दुनिया भर के करीब एक अरब लोग बिजली के बिना इलाज कराने को मजबूर: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीकी देशों में, 10 में से 1 से अधिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में बिजली की सुविधा नहीं है

By Dayanidhi

On: Monday 16 January 2023
 
फोटो साभार: डब्ल्यूएचओ/प्लॉय फुत्फेंग

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), विश्व बैंक, इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) और सस्टेनेबल एनर्जी फॉर ऑल की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब 1 अरब लोग बिजली कटौती या बिना बिजली आपूर्ति के स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में इलाज कराने के लिए मजबूर हैं।

बच्चों को जन्म देने से लेकर दिल के दौरे जैसी आपात स्थिति से निपटने या जीवन रक्षक टीकों को सुरक्षित रखने, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिए बिजली तक पहुंच महत्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में बिजली के बिना, सभी के लिए स्वास्थ्य कवरेज तक नहीं पहुंचा जा सकता है।

रिपोर्ट में एनर्जाइज़िंग हेल्थ: एक्सेलरेटिंग इलेक्ट्रिसिटी एक्सेस इन हेल्थ-केयर फैसिलिटीज़, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विद्युतीकरण को लेकर नवीनतम आकड़ों को उजागर किया गया है। यह स्वास्थ्य देखभाल में पर्याप्त और बिना कटौती के बिजली हासिल करने के लिए आवश्यक निवेश को भी सामने लाता है, साथ ही यह सरकारों और विकास भागीदारों के लिए प्रमुख प्राथमिकता वाले कार्यों की पहचान करता है।

डब्ल्यूएचओ में स्वस्थ आबादी के लिए एआई की सहायक महानिदेशक डॉ. मारिया नीरा ने कहा, स्वास्थ्य सुविधाओं में बिजली का उपयोग जीवन और मृत्यु के बीच अहम भूमिका निभा सकता है। स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए विश्वसनीय, स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा में निवेश न केवल महामारी की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने के साथ-साथ जलवायु लचीलापन और अनुकूलन बढ़ाने के लिए भी बहुत आवश्यक है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे बुनियादी उपकरणों - रोशनी और संचार उपकरण से लेकर ठंडा करने तक या ऐसे उपकरण जो दिल की धड़कन और रक्तचाप जैसे महत्वपूर्ण संकेतों को मापते हैं, इनके लिए बिजली की आवश्यकता होती है। बिजली नियमित और आपातकालीन प्रक्रियाओं दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

जब स्वास्थ्य सुविधाओं के पास ऊर्जा के विश्वसनीय स्रोतों तक पहुंच हो, तो महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों को संचालित और कीटाणुरहित किया जा सकता है। क्लीनिक जीवन रक्षक टीकों को संरक्षित कर सकते हैं और स्वास्थ्य कार्यकर्ता योजना के अनुसार आवश्यक सर्जरी कर सकते हैं या बच्चों को जन्म दे सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीकी देशों में, 10 में से 1 से अधिक स्वास्थ्य सेवाओं में, अस्पताल या क्लिनिक में किसी भी तरह की बिजली की सुविधा नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक जबकि उप-सहारा अफ्रीका की लगभग आधी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में बिजली की आपूर्ति अनियमित है।

हालांकि स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के विद्युतीकरण में हाल के वर्षों में कुछ प्रगति हुई है, दुनिया भर में लगभग एक अरब लोगों का अनियमित बिजली आपूर्ति या बिना बिजली के स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं द्वारा इलाज किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न देशों के भीतर बिजली की पहुंच में असमानताएं भी गंभीर हैं। शहरी क्षेत्रों में अस्पतालों और सुविधाओं की तुलना में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं में बिजली की पहुंच काफी कम देखी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली की पहुंच सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का एक प्रमुख अंग है, इसलिए स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के विद्युतीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिसके लिए सरकारों, विकास भागीदारों और वित्तपोषण और विकास संगठनों से अधिक समर्थन और निवेश की आवश्यकता होती है।

रिपोर्ट के मुताबिक 63 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं या अस्पतालों में बिजली के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए नए कनेक्शन या बैकअप पावर सिस्टम की तत्काल जरूरत है। इस काम के लिए लगभग 400 अरब रुपए का खर्च आने की बात कही गई है।

रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए कहा गया कि भारत में बिजली की लगातार आपूर्ति से प्रसव से पहले की देखभाल और टीकाकरण में बढ़ोतरी होती है। भारत में ऐसे भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां नियमित बिजली आपूर्ति देखी गई, उन्होंने बिजली कटौती या बिना बिजली वाले पीएचसी की तुलना में 50 फीसदी अधिक मरीजों को टीकाकरण और प्रसव संबंधी सेवाएं दी गई। इसी तरह बिजली कटौती की स्थिति में जेनरेटर वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों ने इस सुविधा के अभाव वाले पीएचसी की तुलना में दोगुने प्रसव संबंधी सेवाएं दी।

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