पिछले दो दशकों में नहीं आया ज्यादा बदलाव, दुनिया के 15 फीसदी किशोर अभी भी पीते हैं सिगरेट

दुनिया में अभी भी करीब 17.9 फीसदी किशोर लड़के और 11.5 फीसदी बच्चियां सिगरेट पीती हैं

By Lalit Maurya

On: Thursday 04 February 2021
 

दुनिया के 14.7 फीसदी किशोर सिगरेट पीते हैं। यह जानकारी हाल ही में द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित शोध में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि पिछले 20 वर्षों में सिगरेट के उपयोग में लगातार कमी आई है। इसके बावजूद किशोरों में सिगरेट पीने की प्रवत्ति पहले जैसी ही है और इसमें कोई खास बदलाव नहीं आया है। अभी भी करीब 17.9 फीसदी किशोर लड़के और 11.5 फीसदी बच्चियां सिगरेट पीती हैं।

यदि तंबाकू से मरने वालों की बात करें तो इसका उपयोग दुनिया भर में हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है।  इसके साथ ही यह कैंसर, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और अन्य सांस सम्बन्धी बीमारियों को जन्म दे सकता है। यह इंसानी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। यह देखते हुए कि ज्यादातर वयस्क किशोरावस्था या बचपन में धूम्रपान करना शुरु करते हैं, ऐसे में किशोरों और बच्चों के बीच तम्बाकू का बढ़ता उपयोग एक बड़ी समस्या है।

यह शोध 1999 से 2018 के बीच किए गए ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के आंकड़ों और उसके विश्लेषण पर आधारित है। इस अवधि में किए दोनों सर्वेक्षण में सभी देशों के आंकड़ों को शामिल किया गया है। पहला सर्वे 1999-2018 के बीच किया गया था। जिसमें 140 देशों के 13 से 15 वर्ष के 11 लाख बच्चों को शामिल किया गया था, जबकि दूसरा सर्वे जो 2010 से 2018 के बीच किया गया था, इसमें 143 देशों के 530,000 किशोर शामिल थे।

बुल्गारिया में सबसे ज्यादा 23.7 फीसदी लड़कियां पीती हैं सिगरेट

निष्कर्ष के अनुसार सिगरेट पीने का प्रचलन पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के लड़कों में सबसे ज्यादा था। उनमें 17·6 फीसदी में सिगरेट की तलब देखी गई थी। इसमें सबसे ज्यादा सिगरेट पीने वाले बच्चे टोकेलौ में 49.3 फीसदी थे। इसी तरह यूरोपीय देशों में लड़कियों के बीच सिगरेट पीने का सबसे अधिक प्रचलन था, जोकि 9 फीसदी रिकॉर्ड किया गया था। इसमें बुल्गारिया जहां 23.7 फीसदी और इटली में 23.6 फीसदी बच्चियां सबसे ज्यादा सिगरेट पीती हैं।

इस शोध में अन्य तम्बाकू उत्पादों जैसे चबाने वाले तंबाकू, सूंघना,  सिगार, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट आदि को भी सम्मिलित किया गया है। 2010 से 2018 के बीच 15 वर्ष के किशोरों में इन उत्पादों के उपभोग की प्रवृत्ति 13 वर्ष के किशोरों से ज्यादा थी। इस अवधि में जहां 13 वर्ष के 8.4 फीसदी किशोर और 5.1 फीसदी किशोरियां इन उत्पादों का उपभोग करती थी, वहीं 15 वर्ष के 13.9 फीसदी लड़के और 9.3 फीसदी लड़कियां इनका उपभोग करती थी। दुखद है कि पिछले 20 वर्षों में 15 वर्ष के लड़कों में इसके उपयोग में करीब 2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

सिगरेट के अलावा अन्य तंबाकू उत्पादों का प्रचलन पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में सबसे ज्यादा था। वहां 16.7 फीसदी लड़के और 9 फीसदी बच्चियां इन उत्पादों का उपभोग करती हैं। वहीं अमेरिका और यूरोपीय देशों में इसका सबसे कम प्रचलन है ।

इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता बो शी के अनुसार “अधिकांश देशों में सिगरेट उपभोग में कमी देखी गई है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में युवा इसका सेवन कर रहे हैं। कई देशों में सिगरेट की तरह ही अन्य रूपों में तम्बाकू का उपभोग किया जा रहा है। सिगरेट के उपयोग की व्यापकता दिखाती है कि अभी भी इस दिशा में काफी काम करना बाकी है। तंबाकू रोकने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को मजबूत करने की जरुरत है। जिसमें विभिन्न तम्बाकू उत्पादों के लिए विशिष्ट नीतियां बनाना शामिल हैं। आज तंबाकू उत्पादों के विषय में दुनिया भर के किशोरों को जागरूक करने की जरुरत है। इसके लिए स्वास्थ्य शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना पहले से कहीं ज्यादा जरुरी हो गया है।“

इस दिशा में कई देश बेहतर काम कर रहे हैं उदाहरण के लिए उरुगुए को देख लीजिए जो तम्बाकू नियंत्रण में सबसे आगे है। वहां तम्बाकू के प्रचार पर पूरी तरह रोक लगा  है। साथ ही विज्ञापन के लिए भी कड़े नियम बनाए गए हैं। नतीजन एक दशक में सिगरेट स्मोकिंग में करीब 17 फीसदी की कमी आई है। भारत में भी इस दिशा में भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। 2007-08 में राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुवात की गई थी। सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन और आपूर्ति और वितरण का निषेध) अधिनियम, 2003 में लागु किया गया था।

भारत में 29 फीसदी वयस्क करते हैं तम्बाकू का सेवन

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल होने वाली 13.5 लाख मौतों के लिए तम्बाकू ही जिम्मेवार है। यह दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार देश में 29 फीसदी वयस्क (26.7 करोड़) तंबाकू का सेवन करते हैं। इसमें खैनी, गुटखा, सुपारी तंबाकू, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसे उत्पाद शामिल हैं।

हाल ही में भारत सरकार ने सिगरेट और तंबाकू उत्पादों के उपभोग की आयु सीमा को 18 से बढाकर 21 वर्ष करने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण निषेध) संशोधन अधिनियम, 2020 का मसौदा तैयार किया गया है। इसके साथ ही इस विधेयक में सिगरेटों की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगाने, रेस्तरां और हवाई अड्डों पर धूम्रपान करने वाले कमरों पर प्रतिबंध लगाने और सार्वजनिक स्थानों पर नियमों का पालन न करने पर दंड बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है।

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