संसद में आज: देश में इस साल डेंगू के 1.64 लाख और जीका वायरस के 233 मामले सामने आए

जनजातीय स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आदिवासी लोगों को बीमारियों का एक तिहाई बोझ का सामना करना पड़ता है।

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Friday 03 December 2021
 

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) के डायबिटीज एटलस 2021 के 10वें संस्करण के मुताबिक, वर्ष 2021 में 20 से 79 वर्ष आयु वर्ग के मधुमेह के रोगियों की अनुमानित संख्या 742 लाख है। इनके साल 2045 में बढ़कर 1,248 लाख होने का अनुमान है। यह आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया।

सिलिकोसिस रोगी

लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 08 मार्च 2018 के अनुसार पिछले 10 वर्षों में 340 श्रमिकों को राज्य-वार/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिहाज से, क्षेत्र-वार सिलिकोसिस/न्यूमोकोनियोसिस से पीड़ित के रूप में पहचाना गया।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने यह भी कहा कि 197 श्रमिक जिनकी पिछले 10 वर्षों के दौरान 08 मार्च 2018 तक सिलिकोसिस से मृत्यु हो गई थी।

जनजातीय क्षेत्रों में संचारी रोग

जनजातीय स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, आदिवासी लोगों को बीमारियों का एक तिहाई बोझ का सामना करना पड़ता है। इन रोगों में संचारी रोगों का बोझ अधिक होता है। यह मुख्य रूप से वे है जिन्हें अक्सर गरीबी और अविकसित लोगों में होने वाले रोगों के रूप में जाना जाता है, जिनमें मलेरिया और तपेदिक शामिल है। यह आज स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में बताया।

जबकि कुपोषण और मलेरिया और तपेदिक जैसे संचारी रोग उच्च स्तर पर बने हुए हैं, तेजी से शहरीकरण, पर्यावरणीय संकट और बदलती जीवन शैली के परिणामस्वरूप गैर-संचारी रोगों जैसे कैंसर, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के प्रसार में भी वृद्धि हुई है।

डेंगू और मलेरिया के मामलों में वृद्धि

2021 के दौरान (21.11.21 तक), देश में डेंगू के कुल 1,64,103 मामले सामने आए हैं, जबकि 2019 में इनकी संख्या 2,05,243 थी,  इस बात की जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में दी।

2008 से मामलों में मृत्यु दर 1 फीसदी पर कायम है। यह 2018 में 0.2 फीसदी और 2019 में 0.1 फीसदी तक नीचे आ गई है, जो तब से इसी स्तर पर बनी हुई है। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि देश में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। पवार ने कहा कि डेंगू और मलेरिया के मामले मानसून के दौरान और मानसून के बाद और सर्दियों की शुरुआत के साथ घटते हैं।

जीका वायरस

देश के विभिन्न हिस्सों से जीका वायरस के मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में बताया कि 2021 में केरल में 83, महाराष्ट्र में 1 और उत्तर प्रदेश में 149 मामलों के साथ जीका का प्रकोप दर्ज किया गया था।

सरकार ने इन सभी राज्यों में नियंत्रण और निवारक उपाय शुरू करने के लिए केंद्रीय दल भेजे। पवार ने कहा कि केंद्रीय टीमों ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार जीका रोकथाम योजना को लागू करने के लिए राज्य और जिला अधिकारियों के साथ काम किया।

देश में भुखमरी

पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ़ द्वारा लाए गए ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) 2021 में भारत की रैंकिंग 101 है। नेपाल और बांग्लादेश 76वें स्थान पर हैं और पाकिस्तान 92वें स्थान पर है। यह आज ग्रामीण विकास और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री सादित्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में बताया।

ज्योति ने कहा जीएचआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का समग्र जीएचआई स्कोर 2000 में 38.8 से बढ़कर 2021 में 27.5 हो गया है। इस प्रकार, देश ने लगातार सुधार दिखाया है।  

कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने एकीकृत सिमुलेशन मॉडलिंग ढांचे का उपयोग करते हुए 'जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार' (एनआईसीआरए) परियोजना के तहत कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया।

परिणामों से पता चलता है कि अनुकूलन उपायों को अपनाने के अभाव में, जलवायु में अनुमानित परिवर्तन से 2050 में वर्षा आधारित चावल की पैदावार में 20 फीसदी और 2080 के परिदृश्यों में 47 फीसदी की कमी होने की आशंका जताई है। जबकि सिंचित चावल की पैदावार में 2050 में 3.5 फीसदी से  5 फीसदी की कमी हो सकती है। 2080 परिदृश्य, 2050 में गेहूं की पैदावार 19.3 फीसदी और 2080 परिदृश्यों में 40 फीसदी और खरीफ मक्का की पैदावार में 18 से 23 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह आज कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में बताया।

बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान

राज्य सरकारों की रिपोर्ट (25.11. 2021 तक), प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर आवश्यक राहत उपाय प्रदान करने के लिए राज्य सरकार मुख्य रूप से जिम्मेदार है। राहत उपाय करने के लिए राज्य सरकार के पास राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) के रूप में धन उपलब्ध है। तोमर ने कहा कि एसडीआरएफ के अलावा, गंभीर प्राकृतिक आपदाओं के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय सहायता पर विचार किया जाता है और इसे राज्य सरकार से प्राप्त ज्ञापन के आधार पर स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार अनुमोदित किया जाता है। इस बात की जानकारी आज कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में दी।

देश में सिंचित भूमि

भूमि उपयोग सांख्यिकी 2018 और 19 के नवीनतम उपलब्ध प्रकाशन के अनुसार, 2018 से 19 की अवधि के दौरान देश में 18.09 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 7.15 करोड़ हेक्टेयर भूमि शुद्ध सिंचित क्षेत्र है। 2018 और 19 के दौरान, कर्नाटक राज्य के लिए 1.28 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से, 40.32 लाख हेक्टेयर भूमि शुद्ध सिंचित भूमि है, यह आज कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में बताया।

Subscribe to our daily hindi newsletter