कॉलोनी में चल रहे डेयरी फार्मों के मामले को देखने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 30 जून, 2023 तक इसपर एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है। मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का है।

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