भारत में मलेरिया के मामलों में 60 फीसदी की कमी आई: वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट

दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों में 2000-2019 की अवधि में लगातार कमी आई है, 2000 में यह 7,36,000 से 2019 में घट कर 4,09,000 रह गए हैं।

By Dayanidhi

On: Monday 30 November 2020
 
Anopheles mosquitoes

दुनिया भर में हर साल 4 लाख से अधिक लोग मलेरिया से मर जाते हैं, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इसके कारण अनुमानित दो तिहाई मौतें होती हैं।

विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020 ने पिछले 2 दशकों में बीमारी के वैश्विक प्रतिक्रिया को समझने में मदद की है। मलेरिया नियंत्रण में अभूतपूर्व सफलता की अवधि जिसमें 150 करोड़ (1.5 बिलियन) मामले और औसतन 76 लाख (7.6 मिलियन) मौतें हुईं। इस रिपोर्ट में मलेरिया और कोविड-19 महामारी के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही साथ डब्ल्यूएचओ ने दुनिया भर में मलेरिया रणनीति 2020 के तहत एक विस्तृत विश्लेषण भी किया है।

दुनिया भर के 87 मलेरिया पीड़ित देशों में 2019 में लगभग 22.9 करोड़ (229 मिलियन) मलेरिया के मामले थे, जबकि 2000 में इसके 23.8 करोड़ (238 मिलियन) मामले थे जिनकी संख्या में गिरावट आई है। मलेरिया के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016–2030 के बेसलाइन 2015 में मलेरिया के लगभग 21.8 करोड़ (218 मिलियन) अनुमानित मामले थे।

मलेरिया के मामलों में तीन देश सबसे आगे है, इनमें अनुमानित 99.5 फीसदी मामले हैं, इसमें भारत की सबसे बड़ी हिस्सेदारी 87.9 फीसदी है, इसके बाद इंडोनेशिया (10.4 फीसदी) और फिर म्यांमार (1.2 फीसदी) है।

दक्षिण एशिया क्षेत्र का सबसे अधिक मलेरिया प्रभावित देश होने के बावजूद, भारत में 2019 में 2017 की तुलना में 60 फीसदी की कमी आई है और 2018 की तुलना में 46 फीसदी की कमी दर्ज की।

2019 में इस क्षेत्र में मलेरिया से होने वाली मौतें घटकर 162 हो गईं जो 2010 की तुलना में 93 फीसदी की कमी है। भारत, इंडोनेशिया और म्यांमार ने क्रमशः क्षेत्र में होने वाली कुल मौतों में 48 फीसदी, 30 फीसदी और 9 फीसदी का हिसाब लगाया। भूटान, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, नेपाल और तिमोर-लेस्ते में एक भी मौत नहीं हुई।

दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों में 2000-2019 की अवधि में लगातार कमी आई है, 2000 में यह 7,36,000 से 2019 में घट कर 4,090,00 रह गए हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कुल मलेरिया से होने वाली मौतों का प्रतिशत 2000 में 84 फीसदी था और 2019 में यह घट कर 67 फीसदी हो गया।

विश्व में मलेरिया से होने वाली लगभग 95 फीसदी मौतें 31 देशों में हुईं। जिनमें नाइजीरिया (23फीसदी), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (11 फीसदी), तंजानिया संयुक्त गणराज्य (5फीसदी), मोज़ाम्बिक (4 फीसदी), नाइजर (4फीसदी) बुर्किना फासो (4 फीसदी) शामिल है। 2019 में इन देशों का दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों का लगभग 51 फीसदी हिस्सा था।

रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीकी क्षेत्र में मलेरिया से मृत्यु 44 फीसदी तक कम हुई, जो 2000 में 6,80,000 से 2019 में घटकर 3,84,000 हुई और इसी अवधि में मलेरिया से मृत्यु की दर 67 फीसदी तक कम हो हुई। प्रति 1लाख जनसंख्या पर 121 से 40 मौतें हुई।

दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया से होने वाली मौतों में 74 फीसदी की कमी आई, जो 2000 में 35,000 से 2019 में घटकर 9000 हो गई।

मलेरिया कार्यक्रम और अनुसंधान

जीटीएस ने 2020, 2025 और 2030 के लिए मलेरिया से निजात पाने के लिए आवश्यक धन का अनुमान लगाया है।

2016 में कुल वार्षिक संसाधनों का अनुमान 4.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 में 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। वैश्विक मलेरिया अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के लिए प्रति वर्ष अतिरिक्त 0.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।

मलेरिया की रोकथाम

दुनिया भर में मलेरिया पीड़ित देशों के घरों में इससे बचने के लिए छिड़काव किया गया। जनसंख्या का प्रतिशत 2010 में 5 फीसदी से घटकर 2019 में 2 फीसदी हो गया है। दुनिया भर में मलेरिया से लोगों का बचाव करने की संख्या 2010 में 180 मिलियन से घटकर 2015 में 115 मिलियन हुई, 2019 में यह घटकर 97 मिलियन रह गई।

कोविड -19 महामारी और मलेरिया

भारत और ब्राजील, कोविड -19 महामारी के दौरान मलेरिया पीड़ित देशों में रिपोर्ट किए गए सभी मामलों का 64 फीसदी से अधिक के लिए जिम्मेदार है। उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में जिसमें मलेरिया के 90 फीसदी से अधिक मामले होते हैं, यहां बीमारी के फैलने की गति बहुत धीमी थी और पहले की तुलना में मृत्यु दर भी कम थी।

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