दुनिया में हैं 128 करोड़ हाइपरटेंशन के मरीज, भारत में पुरुषों की संख्या अधिक

हैरानी की बात है कि इनमें से 58 करोड़ लोग यह नहीं जानते कि वो उच्च रक्तचाप का शिकार हैं जबकि 72 करोड़ लोग अभी भी इसके इलाज से वंचित हैं

By Lalit Maurya

On: Wednesday 25 August 2021
 

पिछले 30 वर्षों के दौरान हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के मामलों में करीब 97 फीसदी का इजाफा हुआ है। दुनिया भर में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त 30 से 79 वर्ष की आयु के वयस्कों की संख्या 65 करोड़ से बढ़कर 128 करोड़ पर पहुंच गई है। इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात है कि इनमें से करीब आधे लोग यह नहीं जानते कि वो उच्च रक्तचाप का शिकार हैं। 

यह जानकारी हाइपरटेंशन को लेकर अब तक किए गए सबसे बड़े अध्ययन में सामने आई है। इस अध्ययन को इंपीरियल कॉलेज लंदन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नेतृत्व में किया गया है, जिसमें 1,100 से ज्यादा चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने अपना योगदान दिया है। अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में प्रकाशित यह शोध दुनिया के 184 देशों के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें विश्व की करीब 99 फीसदी आबादी को शामिल किया गया है।

शोध के अनुसार जहां 1990 में 30-79 वर्ष की आयु की करीब 33.1 करोड़ महिलाएं और करीब 31.7 करोड़ पुरुष उच्च रक्तचाप का शिकार थे, उनकी संख्या 2019 में करीब दोगुनी हो गई है। 2019 में जहां 62.6 करोड़ महिलाएं हाइपरटेंशन का शिकार थी वहीं पुरुषों की संख्या भी बढ़कर 65.2 करोड़ पर पहुंच गई है।

यदि भारत से जुड़े आंकड़ों की बात करें तो पिछले 30 वर्षों के दौरान  उच्च रक्तचाप के प्रसार में मामूली वृद्धि हुई है। जहां 1990 में 28 फीसदी महिलाएं और 29 फीसदी पुरुष उच्च रक्तचाप से ग्रस्त थे। वहीं 2019 में महिलाओं में उच्च रक्तचाप का प्रसार बढ़कर 32 फीसदी और पुरुषों में बढ़कर 38 फीसदी पर पहुंच गया है।  

आसान इलाज के बावजूद 72 करोड़ हैं उससे दूर

यदि देखा जाए तो इस रोग का इलाज बहुत आसान है और इसे कम लागत वाली दवाओं की मदद से दूर किया जा सकता है। पर इसके बावजूद करीब 72 करोड़ लोग इससे वंचित हैं, जिनमें 53 फीसदी महिलाएं और 62 फीसदी पुरुष शामिल हैं। यही नहीं रिपोर्ट के अनुसार इलाज तो बहुत दूर की बात है, इनमें से करीब 58 करोड़ लोगों को यह नहीं पता की उन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या है, जिनमें 41 फीसदी महिलाएं और 51 फीसदी पुरुष शामिल हैं। ऐसे में उनका इलाज कैसे होगा यह अपने आप में चिंता का विषय है। 

इस समस्या पर प्रकाश डालते हुए डब्ल्यूएचओ में निदेशक बेंटे मिकेलसेन ने बताया कि इसके बारे में जानकारी का आभाव काफी घातक हो सकता है। उनके अनुसार दुनिया भर में  होने वाली मौतों में हृदय रोग भी एक प्रमुख कारण है जो हर साल करीब 1.7 करोड़ लोगों की जान ले रहा है। इसके लिए काफी हद तक उच्च रक्तचाप भी जिम्मेवार है।  विशेषज्ञों की मानें तो उच्च रक्तचाप से हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे की बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है, जोकि दुनिया भर में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। 

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन दशकों में उच्च रक्तचाप का बोझ अमीर देशों से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्थानांतरित हो गया है। यदि 2019 के आंकड़ों पर आंकड़ों पर गौर करें तो उच्च रक्तचाप से ग्रस्त 128 करोड़ लोगों में से करीब 82 फीसदी लोग मध्यम और कम आय वाले देशों में रह रहे हैं। जो आंकड़ों में साफ दिखता है। इस बारे में इंपीरियल कॉलेज लंदन से जुड़े माजिद ईज्जती का कहना है कि जहां अमीर देशों में उच्च रक्तचाप के मामलों में कमी आई है, वहीं कई गरीब देशों में इसका प्रसार बढ़ गया है।  

स्वास्थ्य को लेकर दूर नहीं हो रही असमानता

2019 में कनाडा, पेरू और स्विटजरलैंड जैसे देशों में उच्च रक्तचाप का प्रसार सबसे कम था, जबकि डोमिनिकन रिपब्लिक, जमैका और पैराग्वे में महिलाओं और हंगरी, पराग्वे और पोलैंड में पुरुषों के बीच इसका प्रसार सबसे ज्यादा था। जहां स्वास्थ्य सेवाएं आम आदमी से पहले ही काफी दूर हैं।

उनके अनुसार करीब आधी सदी पहले इसका इलाज करना शुरू हो गया था।  जिसे सस्ती दवाओं की मदद से भी ठीक किया जा सकता है। लेकिन देखा जाए तो आज भी उच्च रक्तचाप से ग्रस्त बहुत से लोगों को जिन्हें आवश्यकता हैं उन्हें इसका इलाज नहीं मिल रहा है। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक बड़ी विफलता है। 

जहां कनाडा, आइसलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे  देशों में उच्च रक्तचाप से ग्रस्त करीब 70 फीसदी से अधिक मरीजों का उपचार किया गया था।  वहीं उप-सहारा अफ्रीका, मध्य, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत द्वीप समूह में बसे देशों में रह रहे लोगों में इसका इलाज और दवा मिलने की सम्भावना सबसे कम थी। वहां उच्च रक्तचाप से ग्रस्त 25 फीसदी से भी कम महिलाओं और 20 फीसदी से भी कम पुरुषों को इसका इलाज मिल पाया था।  यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि अभी भी स्वास्थ्य को लेकर दुनियाभर में व्याप्त असमानता दूर नहीं हुई है। 

देखा जाए तो उच्च रक्तचाप के लिए काफी हद तक अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधियों की कमी, तंबाकू, शराब का सेवन और मोटापा जैसी वजहें जिम्मेवार हैं, जिनसे आसानी से बचा जा सकता है। ऐसे में स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर इस समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है।  यही नहीं शोधकर्ताओं का मानना है कि ब्लड प्रेशर को मापकर इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। यही नहीं अक्सर सस्ती दवाओं की मदद से इसका इलाज किया जा सकता है। 

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